इंदौर: इंदौर पुलिस के टीआई तहज़ीब क़ाज़ी ने गश्त के दौरान ऐसा कार्य किया जिसके बारे जिसे पता चला उसने इंदौर पुलिस को सैल्यूट किया। दरअसल गश्त के दौरान डिलिवरी बॉय जय हल्दे को साइकिल से दौड़-दौड़कर डिलिवरी करते देख टीआई का दिल पसीजा और टीआई ने जय हल्दे को नई बाइक दिला दी।
विजय नगर टीआई तहजीब काजी ने बताया कि वे कुछ दिनों पहले गश्त पर थे। तभी उन्होंने साइकिल से एक फूड डिलीवरी बॉय को देखा। वह बहुत जल्दी में था। काजी ने उसे रोक लिया। डिलीवरी बॉय ने कहा कि उसे फूड डिलीवर करना है।
टीआई तहज़ीब क़ाज़ी ने जय हल्दे से पूछताछ की तो मालवी नगर निवासी जय हल्दे ने बताया कि घर में मां और छोटा भाई है। साइकिल से डिलीवरी करने पर दिन भर में 30-400 रुपए ही कमा पाता है। इससे घर का खर्च पूरा नहीं हो पाता। पिता 2 सालों से मजदूरी करने नासिक गए हैं। साइकिल से कई बार खाना लेट पहुंचाने के कारण उसे ग्राहकों से डांट भी सुननी पड़ती है। जय 10वीं तक पढ़ा है। वह जनता क्वार्टर के पिंक फ्लावर स्कूल में पढ़ता था। एक्सीडेंट में हाथ टूटने के बाद स्कूल जाना बंद हो गया। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण वह आगे नहीं पढ़ पाया। वह अभी छोटे भाई को पढ़ा रहा है। जो पांचवीं क्लास में है।
जय हल्दे की बात सुनकर तहज़ीब क़ाज़ी का दिल पसीज गया। काजी ने सोच लिया था कि उसकी ये परेशानी दूर करेंगे। थाने के स्टाफ की मदद से उन्होंने एक दिन की सैलरी जुटाई और 32 हजार रुपए डाउन पेमेंट जमा कर डिलीवरी बॉय को नई बाइक दिला दी।
जय ने बताया, रविवार दोपहर उसके पास विजय नगर थाने से फोन आया। थाने बुलाने के नाम वह डर गया। मां ने कहा कि कुछ गलत तो नहीं किया है। जय हिम्मत जुटा कर थाने पहुंचा तो डर कर साइकिल भी थाने के बाहर ही खड़ी कर दी। तब टीआई ने उससे कहा तुम्हें एक नई बाइक दिला देते हैं। किश्त जमा कर पाओगे? जय ने इसके लिए तत्काल हां कर दी।
जय को नई बाइक मिलने के बाद वह सीधे फूड डिलीवरी करने निकल गया। देर रात डिलीवरी खत्म होने के बाद वह फिर थाने पहुंचा और टीआई को बताया कि उसने शाम 5 से रात 12 बजे तक 1 हजार रुपए कमा लिए हैं।
No Comments: