नई दिल्ली : आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलम आज़ाद की यौमे पैदाइश पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी,अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी की तरफ से दिल्ली के जवाहर भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया । इस सेमिनार में कई जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया ,जिसमें प्रोफेसर अशोक कुमार पांडेय ,शक्ति सिंह,राम पुनियानी ,मोहसिना क़िदवई ,नेटा डिसूजा अदि लोग मौजूद रहे ।
अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी ने सेमिनार की शुरुआत करते हुए कहा कि आज इस सेमिनार में हर धर्म के लोग शामिल हैं मुस्लिम, हिन्दू ,ईसाई और हमारे सरदार भाई सभी आए हैं शायद इसी भारत का ख्वाब मौलाना अबुल कलाम आज़ाद देखते थे आज हम सब मिलकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ,हमने यह एक छोटी सी आज शुरुआत की है लेकिन अब इसको बड़े अस्तर पर करेंगे।
प्रोफेसर अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि मौलाना को सब भूले हुए थे लेकिन आज इमरान प्रतापगढ़ी से यह शुरुआत करके बड़ा काम किया है उन्होंने कहा अगर कोई यह सोच कर बैठा हो कि मौलाना सिर्फ मुसलमानों के नेता थे तो वह उस परम्परा को भूल जा रहा है जिसको कॉंग्रेस ने पूरे देश में फैलाया है उन्होंने कहा कि मौलाना अबुल कलम आज़ाद ने सर सय्यद अहमद खान को चुनौती दी कि आप मुसलमानो की अस्मिता को क्यों अलग कर रहे हैं आप सिर्फ मुस्लिम के नाम पर यूनिवर्सिटी क्यों बना रहे हैं।
उन्होंने कहा मौलाना सारा जवाब कुरान से ही दिया करते थे वह कहते थे कि कुरान का आदेश है कि सब एक साथ मिल जुलकर रहें। अशोक कुमार ने कहा कि मौलाना आज़ाद को ऐसे समय में कोंग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था जिस समय पर लग रहा था कि अब कॉंग्रेस टूट जाएगी उन्होंने उस समय सबको जोड़ने का काम किया और नारा दिया था कि अगर देश को कोई आज़ाद करा सकती है तो वह कॉंग्रेस ही है कांग्रेस का सब लोग साथ दो।
जब मौलाना के अखबार अलहिलाह पर पाबंदी लगी और फिर दो महीने बाद दूसरा अखबार निकालना चाहा तो अंग्रेजी सरकार ने उनको दरभंगा से शहर बदर कर दिया और रांची में नजरबंद कर दिया उसके बाद मौलाना ने कभी भी माफ़ी नहीं मांगी माफ़ी तो कुछ ही मांगे थे उनको सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामिक परम्परा से आने वाले मौलाना हिन्दू मुस्लमान के अलम बरदार थे वह हिन्दू मुस्लमान के सबसे बड़े प्रतीक थे। जब जिन्ना और सावरकर ने पूरे देश को तोड़ने की बात की थी उस समय मौलाना आजाद पाकिस्तान मुर्दाबाद जिन्ना मुर्दाबाद के नारे जामा मस्जिद के पास से एक सभा को संबोधित करते हुए लगाया था उस सभा में कोई डेढ़ लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।
शक्ति सिंह ने एक कविता से अपने बात कि शुरआत की
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा
उन्होंने कहा कि सदियों में ही ऐसी कोई हस्ती आती है जिसको लोग सदियों तक याद करते हैं मौलाना आज़ाद को आज हम सब श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ,उन्होंने कहा कि सबसे कम उम्र में अगर कोई कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना है तो वह मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ही थे 35 साल की उम्र में ही वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे। शक्ति सिंह ने कहा कि Quint India movement की शुरुआत मौलाना ने ही की थी और इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान था ,आज सबको तोड़ा जा रहा है लेकिन मौलाना सबको जोड़ने का काम करते थे एक सच्चे मौलाना होकर सबके दिलों को जोड़ने का काम करते थे उन्होंने कहा कि उस समय भी खुदगर्ज लोग थे और आज भी ऐसे ही लोग हैं।
राम पुनियानी :आज़ादी के समय का माहौल और मौलाना आज़ाद के विषय पर बात की . उन्होंने कहा कि मौलाना सिर्फ मुसलमानों के नेता नहीं थे ब्लकि सबके नेता थे वह इंसानियत की बात करते थे ,राम पुनियानी ने कहा मौलाना आज़ाद को उस समय अध्यक्ष बनाया गया था जब एक तरफ वह लोग थे जो देश को आजाद कराने के खिलाफ़ थे और एक तरफ वह लोग थे जो देश की आज़ादी का ख्वाब देख रहे थे उस समय वह कॉंग्रेस के अध्यक्ष बने थे
मौलाना कहते थे कि अगर कोई फरिश्ता आकर कुतुब मीनार से यह कहे कि तुम हिन्दू मुस्लिम एकता की बात न करो हम तुम्हें स्वराज दे देंगे तो मैं उसको इंकार कर दूँगा। मौलाना जितने महान मौलाना थे उतने ही महान इंसान भी थे उन्होंने कहा आज़ादी की लड़ाई के लिए सब से बड़ा जो आंदोलन था Quint India Movement उस समय मौलाना ही कॉंग्रेस के अध्यक्ष थे। राम पुनियानी जब मैं मौलाना को श्रद्धांजलि हूँ तो सोचता हूँ कि मौलाना अगर अब होते तो हमे क्या करने के लिए कहते वह हमें करना होगा आज जरूरत है कि आप मौलाना की मोहब्बत को पूरे देश में पहुंचाएं ।
मोहसिना क़िदवई : मौलाना आज़ाद और पंडित नेहरू के रिश्ते पर बात की उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत है कि मौलाना की तक़रीर रिकॉर्ड में हर जागना बजनी चाहिए क्योंकि आज जो नफरत भरी गई उसको दूर करने के लिए इसकी बहुत ज़रूरत है। मोहसिना ने कहा आज हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते, जितना खूबसूरत देश हमारा है उतना खूबसूरत देश कहीं नहीं मिलेगा ,मौलाना ने कभी भी मज़हब को राजनीति में नहीं आने दी और हमेशा पाकिस्तान की मुखालफत की उन्होंने कहा कि आज नौजवानों से मेरी गुजारिश है कि वह उठ खड़े हों और देश के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें। उन्होंने कहा कि मौलाना आज़ाद को सही श्रद्धांजलि यह है कि हम संविधान की रक्षा करें क्योंकि आज संविधान को तोड़ने की बात की जा रही है और हमे एक साथ खड़ा होना होगा और संविधान और नागरिकों की रक्षा करनी होगी
महिला कांग्रेस की अध्यक्षा नेटा डिसूजा ने कहा कि हम प्रोग्राम में आकर कुछ बातें सुनते हैं फिर भूल जाते हैं लेकिन एक तरफ वह हैं जो लगातार झूट फैला रहे हैं और हम सच देख कर चुप हो जाते हैं लेकिन अब हमें चुप नहीं होना बोलना है ताकि उनका प्रोपेगेंडा न चल पाए।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी,अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी ने सेमिनार के आखिर में उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा की हम उन लोगों से माफ़ी चाहते हैं जिसको इस हाल में बैठने के लिए कुर्सी न दे सकीय अगली बार हम यह प्रोग्राम एक बड़े हाल या वादे मैदान में करेंगे ताकि सभी लोग आसानी से बैठ सकें ,इमरान प्रतापगढ़ी ने मौलाना की उस तक़रीर को भी पढ़ा जिसको मौलाना आज़ाद ने बटवारे के समय जामा मस्जिद की सीढ़ियों से की थी। इस प्रोग्राम का समापन राष्ट्रगान पर हुआ।
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