नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार पर एमसीडी का फण्ड बकाया होने का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी को आज करारा जवाब दिया। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने साफ किया कि एमसीडी का दिल्ली सरकार पर कोई फण्ड बकाया नहीं है, बल्कि एमसीडी का भाजपा शासित केंद्र सरकार पर पिछले 10 वर्षों का करीब 12 हजार करोड़ रुपये बकाया है। एमसीडी में बैठी भाजपा के नेता झूठ बोल रहे हैं और डॉक्टरों- नर्सों के वेतन पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार देश के सभी स्थानीय निकायों को हर साल अनुदान देती है, लेकिन 2001 के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को एक पैसे नहीं दिए। केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष 1150 करोड़ रुपये एमसीडी को देने चाहिए, जो नहीं दिया है। सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी कई बार प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर एमसीडी का रुका पैसा जारी करने की मांग कर चुके हैं। केंद्र में बैठे भाजपा नेताओं से आम आदमी पार्टी मांग करती है कि पिछले 10 वर्षों का रुका हुआ एमसीडी का 12 हजार करोड़ रुपये तत्काल दिया जाए, इन पैसों पर एकसीडी का हक़ है।

दुर्गेश पाठक ने एमसीडी के डॉक्टर और कर्मचारियों के वेतन को लेकर पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस की। दुर्गेश पाठक ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में नॉर्थ एमसीडी के अधीन आने वाले सभी अस्पातालों के डॉक्टर वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। पिछले चार दिनों से हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं। उनकी एमसीडी से सिर्फ इतनी सी मांग है कि पिछले छह महीने से रुका हुआ उनका वेतन जारी किया जाए। लेकिन भाजपा शासित एमसीडी वेतन देने के बजाय इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। भाजपा नेता बार-बार बहाना बनाते हैं कि एमसीडी के दिल्ली सरकार पर पैसे बकाया हैं जिसके कारण वह वेतन नहीं दे पा रहे हैं।

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दुर्गेश पाठक ने भाजपा शासित एमसीडी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को दिल्ली नगर निगम को पैसे देने हैं। केंद्र सरकार पर दिल्ली नगर निगम के 12 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये बकाया हैं। एमसीडी के केंद्र सरकार पर पैसे बकाया हैं, नाकि दिल्ली सरकार पर बकाया है। 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार देश के सभी नगर निगमों को पैसा (अनुदान) जारी करती है। 14वें वित्त आयोग के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2,87,636 करोड़ रुपयों का देश के नगर निगमों को अनुदान दिया। इस रकम में 488 रुपये प्रति व्यक्ति का अनुपात निकलकर आता है। यानी नगर निगर की जितनी जनसंख्या होगी उसके आधार पर, 488 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से केंद्र सरकार, नगर निगम को पैसे देगी।

उन्होंने आगे कहा कि 2001 से केंद्र सरकार ने गाजियाबाद नगर निगम और गुड़गांव नगर निगम को तो पैसा जारी किया लेकिन दिल्ली नगर निगम को एक भी पैसा नहीं दिया। यह पैसा भारतीय संविधान के तहत नगर निगम का अधिकार बनता है। अगर औसत निकालें तो केंद्र सरकार को 1150 करोड़ रुपये प्रति साल एमसीडी को देने होते हैं। पिछले 10 सालों में यह रकम लगभग 12 हजार करोड़ रुपये हो जाती है। यानी 12 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार को भाजपा शासित नगर निगम को देने हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक एमसीडी को एक भी रुपया नहीं दिया है।

दुर्गेश पाठक ने कहा, एमसीडी के अधीन आने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों का घर नहीं चल पा रहा है, उनको पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है। मेरी केंद्र सरकार से और देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से हाथ जोड़कर विनती है कि आप पर जो एमसीडी का पैसा बकाया है उसे वो तुरंत जारी करें। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि केंद्र सरकार तुरंत 12 हजार करोड़ रुपये एमसीडी को दे। यह पैसा एमसीडी का संवैधानिक अधिकार है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के वित्त मंत्री ने इस विषय में कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री को चिट्ठी लिख चुके हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से एमसीडी का पैसा जारी करने की मांग की थी लेकिन अभी तक एक रुपया भी केंद्र ने जारी नहीं किया है।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा पिछले 14 सालों से एमसीडी चला रही है लेकिन इतने सालों में उन्होंने एक बार भी केंद्र सरकार से इन रुपयों की मांग नहीं की। एमसीडी ने एक भी पत्र केंद्र सरकार और केंद्रीय वित्त मंत्री को नहीं लिखा। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से एमसीडी का रुका हुआ पैसा जारी करे जिससे डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनका वेतन मिल सके। केंद्र सरकार अगर यह पैसा दे देती है तो एमसीडी के कर्मचारियों को वेतन भी मिल जाएगा और एमसीडी का घाटा भी पूरा हो जाएगा।

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