नई दिल्ली
दिल्ली और देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच करवाने या जिम्मेदारी लेने के बजाय केंद्र सरकार एक बार फिर फ्रॉड तरीकों को अपना रही और झूठ बोल रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को एक पत्र के माध्यम से बेहद शर्मनाक तरीके से झूठ बोलते हुए ये तर्क दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की उच्च स्तरीय जाँच कमेटी को इसलिए खारिज किया गया है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स और सब ग्रुप इसकी जाँच कर रहा है। इस बाबत उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के झूठ को उजागर करते हुए बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जिस नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन किया है। उसका काम ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की जाँच करना और आगे के लिए नीतियां बनाना है न कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करना। सब ग्रुप के पास भी ऑक्सीजन से हुई मौतों की जांच करने का कोई मैंडेट नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने कुप्रबंधन और नरेंद्र मोदी की लापरवाही को छुपाने के लिए गलत तर्क देकर ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की उच्च स्तरीय जाँच कमेटी को खारिज कर रही है। क्योंकि जाँच हुई तो केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के लापरवाही का सच सामने आ जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा 21वीं सदी में देश में लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई हैं। ये पूरे देश और मानव-जाति के लिए बेहद शर्मनाक बात है। लेकिन इसकी जाँच करवाने के बजाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गलत तर्क देकर सरकार की लापरवाही को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 6 मई 2021 को जिस नेशनल टास्कफोर्स का गठन किया गया है। उसके लिए 12 टर्म ऑफ़ रेफरेंस निर्धारित किए गए हैं। इन 12 बिन्दुओं में से किसी भी बिंदु में ये नहीं लिखा गया है कि ये टास्कफ़ोर्स ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करेगी। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने झूठ बोलते हुए तर्क दिया है कि ये टास्क फोर्स और सब ग्रुप ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करेगी|
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावी और पारदर्शी मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए 12 सदस्यों की नेशनल टास्क फोर्स एनएफटी का गठन किया है। इस टास्क फोर्स को निम्नलिखित काम सौंपा गया है। पूरे देश में ऑक्सीजन की ज़रूरत उपलब्धता और वितरण का आकलन करना और सुझाव देना, सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में ऑक्सीजन के बेहतर वितरण के लिए फॉर्मूला निकालना, महामारी के दौरान वर्तमान आकलन के आधार पर उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा को ज़रूरत पड़ने पर कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए सुझाव देना,
महामारी के विभिन्न चरणों में उसके प्रभाव का आकलन कर राज्यों को आवंटित ऑक्सीजन के रिविजन के लिए सुझाव देना, महामारी के दौरान ज़रूरी दवाओं की भरपूर उपलब्धता के लिए सुझाव देना, महामारी के दौरान किस तरह की आपात स्थिति पैदा हो सकती है इसका आकलन करना और उससे निपटने के लिए सुझाव देना।तकनीक के बेहतर इस्तेमाल और उपलब्ध स्वास्थय सेवाओं को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने के लिए सुझाव देना, उपलब्ध डॉक्टरों,नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ़ की संख्या को बढ़ाने और उनके बेहतर तरीके से उपयोग करने के लिए सुझाव देना, देश के किसी एक हिस्से में महामारी की रोकथाम के लिए आज़माए तौर तरीकों को देश के अन्य हिस्सों में भी लागू कराने के लिए सुझाव देना तथा राष्ट्रीय स्तर पर महामारी के रोकथाम के लिए सुझाव देना।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट के लिए कमेटी सब ग्रुप गठन करने का भी निर्देश दिया। इसमें एम्स के नि
देशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया अन्य डॉक्टर केंद्र व दिल्ली सरकार के अधिकारी शामिल हैं। इस कमेटी का काम ये जाँच करना है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा आवंटित ऑक्सीजन राज्यों और केंद्र शासित राज्यों तक पहुंचा या नहीं, हॉस्पीटल और हेल्थ केयर संस्थाओं तक ऑक्सीजन पहुचाने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क ठीक था या नहीं, क्या उपलब्ध ऑक्सीजन का वितरण प्रभावी पारदर्शी और प्रोफेशनल तरीके से हुआ। इस सब ग्रुप के भी मैंडेट या टर्म ऑफ रेफरेंस में कहीं नहीं लिखा है कि ये सब ग्रुप दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच करेगा। ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच न हो इसको लेकर केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में झूठ बोलते हुए एक और तर्क पेश किया है कि ये सब-ग्रुप ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करेगी। जबकि इस कमेटी को ये काम सौंपा ही नहीं गया है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये देश के इतिहास में पहली बार है जब कोई केंद्र सरकार जिम्मेदारी लेने के बजाय पल्ला झाड़ते हुए इतना बड़ा फ्रॉड कर रही है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के कुकर्मों से दिल्ली सहित पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी से हज़ारों लोगों की जान गई है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि इसकी जाँच की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि यदि टास्कफोर्स को ही ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जाँच करनी थी तो केंद्र सरकार ने राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का ब्यौरा मांगने का ड्रामा क्यों किया। अप्रैल-मई महीने में केंद्र सरकार के कुप्रबंधन और नरेंद्र मोदी की लापरवाही ने देश में हजारों लोगों ने ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान गँवाई है। जब ऑक्सीजन की कमी से पूरे देश में लोग मर रहे थे तब प्रधानमंत्री बंगाल चुनाव में व्यस्त थे। उन्होंने ने कहा कि केंद्र सरकार और मोदी को ये डर बैठ गया है कि यदि ऑक्सीजन की कमी से होने वाले मौतों की जाँच हुई तो जनता को केंद्र सरकार की लापरवाही और फ्रॉड का पता चल जाएगा। इसलिए केंद्र सरकार अपनी गलतियों और लापरवाहियों पर पर्दा डालने के लिए जाँच नहीं होने दे रही है।
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