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हाथरस की दलित बेटी के परिवार का साथ दिया तो दिल्ली पुलिस ने हाथापाई की, कमरे में बंद कर पीटा, क्या दलित होना, दलित की आवाज उठाना देश में गुनाह है : अजय दत्त

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम और विधायक अजय दत्त ने आज साझा प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हाथरस की दलित बेटी के परिवार का साथ दिया तो दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने आम आदमी पार्टी के विधायक से धक्का-मुक्की की, कमरे में बंद कर पीटा, क्या दलित होना और दलित की आवाज उठाना देश में गुनार हो गया है? आम आदमी पार्टी इस मसले को लेकर एससी/एसटी आयोग जाएगी। पार्टी की मांग है कि जनप्रतिनिधि से मारपीट करने वाले पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाए। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो। विधायक अजय दत्त ने केंद्रीय गृहमंत्री से मांग की कि मेरे साथ मारपीट करने वाले पुलिस अधिकारियों पर केस हो, हाथरस केस की सीबीआई जांच हो। वहीं, दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि दलित बेटी से दुष्कर्म और हत्या की आवाज उठाने पर दिल्ली पुलिस का चुने हुए जन प्रतिनिधि पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए हर कदम उठाएगी। जब जनप्रतिनिधि के साथ पुलिस का यह रवैया है तो आम जनता के साथ क्या हो रहा होगा? राजेंद्र पाल गौतम ने कहा हाथरस केस की सीबीआई जांच हो, दो महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल हो, दोषियों को फांसी की सजा दी जाए, पीड़ित परिवार को दो करोड़ रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य की सरकारी नौकरी दी जाए।

आम आदमी पार्टी के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम और विधायक अजय दत्त ने आज पार्टी मुख्यालय में संयुक्त रूप से एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि 14 सितंबर को हाथरस के अंदर हमारे ही समाज की एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उनकी जीभ काटी गई, उनकी गर्दन की हड्डी को तोड़ दिया गया। उस स्पाइनरी चोट की वजह से उनके हाथ और पैर ने काम करना बंद कर दिया। इस मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस ने प्राथमिक मुकदमा आईपीसी की धारा 307 के तहत दर्ज किया। उस बच्ची को न तो सही इलाज मुहैया कराया गया और जब वह बच्ची 9 दिन में होश में आई, समाज ने और परिवार ने जब दबाव बनाया, तब जाकर के यूपी की पुलिस ने गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया। बच्ची को अच्छा इलाज नहीं मिला। अब से 2 दिन पहले, उस बिटिया को एम्स लेकर आए। यह बहुत ही दुखद है कि एम्स के अंदर नेताओं के लिए तुरंत बेड उपलब्ध हो जाते हैं, वहां उस बच्ची को इलाज करने से मना कर दिया गया और उसे सफदरगंज अस्पताल भेज दिया गया। सफदरजंग में कल सुबह उसकी मौत हो गई।

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि पूरे समाज को इस बात का संदेह था कि यूपी पुलिस पक्षपात कर रही है, ठीक से जांच नहीं कर रही है और हो सकता है कि ये बिटिया के शव को चुपचाप लेकर जाएं। अस्पताल में बच्ची के पिता, भाई, रिश्तेदार और समाज के काफी लोग मौजूद थे, लेकिन वहां एक ऐसी एंबुलेंस लगा दी गई, जिसके आगे नंबर प्लेट भी नहीं थी। हम लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक तरफ किनारे पर खड़े हुए थे, वहां हमारे साथी अजय दत्त जी ने आगे आकर पुलिस को कहा कि यह जो गाड़ी है, उस पर तो नंबर प्लेट भी नहीं है। आप कहां गाड़ी लेकर जा रहे हैं, उनके मां-बाप यहां मौजूद है, रिश्तेदार और समाज के लोग मौजूद हैं। आप बच्ची के शव को उनको क्यों नहीं दे रहे हैं। उसके तुरंत बाद वहां पर संभवतः डीसीपी थे, वह उन्होंने एकदम से अंदर की तरफ तरफ खींच दिया, पुलिस वाले उनको अंदर ले गए और उनके साथ बदसलूकी की गई। वहां कुछ दूरी पर आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज जी भी मौजूद थे। उन्होंने आज मुझे बताया है कि वह जो डीसीपी थे, वो जाति का नाम लेकर कह रहे थे कि इसे मैं देखता हूं। यह बेहद ही शर्मनाक है, एक जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि, एक विधायक के साथ ऐसा हो सकता है तो आम आदमी के साथ क्या होगा।

कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि बच्ची के शव को परिजनों को देना कानूनी रूप से जरूरी है, लेकिन उन्हें देने की बजाय कानून की पूरी योजना करते हुए उन्होंने शव को चुपके से लेकर चले गए और उनके घर वालों को घर में बंद कर दिया गया और रात के अंधेरे में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हम यह मांग करते हैं कि क्षेत्र के जो डीसीपी हैं और पुलिस के अधिकारी एसीपी और एसएचओ वहां मौजूद थे, जिन लोगों ने हमारे सम्मानित विधायक साथी बदसलूकी की है, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही साथ हम यह भी मांग करते हैं इस पूरी इस पूरी घटना की जांच, जो हमारी बच्ची के साथ हुआ, इसकी जांच उत्तर प्रदेश की पुलिस न करे। हमें यूपी पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है, क्योंकि रात को जब हम यूपी पुलिस अधिकारी के अधिकारियों के बयान देखे, वह सुन कर लगा कि यह पक्षपात है और हमें वहां से न्याय की कोई उम्मीद नहीं है।

गौतम ने कहा कि हम मांग करते हैं कि इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। एक समय सीमा के अंदर कराई जाए। दो महीने के अंदर इसकी चार्जशीट दाखिल की जाए और उसके बाद फास्ट ट्रैक बनाकर दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। हम यह भी मांग करते हैं कि पीड़ित परिवार को दो करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। उनके परिवार के एक सदस्य की सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही उस परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए, क्योंकि वहां पर सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं है। मृतक लड़की का भाई और परिवार पूरी तरह से डरा हुआ है। परिवार ने हमें बताया कि उनको लगातार धमकियां मिल रही हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें कोई न्याय नहीं मिलने वाला है। उन्हें डर है कि कहीं उनके साथ कोई बड़ी वारदात न कर दी जाए। इसलिए उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

वहीं, ‘आप’ विधायक अजय दत्त मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कल जब हम सफरदजंग अस्पताल गए तो वहां लोगों ने बताया कि बेटी का पीड़ित परिवार है, उसके साथ पुलिस अभद्रता कर रही है। उनको बॉडी नहीं दे रही है और उसी समय बॉडी ले जाने के लिए एक बिना नंबर प्लेट की एंबुलेंस वहां लाकर खड़ी कर दी गई। हमने उनसे पूछा कि ये बॉडी कहां लेकर जा रहे हैं तो उन्होंने बतदमीजी शुरू की और कहा कि तुमसे क्या मतलब है। पहले एसएचओ ने फिर एसीपी आए वो बदतमीजी करने लगे। फिर डीसीपी आए और वो बदतमीजी करने लगे। डीसीपी ने पकड़ के हाथ में धक्का देकर और गालियां देते हुए कहा कि इसको ले जाओ और इसको नेता बनाते हैं। इसके बाद मुझे एसीपी और कुछ पुलिस वाले अंदर ले गए। मेरा कालर पकड़ कर मेरे साथ बदतमीजी करते हुए थप्पड़ मारे और लात मारी और बाहर की तरफ धकेल कर भगा दिया। उन्होंने कहा कि मैं दलित समाज से आता हूं, मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि कोई भी दलित समाज का व्यक्ति या बेटी या कोई भी बेटी जो पीड़ित है, उसके परिवार के साथ खड़ा रहूं। उनको संताव्ना देना, उनके दुख में खड़ा होना मेरी जिम्मेदारी है। अगर हम उनके दुख को बांटने गए हैं, तो पुलिस वहां पर नया प्रपंच रच रही है, छुपा कर शव ले जाने की कोशिश कर रही है, जो पीड़ित परिवार है उसको शव लेने का हक था। उसे शव नहीं दी जा रही है और एसीपी, डीसीपी, एसएचओ सब मुझे जानते हैं कि मैं दूसरी बार विधायक बना हूं। इसके बावजूद उन्होंने इतनी बदतमीजी की है और मारपीट की। जिसकी वीडियो आपके पास पहले ही आ चुकी है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस क्या चाहती है? क्या इस देश में कोई कानून व्यवस्था नहीं है? क्या इस देश में दलितों को, गरीबों को कानून के तहत न्याय मिल सकता है या सिर्फ जो बड़े- बड़े सांसद या भाजपा के एमपी हैं, उनके लिए सारी सुरक्षा और न्याय है। यदि किसी बेटी के साथ इतनी बर्बरता पूर्ण अपराध किया जा रहा है, उस परिवार को संताव्ना देने की बजाए, पीड़ित किया जा रहा है और हम जैसे जनता के प्रतिनिधि हैं, उन लोगों के साथ हम अगर उनसे प्रश्न पूछ रहे हैं, तो मारपीट की जा रही है। मैं देश के गृहमंत्री अमित शाह जी से और पुलिस कमिश्नर से अनुरोध करता हूं कि इस मामले में डीसीपी, एसीपी और एसएचओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित करें और इस पूरे केस की सीबीआई जांच हो। इन अधिकाािरयों को यह संदेश दे दिया जाए कि अगर किसी भी चुने हुए जन प्रतिनिधि या विधायक के साथ पुलिस इस तरीके का बर्ताव करती है, जिन्हें वो जानती है, तो वह आम आदमी के साथ दिन रात क्या करती होगी। मेरी मांग है कि उस पीड़ित बेटी के साथ पूरा न्याय हो। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से उन्होंने मेरे साथ अभद्रता का व्यवहार किया है, इसके लिए हम चुप नहीं बेठेंगे और हम अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट, दिल्ली

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