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क्या राजधानी दिल्ली में 46 लाख लोगों को हुआ था कोरोना?

नई दिल्ली : दो दिन पहले दिल्ली कोरोना  को लेकर सीरो सर्वे की रिपोर्ट आई, इसमें पाया गया कि यहां 23,48 फीसदी लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, ये सर्वे रैंडम सैंपलिंग के आधार पर किया गया, दिल्ली की आबादी 2 करोड़ के आस-पास है, यानी इस सर्वे के मुताबिक दिल्ली के करीब 46 लाख लोगों को कोरोना हुआ था, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली के लोग अपने-आप ठीक कैसे हो गए, बता दें कि इस सर्वे के तहत लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं, सैंपल से ये पता लगाया जाता है कि कितने लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडी बनी हैं, कोरोना से हुए संक्रमण का अंदाजा लगाने के लिए मोदी सरकार ने देश के इन 11 प्रभावित शहरों के कंटेनमेंट जोन में सीरो सर्वे करवाया था, जिसका मकसद ये अंदाजा लगाना था कि इन जगहों की आबादी पर कोरोना का कितना असर हुआ है.

सीरो सर्वे के नतीजों के आधार पर माना जा रहा है कि दिल्ली में बहुत से लोगों में हर्ड इम्यूनिटी तैयार हो गई है, ऐसे में आने वाले दिनों में यहां पर कोरोना के नए मामलों की संख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है, ऐसा हो भी रहा है, दिल्ली में बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,227 नए मामले सामने आने के बाद शहर में संक्रमितों की कुल संख्या 1,26,323 हो गई है, जून के महीने में यहां हर रोज़ 3 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे.

हर्ड इम्यूनिटी वो प्रतिरोधक क्षमता है जो जनसंख्या के बड़े हिस्से में किसी बीमारी से जूझते हुए विकसित होती है, चाहे वायरस के संपर्क में आने से हो या फिर वैक्सीन से, कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत से लोगों के शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता समय के साथ ही विकसित हो जाती है, अगर कुल जनसंख्या के 75 प्रतिशत लोगों में ये प्रतिरक्षक क्षमता विकसित हो जाती है तो हर्ड इम्युनिटी माना जाता है, फिर चार में से तीन लोग को संक्रमित शख्स से मिलेंगे उन्हें न ये बीमारी लगेगी और न वे इसे फैलाएंगे.

AIIMS के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली ने अपना पीक यानी उच्चतम स्तर को संभवतः पार कर लिया है, उन्होंने कहा, ‘अगर दिल्ली के आंकड़ों को देखें तो इससे संकेत मिलते हैं कि कर्व फ्लैट हो रहा है और शायद ट्रेंड नीचे की ओर जा रहा है, इसलिए इसकी संभावना है कि हमने पीक यानी उच्चतम स्तर पार कर लिया है, लेकिन अन्य शहरों और यहां तक कि अमेरिका में भी इस ट्रेंड को देखते हुए पीक लाइन को पार करने का मतलब ये नहीं है कि हम सुरक्षा संबंधी उपायों पर अमल करने में किसी तरह की ढील करें.

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