डॉ सरफ़राज़ सैफी
(न्यूज़ एंकर/वरिष्ठ पत्रकार)
दिल्ली में बीजेपी का 27 साल का वनवास अब पूरी तरह से खत्म हो गया है वैसे तो ये वनवास 8 फरवरी को ही रिजल्ट आने के साथ ही खत्म हो गई थी,लेकिन अब दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन गई है और इसकी कमान रेखा गुप्ता के हाथों में है। शालीमार बाग सीट से पहली बार की विधायक बनीं रेखा गुप्ता ने दिल्ली के रामलीला मैदान में शपथ ली।इसके साथ ही रेखा गुप्ता दिल्ली की 9वीं और चौथी महिला सीएम बन गई हैं।रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण के दौरान बीजेपी ने अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया।मंच पर बीजेपी शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का जमावड़ा था खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी थी।गृह मंत्री अमित शाह अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के अलावा केंद्र सरकार की पूरी मंत्रिमंडल की मौजूदगी थी।इसके आलावा एनडीए के कई बड़े नेता भी मौजूद रहे। इसके अलावा बीजेपी के समर्थकों से भरा पूरा रामलीला मैदान था। दिल्ली की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में रामलीला मैदान भगवामय हो गया। कार्यक्रम के दौरान भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे हवा में तैरते रहे यानी बीजेपी ने इस शपथ ग्रहण के जरिए अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया।क्योंकि 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता मिली है तो ये शपथ भी बेहद खास था। 8 फरवरी को नतीजों के साथ शुरू हुआ जश्न शपथ ग्रहण तक चलता रहा।अब काम की बारी है और उसकी शुरूआत यमुना मईया के घाट से हो गई दिल्ली में बीजेपी की टिम सीएम की अगुआई में पूरी तरह से एक्शन में आ चुकी है ।यमुना के वासुदेव घाट से हुई जहां पूरी कैबिनेट के साथ सीएम रेखा गुप्ता ने आरती की।यमुना नदी की सफाई बीजेपी की प्राथमिकता में शामिल है और इस आरती के जरिए नई बनीं सीएम ने ये जाहिर कर दिया दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए बीजेपी की सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
दिल्ली में यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है दिल्ली चुनाव में ये मुद्दा काफी बड़ा था और बीजेपी ने यमुना को साफ करने की कसम खाई थी।उसी भरोसे पर जनता ने वोट दिया और अब जमीन पर काम शुरू हो चुका है।दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने से पहले ही यमुना नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया गया था। यमुना सफाई में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, 4 प्वाइंट स्ट्रैटेजी पर काम हो रहा है दावा किया जा रहा है कि अगले तीन महीने के अंदर दिल्ली में यमुना साफ हो जाएगी। LG ऑफिस के मुताबिक यमुना की सफाई चार चरणों में होगी। पहले चरण में नदी से कचरा और गाद हटाई जाएगी ।साथ ही नजफगढ़ ड्रेन, सप्लीमेंट्री ड्रेन और दूसरे बड़े नालों की सफाई भी होगी।इसके अलावा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की निगरानी रखी जाएगी।
रेखा गुप्ता ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली।इनमें अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह शामिल है। ये सात चेहरे दिल्ली की नई सरकार की है इन सात चेहरों पर बीजेपी ने बड़े सोच समझ कर दांव लगाया है।11 दिनों के मंथन के बाद इन सात चेहरों पर पीएम मोदी ने दांव खेला है।दिल्ली में एक मुख्यमंत्री और 6 मंत्री को पीएम मोदी ने बहुत सोच समझ कर चुना है एक-एक मंत्री पर पीएम मोदी ने बहुत आगे का दांव लगाया है। एक-एक मंत्री को चुनते वक्त बीजेपी ने तमाम कॉम्बिनेशन जाति समीकरण सभी चीजों का बहुत बारीकी से ध्यान रखा गया है।
वैसे तो दिल्ली सिर्फ 70 विधानसभा सीटों वाला छोटा सा राज्य है ।लेकिन देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली पर सबकी नजरें रहने वाली है इस लिए रेखा गुप्ता की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। दूसरे किसी भी मुख्यमंत्री की तुलना में रेखा गुप्ता पर फोकस ज्यादा रहेगा।
देश में 50 फीसदी महिला वोटर और महिलाए पीएम मोदी को पसंद करती है बीजेपी को बढ़-चढ़ कर वोट करती है। चाहे वो महाराष्ट्र की जीत हो, हरियाणा की जीत हो या फिर दिल्ली की जीत सब में महिलाओं ने बीजेपी के जीत में अहम भूमिका निभाई है।और बीजेपी के 20 राज्यों में अभी तक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं थी तो महिलाओं को साधने के लिए बीजेपी ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाया।रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं वैश्य वोटर्स को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है।अरविंद केजरीवाल के सीएम बनने के बाद दिल्ली में इस समुदाय का झुकाव आम आदमी पार्टी के तरफ गया था। लेकिन इस चुनाव में वैश्य समुदाय ने बीजेपी को भरपूर सहयोग दिया। इसके अलावा वर्तमान में बीजेपी शासित राज्यों में कोई भी बनिया समुदाय से सीएम नहीं था। लेकिन अब बीजेपी ने साफ संदेश देने काप्रयास किया है कि पार्टी सभी को साथ चलेगी आने वाले दिनों में बिहार में चुनाव होने है वहां भी 3 फीसदी के करीब बनिया वोटर हैं।रेखा गुप्ता एक युवा नेता हैं, जिनका कोई राजनीतिक खानदान नहीं हैं पीएम मोदी हमेशा परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर वार करते रहते हैं।अगर प्रवेश वर्मा को दिल्ली का सीएम बनाया जाता तो एक गलत मैसेज जाता। क्योंकि प्रवेश वर्मा के पिता दिल्ली के सीएम रह चुके है तो रेखा गुप्ता को सीएम बना के एक तो युवाओं को भी साधने की कोशिश की गई और दूसरा ये कि परिवारवाद पर भी ये गहरी चोट है।
प्रवेश गुप्ता का चुनावी डेब्यू ही 2013 में हुआ था जब वह पहली बार मेहरौली सीट से विधायकी का चुनाव जीते थे। वह भी संघ से जुड़े रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं और बीजेपी से ही राजनीतिक सफर का आगाज किए लेकिन रेखा गुप्ता का संघर्ष और अनुभव उनकी सीएम दावेदारी पर भारी पड़ा। रेखा गुप्ता तीन दशक से अधिक समय से संघ से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने साल 2002 में बीजेपी तब जॉइन की थी जब दिल्ली में शीला दीक्षित की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार था।रेखा गुप्ता को सीएम बनाने से बीजेपी के कार्यकर्ताओं में ये सीधा संदेश गया कि पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को इनाम दिया जाता है।इसका सीधा मकसद संगठन की ताकत पर जोर देना है।पांचवीं वजह है नए वोटबैंक की जगह कोर को जोड़े रखने पर फोकस। बीजेपी ने अब अपनी रणनीति बिलकुल साफ कर दी है कि पार्टी नए जाति वर्ग को साथ लाने के लिए जोर लगाने की जगह अब अपने कोर वोटबैंक को साधे रखने पर अधिक फोकस के साथ आगे बढ़ेगी।
बीजेपी का जाट चेहरा हैं क्योंकि हरियाणा में लगातार ये कहा जाता है कि हरियाणा में जाटों को नजअंदाज कर रहे हैं। जाट वोट बैंक को को दरकिनार कर रहे हैं तो कही ना कही जाटों को ये मेसेज देने की कोशिश की गई है।राजस्थान-यूपी में भी जाट वोटर तो उनको भी साधने की कोशिश की गई है।कही ना कही 2027 को भी टारगेट पर रखा गया है। क्योंकि कहा जाता है कि जाटों की नाराजगी के वजह से ही बीजेपी को यूपी में लोकसभा चुनाव में सीटें घट गई। तो जाटों के मन में जो कुछ भी है बीजेपी को लेकर उसको भी जाट नेता को प्रमोट करके एक मेसेज दिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरिवाल को हराया हैं ऐसे में उनका कद निश्चित तौर पर उनका कद बढ़ जाता हैं। वैसे भी प्रवेश वर्मा दो बार 2014 और 2019 के आम चुनाव में साउथ दिल्ली सीट से सांसद भी चुने गए थे।तीसरा नाम है आशीष सूद जो संगठन के बेहद करीबी माने जाते हैं लगातार जिम्मेदारी निभाते रहते हैं अपने क्षेत्र में काफी साफ सुथरी छवि हैं।पढ़े-लिखे हैं।पंजाबी बनिया हैं पंजाबी हिंदूओं पर उनका एक अलग असर माना जाता है।दिल्ली बीजेपी के पुराने नेता हैं एबीवीपी से तालुक रखते हैं। जिस सीट से आशीष जीत कर आए हैं उस सीट पर बीजेपी की पकड़ अच्छी रहती थी तो वहां पर एक बार फिर से बीजेपी उस सीट पर अपना पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी।पंजाबी वोटरों पर असर डालने वाले एक और नेता है नाम है मनजिंदर सिंह सिरसा। ये पंजाब चुनाव में काम आएंगे और कहा जाता है कि पीएम मोदी के ये बेहद करीबी है।सिख समाज में अच्छी खासी पैठ हैं अकाली रुट को समझते हैं।गुरुद्वारा पॉलिटिक्स का अनुभव है और जो चुनाव होने वाला है।उसके मद्दे नजर उनका पहला टेस्ट होने वाला है।अब बात रविंद्र इंद्राज सिंह की रविंद्र इंद्राज सिंह को कैबिनेट बनाने के पीछे दलित वोट को साधने की कोशिश है दलित वोट बेहद खास है। देश में 16 फीसदी दलित वोट बैंक है।बीजेपी के साथ शुरूआत से जुड़े रहे हैं,बीजेपी एससी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य है सुरक्षित सीट से जीते उस सीटों में पैठ बनाना इनके लिए एक बड़ा चुनौती का काम है।
अब बात कर लेते हैं कपिल मिश्रा की कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी से 2019 में बीजेपी में शामिल हुए।पूर्वांचली ब्राह्मण हैं कट्टर हिंदुत्ववादी केजरीवाल के कट्टर विरोधी हैं। सदन के भीतर भी जब कोई मुद्दे उठेंगे तो कपिल मिश्रा अपने तल्ख तेवर में आवाज उठाते नजर आएंगे।एक और पूर्वांचली चेहरे की बात करते हैं डॉक्टर पंकज कुमार सिंह सॉफ्ट पूर्वांचली चेहरा हैं बक्सर के राजपूत हैं।बिहार में आने वाले दिनों में चुनाव है वहां काम आएंगे।दिल्ली में भी बीजेपी के जीत में पूर्वांचलियों का बड़ा रोल रहा हैं।बिहार में राजपूत जाति काफी अहम हैबिहार में राजपूतों की आबादी 3.45% है यानी दिल्ली से सीधा बिहार को साधा गया है।
तो मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सभी के नाम चुनने में कास्ट फैक्टर को साधा गया है। अहमियत उन लोगों को दी है जो साफ सुथड़ी छवि वाले नेता है और युवा मंत्री मंडल है। यानी इस मंत्रिमंडल के जरिए बीजेपी ने ये सियासी संदेश देने की कोशिश की है, कि एक राज्य को फतह करने के बाद दूसरे राज्य को फतह करने में जुट गई है।यहीं वजह है कि शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी ने एनडीए नेताओं के साथ बैठक की।बैठक में सभी ने प्रधानमंत्री मोदी को दिल्ली जीत पर बधाई दी तो पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले डेढ़ साल में सभी चुनाव को चाहे बिहार हो बंगाल हो सभी राज्यों में मजबूती से लड़ेगी। एक चुनाव को खत्म होते ही दूसरे चुनाव को जीतने में बीजेपी अभी से जुट गई है।
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