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अगस्त में लांच होगी रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना की सुपरसाइट और मोबाइल लैब: गोपाल राय

अगस्त में लांच होगी रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना की सुपरसाइट और मोबाइल लैब: गोपाल राय

नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगाने की गति को और तेज़ करने के लिए आज दिल्ली सचिवालय में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की अध्यक्षता में रीयल-टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक की गई। इस बैठक में डीपीसीसी ,आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टेरी के विशेषज्ञ और अधिकारी मौजूद रहे। रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना की पहली सुपर साइट एसकेवी, पंडारा रोड में बनाई जा रही है। दिल्ली में अगस्त में रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना की सुपरसाइट और मोबाइल लैब को लांच किया जाएगा।
समीक्षा बैठक के बारें में जानकारी देते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि आज डीपीसीसी आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, टेरी की टीमों के साथ रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट अध्ययन और प्रदूषण पूर्वानुमान परियोजना को लेकर दिल्ली सचिवालय में समीक्षा बैठक की गई। इसमें आईआईटी कानपुर की टीम ने अवगत कराया कि दिल्ली में प्रदूषण के वास्तविक स्रोतों का पता लगाने के लिए सुपर साइट की स्थापना जल्द हो जाएगी। जिसके तहत एसकेवी ,पंडारा रोड में सुपर साइट का निर्माण किया जाएगा। सुपरसाइट 36 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाई जाएगी। इसके साथ ही दिल्ली में अगस्त से प्रदूषण के रियल टाइम कारकों का पता लगेगा, जिससे प्रदूषण के उस सोर्स को नियंत्रित करने की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि इस तरह की परियोजना से दिल्ली वायु प्रदूषण का वास्तविक समय स्रोत विभाजन करने वाला पहला शहर बनेगा। रीयल-टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट परियोजना दिल्ली में किसी भी स्थान पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने में मदद करेगी। यह वाहन, धूल, बायोमास जलने, पराली जलाने और उद्योग उत्सर्जन जैसे विभिन्न प्रदूषण स्रोतों के वास्तविक समय के प्रभाव को समझने में मदद करेगी। इसके परिणामों के आधार पर दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्रोतों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठा सकेगी। इससे दिल्ली के प्रदूषण के विभिन्न कारकों की पहचान करने और उनको दूर करने में मदद मिलेगी। प्रदूषण पूर्वानुमान प्राप्त होने से सरकार को निर्माण स्थल पर प्रतिबंध, वाहनों पर प्रतिबंध सहित अन्य नीतिगत निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी।

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