नई दिल्ली। दिल्ली सचिवालय में शहीदे आजम भगत सिंह के जन्म दिन पर भगत सिंह का राष्ट्रवाद विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि भगत सिंह के राष्ट्रवाद से ही भारत नंबर वन बन सकता है। भगत सिंह का राष्ट्रवाद सबको जोड़कर चलना सिखाता है। युवाओं के लिए भगत सिंह के विचार जितने जानना जरूरी है, उतने ही उनके बलिदान के बारे में भी जानना जरूरी है। राष्ट्रवाद को मजबूत करने की सूत्रधार ही शहीदे आजम भगत सिंह की विचारधारा है।
शहीदे आजम भगत सिंह के जन्म दिन के अवसर पर मंगलवार को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिल्ली सचिवालय में भगत सिंह का राष्ट्रवाद विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, अंबेडकर विश्वविद्यालय और जामिया मीलिया विश्वविद्यालय के राज मनी श्रीवास्तव, प्रो. गीता सहारे, प्रो. दलजीत कौर, प्रो. एस इरफान हबीव, प्रो. चन्द्र पाल सिंह, डा. कुमकुम श्रीवास्तव, डा. समीना बानो, प्रो. चमन लाल, प्रो. सलील मिश्रा सहित अन्य रिसर्च स्कालर ने संगोष्ठी में इस विषय पर विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर दिल्ली के सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि भगत सिंह के राष्ट्रवाद से ही भारत नम्बर वन बन सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निर्माण के लिए जन सहभागिता जरूरी है। भगत सिंह का राष्ट्रवाद सबको जोड़कर चलना सिखाता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद नौजवानों के लिए नया शब्द नहीं है, 24 घण्टे जितने भी प्रचार के माध्यम हैं, जितने भी प्रचार के तंत्र हैं, उस पर ग्रास रूट तक राष्ट्रवाद की चर्चा हो रही है। रिसर्च स्कालर को हमने इसलिए आज बोलने के लिए आमंत्रित किया कि कोई विचार लोगों के दिमाग पर छाने लगता है और समाज को एक अंधी गली में ले जा रहा है, उसके समाधान का रास्ता विचार और चिंतन से ही निकलेगा। भारत के सामने राष्ट्रवाद की दो धाराएं हैं। लेकिन आमतौर पर जितने स्कालर हैं, जितनी पुस्तके हैं, राष्ट्रवाद के उदय के रूप में यूरोप के अंदर पैदा हुए राष्ट्रवाद को प्रमुख रूप से रेखांकित करती हैं। राष्ट्रवाद का उदय यूरोप में होता है जिसमें एक भाषा, एक धर्म के आधार पर गोलबंदी होती है और उससे राष्ट्र मजबूत होता है।
मंत्री गोपाल राय ने कहा कि मैंने जितना अध्ययन किया, उसके आधार पर मैंने पाया कि दुनिया के अंदर दो तरह का राष्ट्रवाद पहले ही दिन से पैदा हुआ। एक राष्ट्रवाद वो यूरोप के देशों के अंदर जो दूसरे देशों को गुलाम बनाते हैं। दूसरा राष्ट्रवाद है गुलाम देशों के अंदर का राष्ट्रवाद। इसलिए जर्मनी के अंदर जो राष्ट्रवाद पैदा होता है, इग्लैंड के अंदर जो राष्ट्रवाद पैदा होता है, फ्रांस के अंदर जो राष्ट्रवाद पैदा होता है , इटली के अंदर जो राष्ट्रवाद पैदा होता है वो राष्ट्रवाद भारत का राष्ट्रवाद नहीं है। जर्मनी के अंदर जो राष्ट्रवाद पैदा होता है उसके एक समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा करके बहुमत को संगठित करो और उस आधार पर वर्चस्व कायम करो, उसकी मूल में है नफरत। भारत का राष्ट्रवाद गुलाम देशों का राष्ट्रवाद है। भारत के अंदर विविधता है। भारत के अंदर मुगलों की विरासत है, भारत के अंदर अलग-अलग राजाओं की विरासत है, भारत के अंदर जमींदारों की विरासत है।
उन्होंने कहा कि भारत के अंदर मराठों की विरासत है। भारत के अंदर जब 1857 का राष्ट्रवाद उदय होता है तो उसका मूल मंत्र है कि उसे साम्रराज्यवाद के खिलाफ लड़ना है। गुलामी के खिलाफ कोई समाज कोई भी राष्ट्र एकत्रित होकर लड़ता है और उसकी अनिवार्य शर्त है मोहब्बत। युवाओं के लिए भगत सिंह के विचार जितने जानने जरूरी है, उतने ही उनके बलिदान के बारे में भी, विचार और बलिदान के सामंजस्य से ही राष्ट्रवाद का मुख्य प्रारूप सामने आता है। भगत सिंह राष्ट्रवाद के प्रतीक हैं और उनके व
िचार राष्ट्रवाद को मजबूत करने के साथ-साथ नौजवानों को देश के प्रति प्रेम, कुर्बानी और त्याग की सीख देते हैं। भगत सिंह सच्चे राष्ट्रवादी और समाजवादी हैं।
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