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यदि कृषि सुधार कानूनों से विरोध है तो दिल्ली सरकार ने एक कानून को अधिसूचित क्यों किया: बिधूड़ी

नयी दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सवाल किया है कि केंद्र सरकार से पारित तीन कानूनों से यदि उन्हें वाकई कोई दिक्कत है तो यह बताना चाहिए कि आखिर इनमें से एक ‘उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं) कानून को लागू किये जाने की अधिसूचना क्यों जारी की और बाकी दो पर भी विचार करने की बात क्यों कही?

बिधूड़ी ने गुरुवार को आयोजित दिल्ली विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की तरफ से पेश संकल्प का विरोध करते हुए कहा कि सच बात तो यह है कि तीनों ऐतिहासिक कृषि कानूनों को पूरे देश ने व्यापक समर्थन दिया है। यही वजह है कि इन कानूनों के आने के बाद भाजपा ने बिहार विधानसभा का चुनाव जीता और पूरे देश में हुए विधानसभा के उपचुनावों में गुजरात की सभी आठ सीटें, उत्तर प्रदेश की सात में से छह सीटें, कर्नाटक की दो की दो सीटें,मध्यप्रदेश की 28 में से 19 सीटें और मणिपुर की सभी पांचों सीटों पर विजय दर्ज की। इतना ही नहीं, पार्टी ने राजस्थान के जिला परिषद एवं पंचायत चुनावों में भी जीत दर्ज कर उस मिथक को भी तोड़ दिया कि ऐसे चुनावों में राज्य के सत्ताधारी दल को ही जीत मिलती है।

नेता विपक्ष ने कहा कि श्री मोदी की सरकार द्वारा बनाये गए कृषि कानून किसानों के जीवन में खुशहाली लेकर आएंगे। नई तकनीकों के प्रयोग से कृषि उत्पादन बढ़ेगा, किसानों की आय बढ़ेगी और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को लेकर जो भी आशंकाएं थीं, उन्हें गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने किसानों से बातचीत के बाद दूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगा, मंडियों का विस्तार किया जाएगा, हर हालत में किसान ही जमीन का मालिक रहेगा और किसी भी विवाद की सूरत में किसान अदालत जा सकेगा। उन्होंने किसानों से विनम्र अपील भी की कि अब उन्हें अपना आंदोलन वापस ले लेना चाहिए।

बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री से पूछा कि उन्होंने घोषणा करने के बावजूद दिल्ली में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को क्यों नहीं लागू की, 2616 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं और 2737 रुपये प्रति क्विंटल धान की खरीद क्यों नहीं की। उन्होंने यह भी पूछा कि दिल्ली में किसानों को सबसे महंगी बिजली क्यों दी जाती है, उन्हें ट्यूबवेल लगाने की अनुमति क्यों नहीं दी जाती और केजरीवाल सरकार ने अपने छह साल के कार्यकाल में किसानों की जमीन का मुआवजा क्यों नहीं बढ़ाया। उनको अल्टरनेटिव रेजिडेंशियल प्लाट नहीं दिए जा रहे और उनका दाखिल खारिज भी नहीं हो रहा।

नेता विपक्ष ने मुख्यमंत्री से यह भी पूछा कि हरियाणा की तरह दिल्ली में किसानों को कृषि उपकरणों पर सब्सिडी क्यों नहीं दी जाती और वायदा करने के बावजूद गांवों का लाल डोरा क्यों नहीं बढ़ा तथा 81ए और 33ए को क्यों नहीं हटाया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि पराली से खाद क्यों नहीं बनाई जा रही और किसानों पर मुकदमे क्यों दर्ज किए जा रहे हैं। उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना क्यों किया जा रहा है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि दिल्ली में किसान क्रेडिट योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, स्वाइल कार्ड योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि क्यों नहीं लागू की गई। इसी प्रकार जैविक खेती को बढ़ावा क्यों नहीं दिया गया और संस्थागत ऋण क्यों नहीं दिये गए।

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