विश्वविद्यालय इनोवेटिव पर ध्यान देते हैं तो सरकार पैसे की कमी नहीं होने देगी: मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली। किसी भी देश के विकास की रफ्तार उसके समाज की विषमताओं को सुधारने के लिए यूनिवर्सिटी व कॉलेज में रिसर्च में हो रहे कार्य से मापी जा सकती हैं। इसी उद्देश्य के अंतर्गत उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को राज्य के विश्वविद्यालयों की शोध परियोजनाओं की समीक्षा की और उन्हें इनोवेटिव शोध कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
दिल्ली में राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों के बारे में बोलते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, वर्षों से राज्य विश्वविद्यालयों ने संस्थानों के रूप में अधिक से अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है। लेकिन अब उन्हें उन शोध परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो, विश्व के विश्वविद्यालयों के लिए मील का पत्थर स्थापित कर सकें। तेजी से बदलती इस दुनिया में उन्हें ऐसे शोध पर ध्यान देने की जरूरत है जो समाज की समस्याओं का तत्काल समाधान दे सकें।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से बात करते हुए कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय राज्य सरकार की एक विस्तारित शाखा के रूप में काम कर रहे हैं, अध्ययन कर रहे हैं और समय-समय पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इससे सरकार को कई जन-केंद्रित निर्णय लेने में मदद मिली है। लेकिन अब उन्हें दुनिया भर की बड़ी समस्याओं के बारे में सोचने और उन पर इनोवेटिव शोध करने की जरूरत है। उन्होंने कुलपतियों को आश्वासन दिया कि केजरीवाल सरकार इनोवेटिव अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और अगर विश्वविद्यालयों इनोवेटिव विचारों पर ध्यान केंद्रित करती हैं तो सरकार से धन की कोई कमी नहीं होगी।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, हमारा उद्देश्य हमारे विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय संस्थानों के रूप में विकसित करना है और यह केवल दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के साथ इनोवेटिवे शोध में सहभागिता के माध्यम से ही संभव है। सरकार समान विषयों की परियोजनाओं पर राज्य के विश्वविद्यालयों को एक दूसरे के साथ सहयोग करने में मदद करने के लिए एक एकीकृत तंत्र भी स्थापित करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे उत्पादों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो विदेशी उत्पादों पर निर्भरता को कम कर सके।