देवबंद-यूपी (हिंद न्यूज़) जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दारुल उलूम देवबंद, जमीयत उलमा-ए-हिंद और तब्लीगी जमात को तालिबान से जोड़ने वाले प्रवीण तोगड़िया के विवादित बयान का जवाब देते हुए कहा की परवीन तोगड़िया ने ये नही बताया की तालिबान जमीयत का क्या लगता है। जमीयत को तालिबान से जोड़ना सरासर गलत है। तब्लीगी जमात ऐसी धार्मिक जमात है।
जमात ऐसी बात बताती है जो की ज़मीन के नीचे की होती है। मौत के बाद किस चीज़ का जवाब देना होगा ओर अपनी कब्र के अंदर किस तरह चैन ओर सुकून से रह सकेगें, या आसमान के ऊपर की बात बताती है की मौत के बाद किस तरह जन्नत में पहुचेंगे किस तरह जहन्नुम से बच सकते हैं। बाकी जमात को कुछ नही पता दुनिया मैं क्या हो रहा है।
न जमात अपने आप को दुनियावी झगड़ो मैं डालती है। तालिबान से जमात का रिश्ता ओर संबंध जोड़ना सरासर गलत है। ये यकीन के काबिल बात नही है।
उन्होंने आगे कहा कि तोगड़िया कहते है कि दारुल उलूम देवबंद को बन्द कर दिया जाए लेकिन आपको हमारे इतिहास के बारे में मालूम नही है।
उन्होंने कहा की दारुल उलूम 1866 में जब बना जब 1857 के लड़ाई जिसमें हिन्दू मुस्लिम शामिल थे उसमे शिकस्त हो गयी थी। खास तौर पर जो मुस्लिम गुलामी के खिलाफ लड़ रहे थे उनको चुन चुन कर दिल्ली केंद्र पर फांसी दे दी गयी। 33 हज़ार उलेमा को दिल्ली के अंदर कत्ल किया गया लालकिला से लेकर जामा मस्जिद तक उनको पेड़ों पर लटका दिया गया। उसके बाद दारुल उलूम को बनाया गया दारुल उलूम के बड़े बड़े सपूतो ने अंग्रेजो से लोहा लिया था।
तोगड़िया नही जानते शेखुल हदीस मौलाना महमूद हसन यही से पढ़कर निकले थे। जिनको मिस्टन कहा करता था की अगर शेखुल हदीस को जलाकर राख कर दिया जाए तो उसकी राख से भी अंग्रेजो से दुश्मनी की बु आएगी। अंग्रेजो ने उनको गिरफ्तार कर मार्टा जेल में भेज दिया था। मार्टा की जेल में शैखुल हदीस चार साल रहे। वो दारुल उलूम देवबंद से ही पैदा हुए थे।
मार्टा की जेल में जाने वाले मौलाना उज़ैर, हकीम नुसरत हुसैन गाज़ी भी देवबंद के तालिब ए इल्म थे। जिनकी मौत मार्टा जेल में हो गयी थी। मार्टा की जेल में ही उनकी कब्र है। अंग्रेजो ने उनसे कहा था की हम आपको माफ़ कर देंगे आप अपने वतन लौट जाएं। लेकिन उन्होंने कहा था की मुझे मरना मंजूर है लेकिन ये मंजूर नही की मैं एक अंग्रेज से माफी मांग कर जाऊं। मौलाना मदनी भी दारुल उलूम से पढ़े हैं। मौलाना वहीद अहमद भी मार्टा की जेल में रहे।
दारुल उलूम ने जिन लोगो को पैदा किया है उन लोगों ने मुल्क की आज़ादी के लिए अपने आप को कुर्बान कर दिया। मैं तोगड़िया से पूछना चाहता हूं की आप दारुल उलूम को बन्द करवाना चाहते हैं। लेकिन पहले ये बताइए की आपने इस मुल्क की आज़ादी ओर गुलामी की जंज़ीरों को तोड़ने के लिए क्या काम किया है। ओर आपके पूर्वजो ने क्या काम किया है। आज आप लोगो को आज़ाद देश पकी पकाई रोटी की तरह मिल गया है। ओर आप इसमे डॉक्टर परवीन तोगड़िया बने बैठे हैं।
आपको इतिहास उठाकर देखना चाहिए जिन लोगो ने देश की आज़ादी के लिए अपने आपको कुर्बान कर दिया और 9,10 साल जेल के अंदर रहे। मौलाना मदनी सहारनपुर, माल्टा, मुरादाबाद, बरेली, नैनी तथा साबरमती जेल में रहे। मौलाना अब्दुर्रहमान भी जेल में रहे। इन सबको दारुल उलूम ने पैदा किया था। आप कोई मिशाल पेश करें और बताएं की आपने मुल्क की आज़ादी के लिए क्या किया क्या कुर्बानीयां दी।
एक आज़ाद मुल्क आपको मिल गया आपको आगे बढ़ा दिया गया ओर आप आगे बढ़कर ये बात कर रहे जो की हकीकत के ख़िलाफ़ है। आपने ये नही बताया कि तालिबान का जमीयत उलमा ए हिन्द से क्या रिश्ता है। मौलाना मदनी जमीयत के सदर थे तकरीबन 10 साल जेल के अंदर रहे देश के अंदर आज भी जमीयत का एक नाम है। ओर जमीयत मजहब की बुनियाद पर दो कोमी नज़रिए को नही मानती इस मुल्क में बसने वाले हिन्दू मुस्लिम सब एक कोम हैं।
जमीयत जो काम करती है उसमे हिन्दू मुस्लिम से भेदभाव नही करती हम आज भी काम कर रहे हैं। हमने केरला में मकान बनाकर दिए, हमने उन मकानों में कुछ नही देखा सभी हिन्दू मुस्लिम को मकान बनाकर दिए। तोगड़िया आप साबित करें की आपने पीड़ित हिंदुओ के लिए क्या काम किया ओर कितने पीड़ित मुस्लिम के लिए काम किया है।
लेकिन ये आप साबित नही कर सकते हम मुंबई में भी काम कर रहे हैं। हमने कितना काम मुस्लिम के लिए किया ओर कितना हिन्दू के लिए किया हमारे यहां कोई गिनती नही होती है। हमने 33 मकान बनाये जिसमे से 15 मकान हिंदुओ के हैं। एक मकान में खर्च 4 लाख आता है। हमारे नज़दीक सब एक कोम हैं दो नही हैं।
दो कोम आपके नज़रिए से हो सकती है हमारे नज़रिए से नही। जमीयत जो काम कर रही है आप उसको बन्द कराना चाहते है। आप मीडिया के सामने बताइए कि आपने कितने परेशान हाल पीड़ित हिंदू ओर मुस्लिम की मदद की है उसको साबित करें।
आपको इतिहास पढ़ना समझना चाहिए। जिन इदारों को आप बन्द करना चाहते ये हिदुस्तान की जान है। इस देश में जो किसी भी मज़हब को मानता है वो ये नफरत की राजनीति बर्दाश्त नही करेगा ओर जो ये कबूल कर रहा है वो किसी मज़हब से ताल्लुक नही रखता। आपको समझदारी से बात करनी चाहिए गलत बात को अपनी जबान से नही निकालनी चाहिए मेरे दिल में आपकी बहुत कद्र है ।
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