नई दिल्ली : लोकप्रिय एक्टर तनवीर ज़ैदी का जन्मदिन 1 दिसम्बर को पड़ता है, तनवीर अपने जन्मदिन को विशेष बनाने के लिए इस दिन कुछ रोचक कार्य करते आये हैं.

जेसाकि अपनी आनाम फ़िल्म का नामकरण करते हैं या फ़िल्म की रिलीजिंग डेट आनाउंस करते हैं हालांकि पिछले दस बारह वर्षों से वो अपना जन्मदिन फ़िल्म/टीवी के सेट पर ही मनाते आये हैं किंतु तमाम व्यस्तता के बावजूद वह जन्मदिन पर समाजसेवा के लिए भी समय निकाल लेते ही हैं.

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वह कभी अनाथालय जाकर बच्चों संग समय बिताते हैं या वरधाश्रम में जाकर प्रसन्नता बांटते हैं या फिर जुग्गी झोपड़ी में कुछ आवश्यक वस्तुएं वितरित करते हैं, अपने जन्मदिन पर ऐसा ही कुछ करते हुए वह उस दिन को यादगार बनाने का भरपूर प्रयास अवश्य करते आये हैं.

क्या इसबार भी वह कुछ नया करने वाले हैं? लोकप्रिय अभिनेता तनवीर ज़ैदी बताते हैं, ” इस पैंडेमिक कोविड 19 में क्या कुछ कर सकता हूँ ? पिछले 12 वर्षों में पहली बार ऐसा होगा जब मैं शूटिंग नहीं कर रहा होऊंगा , हर वर्ष फ़िल्म/टीवी के सेट पर रहते हुए, समय निकाल कर कुछ ज़रूर करता आया हूँ लेकिन सम्भवता इसबार कुछ विशेष नहीं कर सकता, 1 दिसम्बर को घर पर ही परिवार के साथ रहूँगा.

कुछ समाज सेवा भी अवश्य करूँगा हमेशा की तरह किन्तु समाज सेवा को प्रचारित करके वाहवाही लूटने वाला मैं इंसान नहीं हूँ इसलिए बस इतना कहूंगा कि जन्मदिन पर समाज सेवा भी अवश्य करूंगा,” “कोरोना महामारी के कारण बहुत सारे कलाकारों को अवसाद का शिकार बनते देखा गया है, आप अपने सम्बन्ध में क्या कहेंगे?” मैंने जानना चाहा.

तनवीर ज़ैदी कहते हैं, “जी, आपने ठीक कहा, एक अभिनेता या कोई भी लेखक, कलाकार आमतौर पर अधिक संवेदनशील होता है और उसपर आसपास के वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है, इस कोरोना महामारी का भी अन्य लोगों की तरह मुझपर भी कहीं न कहीं बुरा प्रभाव अवश्य पड़ा है, अच्छा यह है कि मैं परिवार के साथ हूँ और इसीलिए इस डरावने वातावरण में भी बेखौफ रहा.

वैसे भी मैं एक आशावादी इंसान हूँ, बहुत जल्द ही यह बुरा समय समाप्त होगा,फिरसे एक नई सुबह ज़रूर होगी हालांकि इस बुरे दौर ने हम सभी को बहुत कुछ शिक्षा भी दी है विशेषकर यह सीखने को मिला कि अहंकारी मनुष्य के ऊपर एक बड़ी ताकत ईश्वर की विराजमान है.

एक ईश्वर के तीन रूप ब्रहम्मा हैं तो विष्णु और महेश भी हैं, प्रकृति पल भर में ईश्वर की उपस्तिथि का एहसास करा देती है और मानव इन आपदाओं के समकक्ष मजबूर और लाचार हो जाता है.”

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