नई दिल्ली : वेब सीरीज ‘तांडव’ से जुड़े लोगों को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी, SC ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया, हालांकि SC ने देशभर में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग पर नोटिस जारी किया है.

अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्यूब, निर्देशक अली अब्बास जफर, लेखक गौरव सोलंकी, निर्माता हिमांशु मेहरा और अमेजन प्राइम ओरिजिनल्स की प्रमुख अपर्णा पुरोहित ने SC में याचिका दायर की थी.

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उनकी तरफ से फली नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा जैसे दिग्गज वकीलों ने जिरह की, लेकिन SC को एफआईआर रद्द करने की मांग पर आश्वस्त नहीं कर सके.

सबसे पहले वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने दलीलें रखीं, उन्होंने SC को बताया कि सीरीज के निर्माताओं ने आपत्तिजनक सामग्री के लिए माफी मांगी है, उन्हें शो से हटा दिया गया है, इसके बावजूद उनके खिलाफ लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे हैं.

सभी एफआईआर को रद्द कर देना चाहिए, SC इस पहलू पर नोटिस जारी करे और सुनवाई तक सभी लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दे.

इस पर जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने कहा कि आप चाहते हैं कि एफआईआर को रद्द कर दिया जाए.

लेकिन इसके लिए आप हाई कोर्ट में क्यों नहीं गए? नरीमन ने जवाब दिया, एफआईआर 6 राज्यों में है, हम अलग-अलग हाई कोर्ट में नहीं जा सकते.

फल नरीमन ने यह भी कहा कि कोर्ट को यह तय करना होगा कि देश में अनुच्छेद 19(1)(A) यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है या नहीं? इस पर जजों ने जवाब दिया.

देश में अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार भी लोगों को मिला है, आप किसी को अपमानित नहीं कर सकते.

वरिष्ठ वकील पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हवाला दिया.

उन्होंने कहा, “SC हमेशा से इसकी रक्षा के लिए आगे आता रहा है,” इस पर जजों ने कहा कि अभिव्यक्ति के अधिकार की भी सीमाएं हैं, उनका उल्लंघन कर मुकदमे से नहीं बचा जा सकता.

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