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आज़म ख़ान को अस्पताल से जेल में शिफ्ट करने पर उनकी पत्नी ने उठाये सवाल,कहा ज़ुल्म की इन्तिहा

आज़म ख़ान को अस्पताल से जेल में शिफ्ट करने पर उनकी पत्नी ने उठाये सवाल,कहा ज़ुल्म की इन्तिहा

रामपुर(मो. शाह नबी)
कोरोना संक्रमित होने के बाद सपा सांसद आज़म ख़ान एवं उनके पुत्र का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में उपचार चल रहा था। लगभग दो महीने इलाज चलने के बाद उन्हें तथा उनके पुत्र को मंगलवार को मेदांता अस्पताल से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया। आज़म ख़ान की पत्नी रामपुर शहर विधायक डॉ तज़ीन फ़ातिमा ने इस पर सख़्त ऐतराज जताते हुये इसे ज़ुल्म की इन्तिहा बताया है। उनका कहना है कि आज़म ख़ान की तबियत अभी पूरी तरह ठीक नही है। फिर भी उन्हें अस्पताल से जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
रामपुर शहर विधायक डॉ तज़ीन फ़ातिमा ने कहा मुझे अचानक ही पता चला कि आज़म ख़ान को मेदांता अस्पताल से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया है। जबकि आज़म खान अभी भी गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। अभी दो-तीन दिन पहले उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था।इसके अलावा उनका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है और हार्ट की भी प्रॉब्लम है। आजम खान गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित रहे हैं। कोरोना का असर वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने इस बीमारी से खुद संघर्ष किया हो। कोरोना से पीड़ित होने के बाद जो पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस जिनमें उनके लंग्स में इंफेक्शन हुआ था, उनकी किडनी में इंफेक्शन था और यहां तक कि उनकी ज़ुबान में भी अल्सर हो गया था और खाना खाने के लिए भी राइसट्यूब पड़ा हुआ था, वह सब चीजें अभी तक नॉर्मल नहीं हो पाई हैं। अभी कुछ दिन पहले कलेटिनियम भी बढ़ गया था। मेदांता में तो सारी सुविधाएं थीं, उनकी ऑक्सीजन फिर कम हो रही थी। ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति को जबरदस्ती आदेश थमा देना कि आपको शिफ्ट किया जाता है, मेरे ख़्याल से इससे ज्यादा जुल्म और कोई नहीं हो सकता।


उन्होंने कहा मैं नहीं जानती किन कारणों से या किस साजिश के तहत उन्हें मेदांता से जेल शिफ्ट किया गया और इतनी गोपनीय परिस्थितियों में कि हम परिवार वालों को भी कानो कान खबर नहीं मिली। इस संबंध में कोई सूचना न सीतापुर प्रशासन से दी गई न ही मेदांता अस्पताल या जेल प्रशासन से दी गई।
जेल की परेशानियों के बारे में बताते हुये उन्होंने कहा कि जेल में मरीज़ों के लिए सुविधाएं हैं, लेकिन इतने गंभीर मरीज़ो के लिए बहुत सी चीजों और बहुत सी मशीनों की जरूरत पड़ती है, जो जेल में उपलब्ध नहीं होती हैं। मैं भी जेल में दस महीने रही हूँ और जेल की दूसरी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जेल शाम 7:00 बजे बंद हो जाती है, उसके बाद सुबह 5:00 बजे खुलती है। जेल में अगर कोई अचानक बीमार हो जाता है या और कुछ हो जाता है तो सूचना मिलने में और जेल खुलवाने में लगभग 1-2 घन्टे लग जाते हैं। उसके बाद डॉक्टर को उपलब्ध कराने में भी समय लगता है। इन परिस्थितियों में आजम खान की किसी भी प्रकार से तबीयत खराब होती है, उनकी सेहत में गिरावट होती है या कुछ भी होता है तो यह जिसने भी करवाया है चाहे वह मेदांता हो या प्रशासन शासन हो,जो भी हो वही लोग जिम्मेदार होंगे। ऐसा व्यक्ति जो खुद मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है, जो कि खुद कानून बनाती है, क्या उस क़ानून में यह है कि एक बीमार व्यक्ति को ज़बरदस्ती आदेश थमा कर अस्पताल से जेल शिफ्ट कर दिया जाए। यह सिर्फ एक जुल्म करने की खातिर किया गया। अगर यह जुल्म की खातिर किया गया तो फिर इंसाफ कहां से मिलेगा।

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