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दिल्ली नगर निगम की लापरवाही की वजह से सूख जाएंगे दिल्ली के 14 हजार पार्क: सौरभ भरद्वाज

दिल्ली नगर निगम की लापरवाही की वजह से सूख जाएंगे दिल्ली के 14 हजार पार्क: सौरभ भरद्वाज

बोले सौरभ

  • केजरीवाल सरकार द्वारा दिए गए पैसे से पार्कों का रखरखाव एमसीडी नहीं कर रहा, लोग और आरडब्लूए पार्कों का रख-रखाव कर रहे हैं
  • अगर दिल्ली के हरे-भरे पार्क सूख गए तो धूल के कारण प्रदूषण बढ़ जाएगा
  • दो साल से एनजीटी का आदेश था मगर एमसीडी ने वाटर टैंकर नहीं लगाए
  • सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी के लिए पाइप लाइन बिछाने का पैसा भी नहीं किया जमा

नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि दिल्ली नगर निगम की लापरवाही और नालायकी की वजह से 14 हजार पार्क सूख जाएंगे। दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए पैसे से पार्कों का रखरखाव नगर निगम नहीं बल्कि लोग और आरडब्लूए कर रही हैं। अगर दिल्ली के हरे-भरे पार्क सूख गए तो धूल के कारण प्रदूषण बढ़ जाएगा। दो साल से एनजीटी का आदेश था मगर नगर निगमों ने वाटर टैंकर नहीं लगाए। इसके अलावा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी के लिए पाइप लाइन बिछाने का पैसा भी जमा नहीं किया।
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में बृहस्पतिवार को प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में लोगों से जुड़े कॉलोनियों, गलियों की सड़कों, पेड़ों की कटाई-छटाई, साफ-सफाई, कूड़े के निपटारे, कुत्तों-बंदरों को पकड़ने सहित अन्य काम दिल्ली नगर निगम के पास हैं। इसमें एक सबसे बड़ा जरूरी काम पार्कों के रखरखाव का है। दिल्ली के अंदर गर्मी के मौसम में लोग अपने परिवार के साथ पार्कों में जाकर अच्छा अनुभव करते हैं। इसके अलावा लोग सुबह की सैर करते हैं और शाम को बच्चे पार्कों के अंदर झूलों पर खेलते हैं।
मैं दावे के साथ कहता हूं कि जितने भी पार्क दिल्ली नगर निगम के बेहतर स्थिति में हैं उनका रख रखाव वहां की आरडब्लूए कर रही होगी। इसको लेकर आप रेंडमली सर्वे कर सकते हैं। दिल्ली सरकार पार्कों के रख रखाव का पैसा दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसाइटी (डीपीजीएस) के माध्यम से आरडब्ल्यूए दे रही होगी। दिल्ली सरकार पार्को के रखरखाव के लिए सीधा आरडब्ल्यू को 5 से 8 लाख सालाना दे रही है। मालियों की तनख्वाह के साथ पार्कों के रखरखाव और खाद का खर्चा भी दिल्ली सरकार दे रही है। जबकि यह सीधे-सीधे जिम्मेदारी एमसीडी की है। एमसीडी ने जो माली रखे हुए हैं, वो अफसरों के घर कुत्ते घुमाने, सलेंडर लाने, पानी पिलाने का काम कर रहे हैं। अफसरों और पार्षदों के यहां निजी ड्राइवर बन कर रह रहे हैं। मगर माली का काम नहीं करते हैं। यह काम आरडब्लूए अपने द्वारा करा रही है। इसके लिए लाखों रुपये दिल्ली सरकार दे रही है। अब एमसीडी को यह भी बर्दाश्त नहीं हुआ।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के अंदर सुंदर-सुंदर पार्क सूखते जा रहे हैं। उसका कारण है दिल्ली नगर निगम का निकम्मापन और लापरवाही। दिल्ली के अंदर एनजीटी ने दो साल पहले आदेश दिये कि जितने भी ट्यूबवेल पार्कों के अंदर हैं, उनको बंद किया जाए। पार्कों की सिंचाई के लिए दिल्ली नगर निगम और डीडीए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी लें। एनजीटी का निर्णय क्योंकि है तो उसके ऊपर हम कुछ कर नहीं सकते। यदि आपको आदेश से दिक्कत थी तो आपको अभी तक सुप्रीम कोर्ट चले जाना चाहिए था। आदेश को लेकर 2 साल एमसीडी बैठी रही। अब जब एनजीटी के आदेशों में सख्ती आयी है और एनजीटी ने जवाब मांगा है तो ट्यूबेल सील किए जा रहे हैं। नगर निगम को इन ट्यूबवेल को बंद करना पड़ेगा। एनजीटी का आदेश था कि दिल्ली जल बोर्ड के कई इलाकों के अंदर एसटीपी प्लांट है। एसटीपी से निकलने वाले साफ पानी को सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। एनजीटी ने आदेश दिया था कि दिल्ली नगर निगम अपने टैंकर लगाए और एसटीपी के पानी को अपने पार्कों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल करे। जल बोर्ड को आदेश दिए थे कि आप एसटीपी के अंदर सुविधा तैयार कीजिए कि टैंकर आसानी से पानी भर सकें। दिल्ली जल बोर्ड को जिम्मेदारी दी गई कि एसटीपी के पानी का 5 किलोमीटर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाए।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसके बाद जल बोर्ड ने अपने यहां आदेश निकाला कि यदि सिंचाई, झील-तालाब बनाने, पानी को रिसाइकल कर धरती में डालने के लिए पानी चाहिए तो एसटीपी का पानी निशुल्क मिलेगा। जबकि पहले इसके लिए पैसा लिया जाता था। दिल्ली जल बोर्ड ने एमसीडी को बता भी दिया कि पानी के लिए पैसा नहीं लेंगे और इसको मुफ्त कर दिया है। एसटीपी पर पानी भरने के लिए तैयारी भी कर ली है। आप टैंकर भेजना शुरू करिए और अपनी सिंचाई कराइए। इसके बावजूद दुख के साथ मुझे बताना पड़ रहा है कि नगर निगम ने इसकी कोई तैयारी नहीं की है। अब हालत यह है सालों से आरडब्ल्यूए की ओर से हरे-भरे किए गए पार्क सूखने लगे हैं। वहां पर ट्यूबवेल सील हो गए हैं और पार्कों को पानी नहीं मिल रहा है। पिछले 5-10 सालों में दिल्ली वालों ने पार्कों और वन क्षेत्र के अंदर बड़ी मुहिम चलायी थी। डीडीए के वन क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया था, वह पेड़ भी सूख रहे हैं। अब जब पार्क बजंर हो जाएंगे तो वहां पर धूल उड़ेगी। छोटे पेड़ जो भविष्य में बड़े पेड़ बनते वो सूख जाएंगे। पिछले 5 सालों के अंदर दिल्ली सरकार और यहां के निवासियों ने प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। एमसीटी उनको वापस उसी स्थान पर लेकर जा रही है। दिल्ली वालों को उनके करीब 18 हजार पार्कों से महरूम कर दिया जाएगा। दिल्ली के अंदर करीब एमसीडी के पास 14500 पार्क हैं। जिसमें से उत्तरी नगर निगम के पास करीब 6500, दक्षिणी नगर निगम के पास करीब 6 हजार और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पास करीब 2500 हैं। इसके अलावा बचे हुए पार्क डीडीए और अन्य एजेंसियों के पास हैं। इन्होंने ऐसी योजना बनाई है जैसे कूड़े के ढेरों में आग लगाकर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने की कोशिश हमेशा करते हैं। अब योजना बनाई है कि इसी तरह से पार्को को बर्बाद कर दो ताकि धूल उड़े और दिल्ली के अंदर प्रदूषण बढ़े। दिल्ली सरकार को लोग गाली दें।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड ने एक और प्रस्ताव इनको दिया है कि फिलहाल आप टैंकर से पानी लेकर जा रहे हैं। मगर स्थाई समाधान के तौर पर एक पाइपलाइन बिछा दी जाए ताकि आपके पार्कों को एसटीपी के माध्यम से पानी मिल जाए। दिल्ली जल बोर्ड ने करीब 850 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया और सभी एजेंसियों के बीच पैसे को हिस्सेदारी के हिसाब से बांट दिया। दिल्ली नगर निगम ने पैसे तो दूर, उस प्रस्ताव के ऊपर कमेंट भी नहीं दिए। इनकी कोई भी तैयारी नहीं है। इस वक्त दिल्ली की कॉलोनियों के अंदर लोग बेहद दुखी और परेशान हैं कि उनके हरे भरे पेड़ सूख रहे हैं।

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