फीस माफ़ी के लिए चल रहे जन-आक्रोश आंदोलन में शामिल होने के लिए पैरेंट्स एसोसिएशन का जनता से आह्वान
एक समय था जब स्कूलों को शिक्षा का मन्दिर कहा जाता था। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में भेज कर निश्चिन्त हो जाते थे। गुरु एवं शिष्य का रिश्ता सर्वोच्च रिश्ता माना जाता था। अभिभावक भी बच्चों के अध्यापकों को सम्मान देते थे। कहते हैं कि जिस मामले में संवेदनायें शामिल हो जायें उसमें व्यवसाय पनपना बहुत आसान होता है। यही मामला शिक्षा के साथ भी हुआ। संवेदनाओं के बल पर धीरे-धीरे ये शिक्षा के मन्दिर व्यवसाय के साधन में परिवर्तित होने लगे। गुरु-शिष्य का पवित्र रिश्ता दुकानदार-ग्राहक के रिश्ते में बदल गया। जिस शिक्षा के मन्दिर में अभिभावक अपने बच्चों को भेज कर चिंतामुक्त हो जाते थे अब शिक्षा माफियाओं का अड्डा बन चुके स्कूलों में अपने बच्चों को भेज कर अभिभावक चिंताग्रस्त हो जाते हैं।
स्कूलों में फीस को लेकर बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की बातें सामने आने लगीं। शुरू में यह कमज़ोर वर्ग के साथ होता था इसलिये इस तरह के दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने नही आ पाती थीं। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण ने इन शिक्षा माफियाओं की पोल खोल कर रख दी। कोरोना काल की आर्थिक मंदी ने सबके व्यापार चौपट कर दिए। जिससे अभिभावक स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हो गये। ऐसे में इन स्कूलों को चाहिए था कि पूरे साल कमाई करने वाले यह स्कूल बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करके उन्हें सहयोग करते। लेकिन इन्होंने सहयोग करने की जगह अभिभावकों को फीस के लिए परेशान एवं छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। फीस जमा न करने वाले बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस बन्द कर दीं। इनकी इस मनमानी के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए ग़ाज़ियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन ने मुहीम शुरू की।
ग़ाज़ियाबाद में पैरेंट्स एसोसिएशन की फीस माफ़ी एवं अन्य मुद्दों को लेकर चल रही भूख हड़ताल के आठवें दिन दिनांक 9 सितंबर दिन बुधवार प्रातः 11:30 बजे सभी अभिभावक संघो, सामाजिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं,सभी व्यापारी संगठनों व्यापार मंडलों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों, सभी किसान यूनियनों, राजनीतिक दलों एवं समस्त जनता से जन-आक्रोश आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है।
ज्ञात हो कि लॉक डाउन के कारण आई आर्थिक मंदी एवं इस दौरान स्कूल बन्द रहने के कारण ग़ाज़ियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन तीन माफ़ी की फीस माफ़ करने एवं रेगुलर क्लासेस शुरू होने तक ऑनलाइन क्लासेस के आधार पर फीस तय करने की मांग को लेकर सात दिन से ग़ाज़ियाबाद जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरने पर है। एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी के साथ साधना सिंह एवं भारती शर्मा भूख हड़ताल कर रही हैं। जिनमें साधना सिंह एवं भारती शर्मा को तबियत बिगड़ने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सीमा त्यागी तबियत ख़राब होने के बाद भी जीवटता के साथ धरनास्थल पर जमी हुई थीं। सोमवार को तबियत बेहद ख़राब होने के बाद भी सीमा त्यागी ने धरनास्थल पर पँहुचे जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को अपने सवालों को जिस तरह निरुत्तर किया वह दर्शनीय था। तमाम जीवटता के बावजूद जिस्मानी कमज़ोरी ने सीमा त्यागी को भी अपनी चपेट में ले लिया। मंगलवार को सीमा त्यागी को भी अचेत अवस्था में अस्पताल ले जाना पड़ा।
यहाँ ग़ौर करने लायक बात यह है कि फीस माफ़ी की लड़ाई लड़ रही एसोसिएशन के सदस्य एवं भूख हड़ताल पर बैठी महिलायें सभी सम्पन्न हैं। यह लोग फीस माफ़ी की लड़ाई अपने लिए नही बल्कि जनता के लिए लड़ रहे हैं।
पूरे आंदोलन में नारी शक्ति का प्रदर्शन कर रही महिलायें अपने किसी स्वार्थ के लिए अपनी जान ज़ोखिम में नही डाल रही हैं। बल्कि हम सबके बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षा माफियाओं के विरुद्ध लड़ाई लड़ रही हैं। जिसके लिए इन्हें अपनी जान की भी परवाह नही है।
इनकी इस मुहीम को देखते हुये सत्ता पक्ष के अलावा सभी राजनीतिक एवं ग़ैर राजनीतिक संगठनों ने समर्थन दिया है। इसके अलावा आम जनता भी इनकी मुहीम का समर्थन कर रही है। धरनास्थल के पास से गुज़रने वाले अभिभावक इनकी मुहीम का हिस्सा बनने के लिए धरनास्थल पर बैठ कर जाते हैं।
ग़ाज़ियाबाद से कांग्रेस पार्टी की लोकसभा प्रत्याशी रहीं डॉली शर्मा ने भी बुधवार को धरनास्थल पर पँहुचने की घोषणा की है।
अब सब समझ चुके हैं कि यह लड़ाई हम सबकी है और हम सबके सहयोग से ही इसे लड़ा जा सकता है। शिक्षा माफियाओं को सत्ताधारी नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। जिस कारण शासन-प्रशासन एसोसिएशन की जायज़ माँगों को भी नही मान रहा है।
हम सबको यह दिखाना है कि लोकतन्त्र में जनता ही राजा होती है। जनता यदि चाहे तो बड़ी से बड़ी सत्ता को भी उखाड़ देती है। इसलिये सरकार के फ़ीस माफ़ न करने वाले इस जनविरोधी निर्णय के विरोध में सभी लोग बुधवार सुबह से ही ग़ाज़ियाबाद कलक्ट्रेट पर पँहुच कर लोकतन्त्र की ताकत का अहसास करायें एवं हमारे बच्चों के भविष्य के लिए भूख हड़ताल के कारण मौत और ज़िन्दगी के बीच झूल रही महिलाओं का हौंसला बढ़ाएं।