शमशाद रज़ा अंसारी
कानपुर
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों की लापरवाही के अजीबो-ग़रीब मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों की लापरवाही के मामलों की एक लंबी फेहरिस्त बन चुकी है। कहीं पर शव गायब हो गये तो कहीं इलाज में लापरवाही बरती गयी। शव बदलने और शव गायब करने के मामले भी कई बार सामने आये। यहाँ तक कि वैक्सीन लगवाने गई महिलाओं को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने का मामला भी सामने आया। इनके अलावा बिल बढ़ाने के लिए मृतक को वेंटिलेटर पर रखने वाले अमानवीय मामले भी देखने को मिले। निजी अस्पताल तो मानवता भूल चुके हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी ऐसा लगता है कि खेल चल रहा है। लापरवाही या यूँ कहें कि अमानवीयता की हद कानपुर के हैलट अस्पताल में देखने को मिली, जहाँ पर 2 दिन पहले मर चुकी महिला का हाल हैलट अस्पताल प्रबंधन परिजनों को बताता रहा।
महिला का अंतिम संस्कार होने के बाद भी उसका ऑक्सीजन लेवल और बाकी डिटेल अस्पताल प्रबंधन तीमारदार के मोबाइल पर भेजता रहा।
गीता नगर निवासी 73 वर्षीय महिला प्रियदर्शनी शुक्ला को बीती 13 मई को हैलट के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद से परिजनों को एक बार भी उनका हाल नहीं बताया गया। परिजनों की मानें तो बुजुर्ग प्रियदर्शनी शुक्ला को वेंटिलेटर की जरूरत थी और उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी, लेकिन वह साधारण ऑक्सीजन बेड पर ही रखी गईं। 16 तारीख को बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। लेकिन ताज्जुब की बात यह रही कि मौत के दो दिन बाद 18 मई तक उनके ऑक्सीजन लेवल की रिपोर्ट घर वालों को भेजी गई। यह मैसेज दो बार पहुंचने के बाद घर वालों ने कड़ी आपत्ति जताई। इसे देखते हुए पब्लिक ग्रीवांस सेल के नोडल अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच के आदेश दिए हैं। एसीएम-6 पीएन सिंह ने इस सम्बन्ध में मेडिकल कालेज प्रशासन के अधिकारियो से जानकारी मांगी है। इस मामले में जीएसवीएम मेडिकल काँलेज के प्राचार्य प्रो आरबी कमल ने गुरूवार को बताया कि दो दिन पहले ही यहां पर पब्लिक इंफार्मेशन सिस्टम की व्यवस्था शुरू की गई है।
बुजुर्ग महिला की मौत के बाद डेथ सर्टिफिकेट उनके परिवार वालों को दिया गया था। कहाँ से यह मैसेज भेजा गया है, इसके लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई है। मामले की जांच डाँ.सौरभ अग्रवाल कर रहे है। हालांकि,प्राचार्य ने यह भी कहा है कि,इस मामले में संभव है केंद्रीय कंट्रोल रूम से मैसेज जारी किया गया हो।
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