नई दिल्ली : अनिल देशमुख ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कोरोनिल के तथाकथित परीक्षण पर आईएमए ने सवाल उठाए हैं और डब्ल्यूएचओ ने कोविड के उपचार के लिए पतंजलि आयुर्वेद को किसी भी प्रकार कि स्वीकृति देने से इंकार किया है.

 ऐसे में जल्दीबाज़ी में किसी भी दवा को उपलब्ध करवाना और दो वरिष्ठ मंत्रियो द्वारा सराहना उचित नहीं.

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पतजंलि की कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाण पत्र मिलने की बात को आईएमए ने सोमवार को सरासर झूठ करार देते हुए आश्चर्य प्रकट किया.

मंत्री हर्ष वर्धन से इस बाबत स्पष्टीकरण की मांग की, पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है.

डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है.

रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने 19 फरवरी को कहा था कि डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत कोरोनिल टेबलेट को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड-19 के उपचार में सहायक औषधि के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है.

बालकृष्ण ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था, हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कोरोनिल के लिए हमारा डब्ल्यूएचओ जीएममी अनुपालन वाला सीओपीपी प्रमाण पत्र डीजीसीआई, भारत सरकार की ओर से जारी किया गया.

यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी दवा को मंजूरी नहीं देता, डब्ल्यूएचओ विश्व में सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के वास्ते काम करता है.

सोमवार को आईएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है, क्या आप इस कोरोना रोधी उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल की समयसीमा बता सकते हैं?.

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