नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कठिन परिस्थितियों में साहसिक और उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली महिला आयोग की तरफ से इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम लोग अक्सर खास काम करते हैं, लेकिन उनके खास काम किसी की नजर में नहीं आते हैं।

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इन सम्मानित लोगों की कहानियों से पूरे समाज को प्रेरणा मिलेगी और लोग इनसे प्रेरणा लेकर समाज के लिए अच्छा काम करेंगे। दिल्ली महिला आयोग ने पिछले 5-6 सालों के दौरान कई सराहनीय कार्य किया है।

आयोग के सदस्यों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर मुसीबत में फंसी कई महिलाओं को बचाया। सीएम ने कहा, हमारी सरकार ने अपनी सभी नीतियों में एक आम महिला शामिल किया और उसे उसकी जिंदगी में सकून देने का प्रयास किया है।

बिजली-पानी और बसों में महिलाओं का किराया मुफ्त करने पर सबसे अधिक खुशी एक आम महिला को हुई है और उसे घर चलाने में थोड़ी सहूलियत हुई है। हमारी सरकार ने दिल्ली के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे व स्ट्रीट लाइट लगाकर और बसों में कैमरे व माॅर्शल लगाकर महिला सुरक्षा को मजबूती प्रदान की।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली महिला आयोग की तरफ से इंडिया हैबिटेट सेंटर में आज आयोजित सम्मान समारोह में सीएम अरविंद केजरीवाल ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और देश भर की महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि साहसिक और उत्कृष्ट कार्य करने वाली कई सारी महिलाओं को आज हमने सम्मानित किया।

सम्मानित करने के दौरान मैं सोच रहा था कि हम उन्हें सम्मानित कर रहे हैं या फिर वे अपने कार्यों से हमें सम्मानित कर रही हैं। एक-एक व्यक्ति की इतनी शानदार कहानी थी। आम लोगों ने अपनी जिंदगी में इतने खास काम किए हैं।

आज दिल्ली महिला आयोग के द्वारा जिन लोगों को सम्मानित किया गया है, मैं उन सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि आपकी इन कहानियों से पूरे समाज को प्रेरणा मिलेगी और आपकी तरह और भी बहुत सारे लोग प्रेरणा लेकर समाज के लिए अच्छा काम करेंगे।

मैं दिल्ली महिला आयोग को खासतौर से बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने यह वीणा उठाया है। अक्सर हम ऐसा सोचते हैं कि खास काम तो केवल खास लोग ही करते हैं, लेकिन खास काम अक्सर आम लोग ही करते हैं, लेकिन आम लोगों के खास काम को कोई देखता नहीं है, उनके खास काम किसी की नजर में नहीं आते हैं।

दिल्ली महिला आयोग ने यह ठाना है कि जो आम लोगों के खास काम है, वो जनता तक पहुंचाएं जाएंगे। महिला आयोग, देशभर से ऐसे हीरे चुन चुन कर लाते हैं, जिन लोगों ने अपनी जिंदगी में पूरे समाज के लिए सराहनीय काम किया है और उन लोगों को हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित किया जाता है।

यह बहुत ही अच्छा काम है। मैं समझता हूं कि इन सभी लोगों से प्रेरणा मिलेगी और आने वाले समय में भी इसी तरफ से दिल्ली महिला आयोग उन्हें सम्मानित करता रहेगा।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से 5-6 साल पहले तक कोई दिल्ली महिला आयोग या राष्ट्रीय महिला आयोग का नाम भी नहीं जानता था कि कोई महिला आयोग होता है। वैसे तो हर राज्य का अपना महिला आयोग है और एक राष्ट्रीय महिला आयोग भी है, हो सकता है कि कई सारे लोगों को पता न हो कि देश का कोई राष्ट्रीय महिला आयोग भी है।

लेकिन पूरे देश में एक ही महिला आयोग को लोग जानते हैं और दिल्ली महिला आयोग है। पिछले 5-6 साल के अंदर दिल्ली महिला आयोग ने बहुत शानदार काम किया है। दिल्ली महिला आयोग ने बड़ी बहादुरी के साथ दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर जहां पर भी कोई महिला मुसीबत में मिली, वहां पर छापेमारी की और उस महिला को बचाया। इसके साथ ही, दिल्ली महिला आयोग ने बहुत सारे ऐसे काम किए हैं।

कई बार हमें महिला आयोग के सदस्यों और खासकर आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल की सुरक्षा की चिंता होने लगती है। जिस तरह से वे दुर्गम स्थानों पर पहुंचकर और कठिन परिस्थितियों में महिलाओं को बचाती हैं। आयोग की अध्यक्षा ने बहुत ही जांबाजी के साथ कई सारी महिलाओं को बचाया है, जो काफी परेशानी में थीं।

इसी वजह से दिल्ली के अंदर अगर आज कोई महिला 181 हेल्पलाइन पर फोन करती है, तो उसकोे तुरंत उसका समाधान मिलता है। दिल्ली महिला आयोग काफी अच्छा काम कर रहा है और उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में भी इसी तरह से अच्छे काम करता रहेगा।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले 5-6 साल में जितनी भी नीतियां बनाईं, हमने कोशिश की कि एक आम महिला को, उसके जिंदगी में जितना सकून दे सकें, हम दें। आज इतनी महंगाई हो गई हैं कि एक आम महिला को अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है।

व्यक्ति की तनख्वाह बढ़ती नहीं है, परिवार की आमदनी के साधन बढ़ते नहीं हैं, लेकिन महंगाई बढ़ती जाती है। ढेर सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो अपना पूरा परिवार भी चला रही हैं और पूरे दिन बाहर निकल कर नौकरी भी कर रही हैं। पूरे देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के अंदर दिल्ली अकेला ऐसा शहर है, जहां पर लोगों को 24 घंटे बिजली मिलती है और फ्री बिजली मिलती है।

दिल्ली में 73 प्रतिशत लोगों के बिजली के बिल जीरो आते हैं। जब हमने बिजली के बिल जीरो किए तब सबसे ज्यादा खुशी आम महिलाओं को हुई, क्योंकि उनको घर चलाने में थोड़ी मदद मिलने लगी थी। उन्हें हर महीने हजार-डेढ़ हजार रुपए बचने लगे थे।

पूरी दुनिया के अंदर कोई ऐसा शहर नहीं है, जहां पर आपको 24 घंटे बिजली मिले और बिजली का बिल जीरो आए। दिल्ली के अंदर पानी भी मुफ्त मिलता है। जब हमने पानी मुफ्त किया था, तब सबसे ज्यादा खुशी दिल्ली की एक आम गृहणी को हुई थी, जिसको अपना घर चलाने में दिक्कत आती है।

जब हमने दिल्ली के अंदर महिलाओं के लिए बसों में किराया मुक्त किया था, तब कितनी महिला स्टूडेंट्स हैं और ऐसी बहुत सारी लड़कियां हैं, जो अपनी पढ़ाई सिर्फ वजह से नहीं कर पाती है, क्योंकि उनके अभिभावक उनको आने- जाने का किराया नहीं दे पाते हैं।

ऐसी बहुत सारी लड़कियों के लिए यह योजना बहुत ही मददगार साबित हुई। ढेर सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो सब्जी बेचने जाती हैं। बसों में किराया मुक्त होने के बाद वे कुछ और दूर के बाजार तक जाने लगीं।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जो कदम हमारे हाथ में हैं, वो सारे कदम हमने उठाए हैं। हमने पूरे दिल्ली के अंदर करीब डेढ़ से 2 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दिल्ली के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

दिल्ली का काफी हिस्सा सीसीटीवी कैमरे से कवर हो चुका है और जो एरिया बचा है, वहां पर भी हर गली मोहल्ले के अंदर जल्द ही कैमरे लगा दिए जाएंगे। मैं समझता हूं कि पूरी दुनिया में शायद दिल्ली अकेला शहर होगा, जिसका सीसीटीवी कैमरे का इतना बड़ा नेटवर्क होगा, जहां कोने-कोने पर सीसीटीवी कैमरा होगा।

मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सीसीटीवी कैमरे लगने के बाद दिल्ली के अंदर अपराध बंद हो गए हैं, लेकिन जबसे सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तब से काफी हद तक अपराध कम हुआ है और पुलिस को सीसीटीवी कैमरों की मदद से अपराधियों को पकड़ने में मदद मिली है। इसके अलावा, हमने सारी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं।

दिल्ली के डार्क एरिया में अक्सर अपराध होने की आशंका होती थी, हमने डार्क स्पाॅट खत्म करने के लिए दिल्ली के कोने-कोने में स्ट्रीट लाइट लगा दी गई हैं। दिल्ली में पिछले दो सालों के अंदर करीब 3 लाख स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं।

अभी भी जो डार्क स्पाॅट बचे हैं, उनको चिंहित करके वहां पर स्ट्रीट लाइट लगा रहे हैं, ताकि महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें। इसी तरह बसों में महिला सुरक्षा के मद्देनजर मार्शल लगाए गए हैं।

मार्शल की बहुत सारी सक्सेस स्टोरी सुनने की मिलती है कि किस तरह बसों के अंदर महिलाओं के साथ कोई छेड़छाड़ कर रहा था और मार्शल ने उसको पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। हम दिल्ली सरकार के अंदर जो भी योजनाएं बनाते हैं, उसके केंद्र बिंदु के अंदर हम यही देखते हैं कि समान्य जिंदगी जी रही एक आम महिला को कैसे फायदा मिल सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित प्रमुख महिलाओं की कहानियां

दादी मोहिंदर कौर-

जब 80 वर्षीय दादी मोहिंदर कौर गांव में किसानी का झंडा लेकर निकलती है, तो सारा गांत बोलता है- जिंदाबाद, जिंदाबाद। इतनी उम्र के बावजूद दादी का जज्चा और जुनून किसी भी युवा को पीछे छोड़ सकता है। पिछले 100 दिन से चल रहे कृषि आंदोलन में दादी जब भटिंडा में अपने गांव में झंड लेकर निकलीं, तो सारे देश ने उन्हें सोशल मीडिया पर देख कर सलाम किया। एक्ट्रेस कांगना रनौत ने सुर्खिया बटोरने के लिए दादी पर एक भद्दा ट्वीट किया। दादी आज भी खेत में काम करती हैं और जब कभी किसानों की बात होती है, तो वो सबसे आगे आकर हिस्सा लेतीं।

शांता बालू पंवार-

86 वर्षीय शांता ताई की कला सोशल मीडिया पर काफी चर्चित है। शांता ताई जब लाठी चलाती हैं, तो देखने वाले देखते ही रह जाते हैं। वॉरियर आजी के नाम से मशहूर शांता ताई कई सालों से अपनी कला का प्रदर्शन महाराष्ट्र की सड़कों पर करती आ रही हैं, लेकिन इतना ज्यादा टैलेंट होने के बाद भी वो दुनिया की नजरों में छिपी रहीं। लाॅकडाउन के दौरान उनकी एक वायरल वीडियो में मानो सब कुछ बदल दिया है। शांता ताई आज एक मार्शल आटर््स टीचर हैं। आज इतनी उम्र में भी फुर्ती अच्छे अच्छों धूल चलाटने के लिए काफी है।

कैप्टन तानिया शेरगिल और कैप्टन भावना कस्तूरी-

हैदराबाद की रहने वाली लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी और होशियारपुर पंजाब की रहने वाली कैप्टन तानिया शेरगिल को सम्मानित किया गयां लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी देश की पहली महिला हैं, जिन्होंने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में पुरुष सैन्यदल की टुकड़ी का नेतृत्व किया। वहीं, कैप्टन तानिया शेरगिल गणातंत्र दिवस परेड की पहली महिला परेड एडजस्टेंट बनी। इन दोनों शेरनिया को देखकर सारे देश की महिलाएं गर्वांवित महसूस करती है।

भारतीय एयरफोर्स की महिला अधिकारी भी सम्मानित-

1-फ्लाइंग आफिसर अंजली-

फ्लाइंग आॅफिसर अंजली 2019 में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुईं। एक्स सर्विसमैन पिता की बेटी अंजली खेल के मैदान में भी काफी आगे रही हैं और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वुशु में रजत पदक जीता है और 300 घंटों से ज्यादा का उड़ान का अनुभव रखने वाली फ्लाइंग आफिसर अंजली ने 18 फरवरी 2021 को सुखोई 30 एमकेआई की पहली महिला कैप्टन पायलट बनकर कीर्तिमान रचा है।

2- स्क्वाड्रन लीडर शिखा पांडेय-

स्क्वाड्रन नीडर शिखा पांडेय भारत के लिए क्रिकेट खेलने वाली पहली और एकमात्र भारतीय वायु सेना अधिकारी हैं। देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना रखने वाली शिखा पांडेय ने क्रिकेट की ट्रेनिंग के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी और भारतीय वायु सेना में शामिल हुई। आज वह एक सफल क्रिकेटर हैं और वल्र्ड कप सहित कई महत्वपूर्ण टूनामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। शिखा आज क्रिकेट और भारतीय वायु सेना में रहकर देश सेवा कर रही हैं।

3- विंग कमांडर उवेना फर्नांडीस-

विंग कमांडर उवेना फर्नाडीस देश की पहली और एकमात्र महिला रेफरी हैं, जिन्होंने फीफा वल्र्ड कप में हिस्सा लिया है। उवेना फर्नांडीस ने फीफा अन्डर-20 और अन्डर-17 वुमन वल्र्ड कप सहित कई महत्वपूर्ण अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है।

4- स्क्वाड्रन लीडर कीर्ति-

स्क्वाड्रन लीटर कीर्ति भारतीय वायु सेना के ट्रांसपोर्ट फ्लीट में कार्यरत हैं। इनकी तैनाती कई दुर्गम क्षेत्रों में हुई है। एक बार विमान का एक इंजन फेल होने के बाद भी इन्होंने यात्रियों समेत वायुसेना के विमान को सुरक्षित जमीन पर उतार लिया। इसके लिए इन्हें वायु सेना प्रमुख से प्रशंसा भी मिली।

5- स्क्वाड्रन लीडर शिप्रा दीप-

स्वाड्रन लीडर शिप्रा दीप 2014 में वायु सेना में हेलिकाप्टर पायलट के रूप में शामिल हुई। इन्होंने वायु सेना अकादमी और हेलीकाप्टर प्रशिक्षण स्कूल में बुनियादी और उन्नत हैलीकॉप्टर प्रशिक्षण हासिल किया। इनको कश्मीर और लेह जैसे कई दुर्गम क्षेत्री में हेलिकाप्टर उड़ाने में पारंगत हासिल है।

इसरो की महिला वैज्ञानिक भी हुई सम्मानित-

22 जुलाई 2019 का दिन एक यादगार दिनों में से एक है, जब देश में करोड़ों लोग टीवी स्क्रीम पर आंखें लगाए चंद्रयान-2 को रवाना होते देख रहे थे। इस इतिहास को रचने वालों में ऐसी महिलाएं शामिल थी, जिन्होने दिन और रात नहीं देखा। वे सिर्फ एक सपना लेकर काम करती गईं और देश को विश्व की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। इन महिला वैज्ञानिकों में शामिल वैज्ञानिक एवं इंजीनियर कल्पना अरविंद, वैज्ञानिक एवं इंजीनियर रितु करिदल, वैज्ञानिक एवं इंजीनियर जी. पदमा पदमानाभन, वैज्ञानिक एवं इंजीनियर केपी लिली, वैज्ञानिक एवं इंजीनियर प्रियंका को सम्मानित किया गया।

सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर सीमा नाग-

आज तक देश में बुलेट राजा के बारे में हम सबने सुना होगा, लेकिन 2020 की गणतंत्र दिवस परेड में देशवासियों महिलाओं ने बता दिया कि हम किसी से कम नहीं हैं। दिल्ली के राजपथ की सड़क पर चलती रॉयल एनफील्ड बुलेट बाइक पर सवार 65 जांबाज डेयरडेविल महिनलाओं को देखते ही सब अपनी कुर्सियों से खड़े होकर इन्हें सलाम करने लगे थे। इस जांबाज टुकड़ी का नेतृत्व सीआरपीएफ की इंस्पेक्टर सीमा नाग ने किया था। इन्हें भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।

लक्ष्मी नरायण त्रिपाठी-

ट्रांसजेंडर्स के लिए अपनी आवाज बुलंद वाली किन्नर अखाडा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी आज किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं हैं। किन्नर समाज को समानता का अधिकार दिलाना, उनका मकसद है। इसके लिए वे 1999 से लड़ाई लड़ रही हैं। महाराष्ट्र में जन्मी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बचपन में डांस की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली थी। उन्होंने भरतनाट्यम में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। ट्रांसजेंडर्स कम्युनिटी के लिए सराहनीय कार्यों के लिए 2016 में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनाया गया। साथ ही, वह यूनाइटेड नेशंस सिविल सोसायटी टास्क फोर्स की सदस्य रह चुकी हैं। लक्ष्मी पहली किन्नर हैं, जो संयुक्त राष्ट्र में एशिया प्रशांत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अपने समुदाय और भारत का प्रतिनिधित्व टोरंटो में विश्व एड्स सम्मेलन जैसे मंचों पर करने वाली लक्ष्मी त्रिपाठी ट्रांसजेंडर्स लिए ‘अस्तित्व’ नाम का संगठन चलाती हैं।

एएसआई सीमा ढाका-

दिल्ली पुलिस में तैनात महिला हेड कास्टेबान साीमा ढाका के काम की देशभर में चर्चा है। सीमा ने अपने बहादुरी के दम पर तकरीबन महीने के दौरान 76 बच्चों को तलाश करने में कामयाबी हासिल की है। सीमा ने इन बच्चों को दिल्ली से ही नहीं, बल्कि बिहार, बंगाल जैसे दूर दराज के राज्यों से भी खोज निकाला। उनमें से 56 बच्चों की उम्र 14 साल में भी कम थी। उनकी कार्य निष्ठा और ईमानदारी के लिए उन्हें दिल्ली पुलिस ने एक खास प्रमोशन इंसेंटिव स्कीम के तहत, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। इस स्कीम के तहत सीमा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाली दिल्ली पुलिस की पहली कर्मचारी बन गई हैं।

आॅटो चालक प्रदीप कुमार-

अच्छे नागरिक देश को समृद्ध और खुशहाल बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं, आॅटो चालक प्रदीप कुमार भी अपने कार्यों से ऐसी ही मिशाल पेश किए हैं। 15 वर्षीय मासूम को एक ऑटो चालक ने झांसा देकर सूनसान स्थान पर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। मौका पाकर वह बच्ची वहां से भाग निकली। सड़क पर मासूम बच्ची को भागते हुए देख ऑटो ड्राइवर प्रदीप ने उसकी सहायता की। बच्ची से पूछताछ में प्रदीप ने पाया कि वह तीन दिनों से एक पार्क में रह रही थी। यह सुन कर प्रदीप ने सूझबूझ का परिचय दिया और दिल्ली महिला आयोग के 181 हेल्पलाइन पर जानकारी दी, जिसके चलते वह बच्ची आज सुरक्षित है और अपने माता-पिता के साथ है।

बिलकिस-

साहस और हिम्मत की कोई उम्र नहीं होती है। 13 वर्षीय बिलकिस इसका जीता-जागता एक उदाहरण हैं। दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाली बिलकिस ने 2020 में एक 17 वर्षीय लड़की के बाल विवाह की सूचना दिल्ली महिला आयोग को दी, जिसके चलते उस बाल विवाह को आयोग ने जाकर रूकवा दिया। बच्ची की सूझबूझ की तारीफ करने की जगह उसके परिवार और समाज के कुछ लोगों ने उसको बहुल डांटा और मारा। इसके बावजूद बिलकिस किसी से डरी नहीं और पिछले वर्ष कई बाल विवाह को रूकवाया।

कुशा कपिला-

मैं मीटी हूं, मैं बहुत पतली हूं, लोग क्या कहेंगे, ये सब सवालो ने हम सबको जीवन के किसी न किसी मोड पर जरूर परेशान किया है। लेकिन कुशा कपिला कहती हैं कि लोग जो बालें, उन्हें बोलते रहने दो। इंस्टाग्राम के जरिए आज कुशा कपिला का कंटेंट करोड़ों लोग देखते हैं और अपने सरल कॉमिक स्टाइल में कपिला जो संदेश लोगों के दिलों तक पहुंचाती हैं, वो शायद किसी भाषण या किताब के जरिए भी देना मुश्किल है।

डाॅली सिंह-

उतराखंड के एक छोटे से शहर में जन्मी डॉली सिंह आज सोशलन मीडिया जगत की एक बड़ी हस्ती बन चुकी हैं। बचपन से ही कुछ बड़ा करने का सपना लेकर चलीं डॉली ने अपनी मेहनत से आज अपने आपको इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाया है। आज इनकी वीडियो देश के कोने-कोने में देखी जाती है। 2015 में आई-दिवा में बतौर प्रोड्यूसर और राइटर अपना करियर शुरू करने वाली डॉली ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। इनकी वीडियो न सिर्फ आपको हंसाती है, बल्कि बड़ी सहजता से आपको सही-गलत का फर्क भी समझाती हैं।

शहीद गुरतेज सिंह-

पंजाब के मनसा जिले के रहने वाले 23 वर्षीय शहीद सिपाही गुरतेज सिंह पराक्रम और शौर्य की ऐसी मिसाल हैं, जिन्हें देश सदियों तक याद रखेगा। पिछले वर्ष चीन के साथ गमवान घाटी में हुई टकरार ने जब हिंसक रूख लिया, तब सिपाही गुरतेज पर चार चीनी सैनिकों में हमला बोला। गुरतेज जरा भी डरे नहीं, बल्कि उनकी तरफ बढ़े। गुरतेज ने दो दुश्मनों को वही ढेर कर दिया। गुरतेज चारों को पहाड़ी पर खींच कर ले गए और यहां से उन्हें नीचे गिरा दिया, लेकिन दु्र्भाग्यवश वो भी अपना नियंत्रण खो बैठे और फिसल गए।

सिपाही गुरतेज की गर्दन और सिर पर गहरी चोट आ गई थी, लेकिन उन्होंने अपनी पगड़ी को दोबारा बाधा और फिर से लड़ाई के लिए आगे बढ गए। उन्होंने चीनी जवानों का मुकाबला अपनी कृपाण से किया और एक चीनी सैनिक से उसका तेज हथियार भी छीन लिया। इसके बाद गुरतेज ने सात और चीनी जवानों को ढेर किया। अब तक गुरतेज 11 चीनी जवानों को ढेर कर चुके थे और शहादत से पहले गुरतेज में अपनी कृपाण से 12वें चीनी सैनिक को भी ढेर लिया।

सरदार मोहिंदर सिंह-

गोकुलापुरी के सरकार मोहिंदर सिंह ने पिछले साल हुए दंगों में हिम्मत और मानवता दिखाते हुए 40 में भी अधिक लोगों की जान बचाई। मोहिंदर सिंह ने दंगों में फंसे लोगों को पगड़ी पहनाकर सुरक्षित बाहर निकाला। उन्होंने न किसी का धर्म देखा और न जाति देखी। उन्होंने इंसानियत को सबसे उपर रखते हुए लोगों की जान बचाने का प्रयास किया। अपने बेटे के साथ मिलकर सरदार मोहिंदर सिंह ने अपनी एक बाइक और स्कूटी पर लोगों को बिठाया और सबको सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। मोहिंदर सिंह ही महज 13 वर्ष के थे, जब उन्होंने 1984 का दंगा अपनी लाखों में देखा। मोहिंदर सिंह ने मन में ठाला था कि बस किसी तरह लोगों की जान बचाई जा सके।

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