नई दिल्ली : मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सात कॉलेजों में गंभीर वित्तीय अनियमितता हुई है। इनके पास करोड़ों रुपए सरप्लस राशि होने के बावजूद एफडी में रखकर शिक्षकों की सैलरी रोकी गई ताकि राज्य सरकार को बदनाम कर सके। सिसोदिया ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर समुचित कानूनी कार्यवाही की तैयारी की जा रही है।

उपमुख्यमंत्री ने आज दिल्ली सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इन कॉलेजों ने वित्तीय नियमों का उल्लंघन करके अनियमित तरीके से करोड़ों रुपयों का अवैध खर्च किया। सरकार से अनुमति लिए बगैर टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के नाम पर मनमाने पोस्ट क्रिएट करके अवैध नियुक्तियां की। यहां तक कि ऐसे लोगों की अटेंडेंस का रिकॉर्ड तक नहीं दिखाया गया।

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सिसोदिया ने पांच कॉलेजों में अनियमित भुगतान का विवरण पेश किया, जो इस प्रकार है-

कॉलेज का नाम – अनियमित व्यय

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज – 49.88 करोड़

केशव महाविद्यालय – 29.84 करोड़

शहीद सुखदेव कॉलेज – 16.52 करोड़

भगिनी निवेदिता कॉलेज – 17.23 करोड़

महर्षि वाल्मिकी कॉलेज – 10.64 करोड़

सिसोदिया ने कहा कि लैपटॉप, कंप्यूटर, विभिन्न उपकरण तथा गाड़ियों आदि की खरीद के नाम पर वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए काफी व्यय किया गया । यहां तक कि सुरक्षा कर्मियों को 40,000 रुपए मासिक भुगतान के भी मामले सामने आए। जबकि सामान्यतया यह वेतन 14 से 20 हजार तक है।

सिसोदिया ने कहा कि जिन कॉलेजों को दिल्ली सरकार अनुदान देती है, वैसे सात कॉलेजों के ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कॉलेजों ने सहयोग करने के बजाए ऑडिटर्स के काम में बाधा डाली तथा खाता बही दिखाने से इंकार कर दिया। अंतत: अदालत के आदेश पर कॉलेजों का ऑडिट हुआ है। लेकिन कोर्ट के आदेश बावजूद अदिती महाविद्यालय और लक्ष्मीबाई कॉलेज ने ऑडिट कराने से इंकार कर दिया। इससे पता चलता है कि इनकी दाल में कितना काला है।

सिसोदिया ने कहा कि पांच कॉलेजों की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि इन कॉलेजों के पास पर्याप्त राशि होने के बावजूद अवैध तरीके से खर्च करके शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोका गया तथा राज्य सरकार पर अनावश्यक आरोप लगाए गए। सिसोदिया ने कहा कि कॉलेजों को अनुदान देने के प्रावधान के अनुसार कोई भी पोस्ट क्रिएट करने तथा उनपर बहाली के लिए राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। लेकिन इन कॉलेजों ने अनुमति लिए बगैर मनमाने तरीके से पोस्ट क्रिएट करके बहाली भी कर ली। आश्चर्य की बात ये है कि ऑडिटर्स ने जब इनके अटेंडेस रजिस्टर मांगे तो कॉलेजों के पास इनका अटेंडेस रजिस्टर भी नहीं था। ऐसे में इस संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि ऐसे घोष्ट इंप्लाई हों जिनकी सैलरी का फर्जी तरीके से भुगतान किया जा रहा हो।

सिसोदिया ने कहा कि कॉलेजों के पास एफडी में सरप्लस फंड होने के बावजूद शिक्षकों को वेतन नहीं देना हैरानी की बात है-

कॉलेज का नाम – सरप्लस एफडी राशि

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज – 22.44 करोड़

शहीद सुखदेव कॉलेज – 31.58 करोड़

केशव महाविद्यालय – 9.38 करोड़

भगिनी निवेदिता कॉलेज – 2.38 करोड़

महर्षि वाल्मिकी कॉलेज – 0.29 करोड़ रुपए

“The ‘Pattern of Assistance” by which the Delhi Govt makes payment to all the Higher Education Institutions funded by it – including Ambedkar University, DTU, IP University, and 12 Delhi University colleges – is based on the principle of deficit funding.” The govt, pays these higher education institutions the net deficit between their total expenditure, and their total income.

सिसोदिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कॉलेजों को अनुदान देने संबधी प्रावधान के अनुसार फीस तथा अन्य सभी स्रोतों से होने वाली आय से खर्च के बाद शेष कमी का भुगतान किया जाना है। लेकिन इन कॉलेजों ने फीस तथा अन्य सोर्स से मिली राशि अवैध तरीके से इधर उधर खर्च करके शेष फंड को एफडी कर दिया।

सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के संकट में सभी सरकारों को अपने खर्चों में कटौती करके किसी तरह काम चलाना पड़ रहा है। ऐसे में इन कॉलेजों को अवैध खर्चों और एफडी के बजाए विद्यार्थियों के कल्याण और शिक्षकों- कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करना चाहिए था। ऐसा नहीं होने से ऐसा लगता है कि मंशा खराब है।

“Any source of earning, and the total income received by the college from fees has to be declared to Delhi Government. However, these colleges violated this pattern of assistance as large, undeclared incomes in their accounts have been found by the auditors, which were never declared to the Delhi Government,” said Sisodia.

सिसोदिया ने कहा कि हम ऐसी अनियमितता को रोकेंगे। वित्तीय नियमों की अनदेखी करके तथा अनुमति के बगैर किए गए किसी भी अनियमित कार्य को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। सिसोदिया ने कहा कि डीटीयू, अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आईपीयू, एनएसटीयू को भी सरकार के अनुदान नियमों के तहत सहायता दी जाती है। वहां ऐसी कोई जटिलता उत्पन्न नहीं होती। लेकिन इन कॉलेजों द्वारा अनियमितता के कारण शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने में अनावश्यक विवाद उत्पन्न होता है।

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