नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच कोई डील हो चुकी है, उस डील के चलते कांग्रेस संसद में प्रमुखता के साथ किसानों का मुद्दा उठाने और कृषि कानून पर अलग से चर्चा कराने में विफल साबित हुई है।

राज्यसभा में आज सिर्फ आम आदमी पार्टी ने काले कानूनों पर चर्चा करने और इसे वापस लेने की मांग उठाई, लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुई। किसानों का मुद्दा उठाने पर ‘आप’ सांसदों को माॅर्शल उठा कर बाहर ले जा रहे थे और कांग्रेस नेता तमाशा देख रहे थे। इससे साफ है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच कोई डील हो चुकी है।

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संजय सिंह ने कहा, किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कांग्रेस की पंजाब सरकार पर केंद्र की भाजपा सरकार का साथ देने की बात कही है और आम आदमी पार्टी भी यही बात हजारों बार कहती आई है। कांग्रेस को तीनों काले कानूनों को निरस्त कराने और किसानों पर दर्ज एफआईआर के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार हमेशा किसानों के साथ हमेशा खड़ी रही है। हम किसानों के तीनों काले कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ खड़े हैं।

संजय सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी जी के राज में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सिंघु सीमा, टिकरी सीमा और गाजीपुर सीमा, चीन और पाकिस्तान की सीमा हो गई है। वहां पर किलेबंदी की गई है।

सीमेंटेड की कीलें गाढ़ दी गई हैं। ऐसा व्यवहार किसानों के साथ किया जा रहा है कि जैसे वह आतंकवादी, देशद्रोही और गद्दार हैं। पिछले 75 दिनों से किसान आंदोलन के प्रति भारतीय जनता पार्टी का तानशाही रवैया है।

किसानों के ऊपर आंसू गैस के गोले छोड़े गए, पानी की बौछारें डाली गईं, बूढ़े किसानों की आंखें फोड़ दी गई, 70-80 साल के किसानों को पकड़-पकड़ कर जेल में डालकर और मुकदमे किए जा रहे हैं। 80 वर्षीय किसान पूर्व सैनिक गुरुमुख सिंह उठाकर जेल में डाल दिया गया।

इतना जुल्म और इतना ज्यादा अत्याचार करने के बावजूद सरकार में रहम, दया नाम की एक इंच भी कोई चीज नहीं बची है। किसानों की सदन के अंदर कल भी हम लोगों ने आवाज उठाई।

संजय सिंह ने कहा कि देश के सर्वोच्च सदन में राज्यसभा में आम आदमी पार्टी ने आज अकेले किसानों के मुद्दे को उठाया। हमने कहा कि पहले किसानों के मुद्दे पर चर्चा कीजिए और इस बिल को वापस लीजिए, क्योंकि किसानों की यही मांग है।

किसान इन तीनों काले कानूनों को वापस कराने के लिए पिछले 75 दिनों से प्रदर्शन पर बैठे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार को उनकी पीड़ा नहीं दिखाई दे रही है। गाजीपुर सीमा पर 97 वर्षीय किसान इलम सिंह बैठे हुए हैं जिनके दो बेटे फौज में है। वह कह रहे हैं कि मुझे आतंकवादी, नक्सलवादी कहा जा रहा है।

इस सरकार में अंग्रेजों से ज्यादा जुल्म हो रहे हैं। सदन के अंदर आज जब मैं किसानों की आवाज को उठा रहा था। सिर्फ एक मांग कर रहा था कि चलो आपने इतना जुल्म कर लिया है, 165 किसानों ने शहादत दे दी है, अब कम से कम उनके मुद्दों पर चर्चा तो कर लीजिए।

अब तो इन तीनों काले कानूनों को वापस ले लीजिए, लेकिन केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। भाजपा कहती है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में आप किसान के मुद्दे पर भी बोल लेना।

सांसद संजय सिंह ने कहा कि अजीब बात है कि इतने बड़े आंदोलन पर अलग से चर्चा नहीं हो सकती। इन बिलों की वापसी की बातचीत अलग से नहीं हो सकती। राष्ट्रपति के अभिभाषण में तो पचासों मुद्दे रहते हैं।

भाजपा कह रही है कि राष्ट्रपति के अभिभावषण से जुड़े पचासों मुद्दों पर बोलिए और किसान पर भी बोल लीजिए। ऐसा आखिर क्यों? अकेले आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है। हमने कहा कि पहले संसद में किसानों के मुद्दे, तीनों काले कानूनों की वापसी, संसद में किसानों को देशद्रोही-आतंकवादी कहे जाने, 165 किसानों की शहादत पर चर्चा होनी चाहिए।

लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी। जब अध्यक्ष आज बार बार आम आदमी पार्टी के सांसदों पर कार्यवाही करने की बात कर रहे थे तो नेता विपक्ष और कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद से कहा कि क्या हम असहाय हैं।

ये सुनने के बाद मुझे अफसोस हुआ कि कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन के अंदर कहा कि हमने जो कहा और तय किया था, हम उसके साथ खड़े हैं।

राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कांग्रेस और बीजेपी ने आपस में क्या तय किया है? आपस में तय करके वह क्या करना चाहते हैं? किसानों को न्याय कैसे मिलेगा? आपस में क्या बातचीत हुई है? आपस में क्या तय कर लिया है?

क्या कांग्रेसी इस बात से सहमत नहीं है कि किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा करके तीनों काले कानून वापस होने चाहिए? क्या कांग्रेस इस बात से सहमत नहीं है कि किसानों के मुद्दे पर, उनके ऊपर हुए जुल्म और उनके ऊपर हुई एफआईआर के मुद्दे पर अलग से चर्चा होनी चाहिए।

सदन की कार्यवाही के दौरान अध्यक्ष साहब ने एलोपी से सवाल किया कि, क्या सदन आम आदमी पार्टी के लोग नहीं चलने देंगे? उस पर जिस भरोसे के साथ गुलाम नबी आजाद ने भरोसा दिलाया कि जो हम लोगों ने तय कर लिया है हम उसी के साथ खड़े हैं? मैं पूछना चाहता हूं कांग्रेस और बीजेपी ने क्या तय कर लिया है?

संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी के हम तीन सांसदों को आज वहां मार्शल उठाकर जबरदस्ती करके बाहर ले जा रहे थे और पूरी कांग्रेस पार्टी खड़ी होकर तमाशा देख रही थी। कोई आवाज निकालने के लिए तैयार नहीं है। यह क्या है?

यह इस बात का संकेत है कि किसानों के मुद्दे पर आपस में गुपचुप कांग्रेस और बीजेपी की कोई बातचीत हो चुकी है। जिसके कारण उतनी मुखरता और प्रखरता के साथ कांग्रेस पार्टी विरोध दर्ज कराने में नाकाम साबित हुई है। किसानों के मुद्दे उठाने और किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा कराने में विफल साबित हुई है?

जहां तक आम आदमी पार्टी का प्रश्न है तो हमारे नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने उस वक्त भी किसानों का साथ दिया था जब 9 स्टेडियम किसानों की गिरफ्तारी के लिए मांगे जा रहे थे। आम आदमी पार्टी ने उस वक्त भी साथ दिया था जब उनको पानी, बिजली, वाईफाई की जरूरत थी और उनके बीच में जाकर उनकी सहायता करने की जरूरत थी।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने उस वक्त भी साथ दिया जब राकेश टिकैत की आंख से आंसू आ गए। उनकी पानी और बिजली बंद कर दी गई। हमने सदन के अंदर मुद्दे की गंभरीता समझते हुए साथ दिया और कहा कि यह काला कानून है, वापस होना चाहिए।

आम आदमी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता सड़क से लेकर संसद तक किसानों के साथ था और रहेगा। हमारी मांग है यह तीनों काले कानून वापस लिए जाएं। वही इस देश के किसानों ने मांग की है। उनकी मांगों के साथ आम आदमी पार्टी खड़ी है।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से आज जींद की महापंचायत में राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा है कि कांग्रेस की पंजाब की सरकार ने कहीं न कहीं केंद्र की भाजपा सरकार का साथ देने का काम किया।

यही बात हम एक नहीं एक हजार बार कह चुके हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार भाजपा की इशारे पर नाचने वाली सरकार है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर घुटना टेककर काम करने वाली सरकार है। वही बात आज किसान नेता राकेश टिकैत जी ने भी कही है।

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