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एक मात्र मानव धर्मशास्त्र है गीता: आचार्य मनोड़ी सरस्वती शिशु मंदिर शास्त्रीनगर में आराधना मास गोष्ठी

एक मात्र मानव धर्मशास्त्र है गीता: आचार्य मनोड़ी
सरस्वती शिशु मंदिर शास्त्रीनगर में आराधना मास गोष्ठी

मेरठ
विश्व के समस्त मानवों के उद्धार, कल्याण तथा मंगल के लिए कुरुक्षेत्र के समरांगण में योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने निराश, हताश, किंकर्त्तव्यविमूढ़ अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को जो दिव्य तत्वज्ञान दिया, वह है श्रीमद्भगवतगीता। महाभारत का युद्ध विश्व युद्ध था। अत: समूची मानव जाति को यह उपदेश है। ईसाई, मुसलमान या हिंदू जो भी इसका स्वाध्याय करता है, वह सच्चे अर्थों में पुरुषार्थी मानव बन जाता है। मनुष्य के उद्धार का एक ही उपाय है श्रीमद्भगवतगीता के अनुसार चलना। विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय मंत्री आचार्य राधा कृष्ण मनोड़ी ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता या समाज की सेवा करना ही सच्ची आराधना है। आज की यह आराधना व्यक्तिगत नहीं है अपितु यह लोक कल्याण के लिए है। आचार्य जी रविवार को सरस्वती शिशु मंदिर डी ब्लॉक शास्त्रीनगर में विश्व गीता संस्थान द्वारा आयोजित आराधना मास गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कवयित्री तुषा शर्मा ने मधुराष्टकम का सुमधुर गायन किया। प्रधानाचार्य गीता अग्रवाल ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो.वाई विमला, उपकुलपति चौ.चरण सिंह विवि ने गीता के व्यवहार दर्शन को परिभाषित करते हुए कहा कि यदि आज भारत अपने स्वरूप में सुरक्षित है तो वह गीता के कारण ही है। भारत का सर्वस्व ही गीता है।
आराधना महोत्सव में मेरठ महानगर के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। शिक्षाविद् डा.विनोद अग्रवाल, डा.विनोद भारती (रा.स्व.संघ), विजय भोला (कार्याध्यक्ष विश्व गीता संस्थान), ब्रजपाल शर्मा (उपाध्यक्ष विश्व गीता संस्थान), प्रो. हरेन्द्र सिंह (शिक्षाविद), चक्रधर मनोड़ी (सचिव), मनमोहन भल्ला, कवयित्रर नीलम मिश्रा, कोमल रस्तोगी, पूनम शर्मा, अरुणा पंवार, शाह फैसल ने अपने विचार व्यक्त किए तथा गीता के प्रति निष्ठा व्यक्त की।
विश्व गीता संस्थान की महासचिव कवयित्री तुषा शर्मा ने विश्व गीता संस्थान के उद्देश्य बताते हुए कहा कि घर-घर गीता हमारा अभियान है। यह मेरठ की जनता के मंगल के लिए एक वरदान है। किसी भी जाति, वर्ग, धर्म का व्यक्ति हमारे अभियान में शामिल हो सकता है। सबके लिए दरवाजे खुले हैं। भक्त शिरोमणि ब्रह्मलीन हनुमान प्रसाद पोद्दार (संस्थापक गीता प्रेस गोरखपुर) को अपना प्रेरणास्रोत बताया। संस्थान के कार्याध्यक्ष विजय भोला ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर डा. सरिता त्यागी, डा. सम्यक जैन, वीरेंद्र सेमवाल, राकेश गुप्ता, सुमनेश सुमन, नंदलाल गुप्ता, नरेंद्र राष्ट्रवादी, अशोक चौधरी, अनुज वशिष्ठ, रीता गुप्ता, हरीश वर्मा, प्रदीप प्रजापति, प्रणव, प्रकर्ष, डा. हरेंद्र सिंह, अवनी वर्मा आदि उपस्थित रहे।

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