नई दिल्ली : संजय सिंह ने कहा कि देश के किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलित होकर अपनी जान दे रहे हैं और केंद्र की भाजपा सरकार उनके साथ दुश्मन देश के नागरिकों जैसा व्यवहार कर रही है।
किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं और लाठियों से पीटा जा रहा है। किसानों को अपमानित करने के लिए आतंकवादी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी और चीन से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने संकल्प लिया है कि ‘आप’ का एक-एक कार्यकर्ता किसानों के साथ है और संसद से सड़क तक काले कानूनों का विरोध करेगा।
मोदी सरकार सिर्फ कहने के लिए 130 करोड़ लोगों की सरकार है, दरअसल यह पूंजीपतियों की गुलाम सरकार है। जब तक ये पूंजीपति कुछ नहीं कहेंगे, तब तक सरकार करोड़ों किसानों की मांग नहीं सुनेगी।
मोदी सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले और यह काला कानून वापस ले। अगर किसानों का आक्रोश फूटेगा, तो सरकार को बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
संजय सिंह ने कहा कि देश का किसान बड़ी उम्मीदों के साथ मोदी सरकार की ओर देख रहा था कि शायद कल की वार्ता अंतिम वार्ता होगी। किसानों को उम्मीद थी कि यह काला कानून वापस ले लिया जाएगा।
इस बिल के लिए पूरा देश आंदोलित है, जिसमें 60 किसानों ने अपनी शहादत दी है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का किसान अपनी जान दे रहा है। उन किसानों के साथ सरकार, दुश्मन देश के नागरिकों जैसा व्यवहार कर रही है।
उनके ऊपर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं, उनको लाठियों से पीटा जा रहा है, उनको वाटर कैनन से रोका जा रहा है।
साथ ही, उनको अपमानित करने के लिए आतंक’वादी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चीन और पाकिस्तान से मिला हुआ कहा जा रहा है। पता नहीं किसानों के ऊपर क्या-क्या तमगा लगाया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि इस देश के अन्नदाता के ऊपर दो दिन पहले मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने आंसू गैस के गोले बरसाए। किसानों के ऊपर मिर्ची पाउडर के गोले छोड़े जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि किसी दुश्मन देश के नागरिकों के साथ युद्ध लड़ा जा रहा है।
ऐसा लगता है कि ऊपर से लेकर नीचे तक जनरल डायर का शासन आ चुका है। जिस तरह से जनरल डायर ने गोलियां चलवा कर पंजाब के हमारे भाइयों की जान ली थी, उसी तरह का दृश्य देखने को मिल रहा है।
इतना सब होने के बाद सरकार लाशें गिनने में लगी थी कि कितने लोग मरे हैं। सरकार देख रहे थी कि मरने वालों में पंजाब और हरियाणा के लोग हैं या नहीं, लेकिन अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान भी अपनी शहादत दे रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा सरकार क्या यह चाहती है कि पूरे देश के किसान मरने के लिए लाइन में खड़े हो जाएं? क्या तब आपकी कुंभकरण की नींद खुलेगी? लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल का विरोध हुआ, सड़क पर इसका विरोध हो रहा है।
धोखे से इस बिल को पास किया गया। संसद में इस पर चर्चा तक नहीं की गई। जिस तरह यह बिल अडानी की सरकार ने पूंजीपतियों के लिए बनाया है, उसी तरह किसानों ने भी मन बना लिया है कि जब तक यह बिल वापस नहीं होगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी दृढ़ संकल्प लिया है कि संसद से लेकर सड़क तक, सेवादार से लेकर सांसद, विधायक और एक-एक कार्यकर्ता तक, हम लोग किसानों का साथ देंगे।
कल बड़ी उम्मीद थी कि शायद सरकार इस काले कानून को वापस लेने के बारे में सोचेगी। लेकिन सरकार ने इस उम्मीद पर एक बार फिर पानी फेर दिया। कहने के लिए यह 130 करोड़ लोगों की सरकार है, लेकिन दरअसल यह अडानी की गुलाम सरकार है।
गुलाम सरकार को जब तक मालिक कुछ नहीं कहेंगे, तब तक यह सरकार किसानों की सुनने वाली नहीं है।
संजय सिंह ने आगे कहा कि मैं अभी भी कह रहा हूं कि किसानों के ऊपर पीड़ा, तकलीफ और कष्ट का पहाड़ खड़ा हो चुका है।
किसानों के धैर्य का बांध टूट रहा है। मोदी जी उनके धैर्य की परीक्षा मत लीजिए। आप ने उनका बहुत इम्तिहान ले लिया। इस कड़कड़ाती ठंड में उनको खूब तड़पा लिया।
अब यह काला कानून वापस ले लीजिए। अगर उनका आक्रोश सड़कों पर फूटेगा तो इसके बहुत गंभीर परिणाम सरकार को भुगतने पड़ेंगे।