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फीस माफ़ी को लेकर जीपीए का अनशन दूसरे दिन भी जारी, अनशनकारियों की गिरी सेहत

शमशाद रज़ा अंसारी

कोरोना महामारी के कारण लगे लॉक डाउन से देशवासियों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गयी है। ऐसी महामारी के समय जहाँ सभी देशवासी एक दूसरे की मदद कर रहे हैं वहीँ शिक्षा माफिया स्कूलों की फीस वसूलने के लिए मानवता एवं बच्चों के भविष्य को ताक पर रख कर अभिभावकों एवं बच्चों पर भारी दबाव बना रहे हैं। इन परिस्थितयों में जब घर का खर्च चलाना भी दुश्वार है, तब भी यह शिक्षा माफिया ग़रीबों की जेब पर गिद्ध दृष्टि जमाये हुये हैं।

शिक्षा का व्यापर करने वाले ऐसे संवेदनहीन व्यापारियों के विरुद्ध देश भर में फीस माफ़ी को लेकर आंदोलन किये जा रहे हैं। जनपद ग़ाज़ियाबाद में शिक्षा के विभिन्न मुद्दों को लेकर हमेशा लड़ाई लड़ती आई ग़ाज़ियाबाद पैरेन्ट्स एसोसिएशन भी फीस के मुद्दे को लेकर लगातार आवाज़ उठा रही है। जीपीए के तमाम प्रयासों के बाद भी जब शासन प्रशासन ने फीस माफ़ी को लेकर कोई ठोस कदम नही उठाया तो अंत में प्रशासन को नींद से जगाने के लिए जीपीए सदस्यों को भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा। गुरुवार को जीपीए की भूख हड़ताल का दूसरा दिन था। दूसरे दिन अनशनकारियों की सेहत में गिरावट आई लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी अनशनकारियों से बातचीत करने नही आया। प्रशासनिक अधिकारी अनशनकारियों से मुँह छुपा रहे हैं।

जीपीए के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में हमारी तरफ से अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। हमने प्रशासन एवं सरकार से मांग की थी कि कोविड में लॉक डाउन के कारण हुई आर्थिक मंदी के वजह से काफी अभिभावकों को नुकसान हुआ है। व्यापारी से लेकर नौकरी करने वाले तक इस आर्थिक मंदी की चपेट में आ गये। सैकड़ों लोग इस आर्थिक मंदी में आत्महत्या तक कर चुके हैं। आय का स्रोत न होने के कारण जीवनयापन भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में स्कूल की फीस कहाँ से भरें। इसीलिए जीपीए ने मांग की थी कि अभिभावकों को तीन माह (अप्रैल,मई,जून) की फीस माफ की जाए तथा चूँकि स्कूल चल नहीं रहे हैं इसलिए जुलाई से ऑनलाइन क्लास के हिसाब से एक न्यूनतम राशि फीस के रूप में निर्धारित की जाए। ताकि अभिभावक उस राशि को आसानी से जमा भी करा पाएं तथा बच्चों के पढ़ाई में भी रुकावट ना आये। इन्हीं मांगों को लेकर जीपीए ने जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी दिया था तथा मांगें ना माने जाने पर 2 सितंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की बात कही थी। प्रशासन के ढुलमुल रवैये एवं ठोस जबाव नहीं मिलने के कारण जीपीए के पदाधिकारी बुधवार सुबह 10 बजे से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना स्थल पर बैठ गए। हालाँकि प्रशासन की तरफ से हड़ताल पर नहीं बैठने देने की पूरी कोशिश की गई। लेकिन अभिभावक नहीं माने और अंततः वहीं भूख हड़ताल पर बैठ गए। भूख हड़ताल पर बैठने के बाद भी प्रशासन के तरफ से किसी तरह की वार्ता नहीं कि गयी जिसके वजह से अभिभावक संघ एवं अभिभावकों ने रात को भी भूख हड़ताल पर बैठे रहने का निर्णय लिया। रात के समय एडीएम सिटी शैलेन्द्र सिंह तथा जिला शिक्षा अधिकारी रविदत्त ने अनशनकारियों से बात की। लेकिन गर्मागर्म बहस के बाद दोनों अधिकारी चले गये।

जीपीए के अधिकारियों का कहना है कि जबतक प्रशासन एवं सरकार के तरफ से अभिभावकों को स्कूल फीस से राहत नहीं दिलाई जाएगी तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी। भूख हड़ताल के दूसरे दिन जीपीए अध्यक्ष सीमा त्यागी को कमज़ोरी महसूस होने लगी। अनशन पर बैठीं साधना सिंह को मधुमेह है। दो दिन भूखा रहने से उनकी सेहत गिरने लगी है। साधना सिंह के चेहरे एवं हाथ-पैर पर सूजन आ गयी।

जहाँ एक तरफ प्रशासनिक अधिकारी अनशनकारियों से मुँह छुपा रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ स्कूलों की फीस सभी की समस्या होने के कारण जीपीए को जनता एवं राजनीतिक पार्टियों का ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है। हर पीड़ित व्यक्ति प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से जीपीए का समर्थन कर रहा है। अनशन के पहले दिन रालोद प्रवक्ता एडवोकेट अजयवीर सिंह जीपीए के समर्थन में पँहुचे थे। दूसरे दिन कांग्रेस नेता बिजेंद्र यादव, मनोज कौशिक, ऑल गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स एसोसिएशन से मनोज कटियार, चन्जीत सिंह, जनशक्ति एक आवाज़ से हरीश पण्डित, राष्ट्रीय उद्योग एवं व्यापार मंच से उदयन गर्ग , विपिन शर्मा , राष्ट्रीय लोकदल से अजय चौधरी, विनीत चौधरी ने धरना स्थल पर पँहुच कर अनशनकारियों को समर्थन देकर उनका हौंसला बढ़ाया।

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