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अगर किसान आतंकवादी व देशद्रोही हो गए, तो पेट कौन भरेगा : CM केजरीवाल

नई दिल्ली : सीएम केजरीवाल ने गुरू गोविंद सिंह के चार बेटों व माता गुजरी जी की शहादत पर दिल्ली सरकार की पंजाब एकेडमी द्वारा सिंघु बाॅर्डर पर आयोजित कीर्तन दरबार में हिस्सा लिया। सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार के तीनों काले कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई अब आर-पार की हो चुकी है।

किसान अपनी खेती बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में बैठे हैं। भाजपा का एक भी मंत्री और नेता नहीं है, जो इन कानूनों के फायदे बता सके। सीएम ने कहा कि भाजपा किसानों से जमीन छीन कर अपने पूंजीपति दोस्तों को देने के लिए ये काले कानून लाई है।

आज पूरा भारत दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक वो लोग हैं, जो करोड़ों किसानों को नुकसान पहुंचा कर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं और दूसरे वे लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों के साथ खड़े हैं।

मैं भाजपा की केंद्र सरकार को चुनौती देता हूं कि वो तीनों बिलों पर खुली बहस करा ले, ताकि बिल की सच्चाई पूरे देश के सामने आ जाए। केंद्र सरकार से अपील है कि किसानों की बातें सुन कर तीनों कानूनों को वापस ले और इस संघर्ष को यहीं खत्म कर दे।

केजरीवाल आज गुरू गोविंद सिंह के चार बेटों एवं माता गुजरी जी की शहादत दिवस पर उन्हें याद करने के लिए सिंघु बाॅर्डर पर दिल्ली सरकार की पंजाब एकेडमी द्वारा आयोजित कीर्तन दरबार में शामिल हुए।

इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि हम सब लोग आज गुरू गोविंद सिंह जी के साहिबजादों और माता कुजरी कौर जी की सबसे बड़ी शहादत को नमन करने के लिए इकट्ठे हुए हैं।

हम पूरे दिल से उनकी शहादत को नमन करते हैं। मैं समझता हूं कि शायद भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के मानव जाति के पूरे इतिहास में इस किस्म की शहादत की दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती है।

आज हमारे देश के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आए हुए हैं। देश का किसान आज बहुत दुखी है, देश के किसानों पर मुसीबत आई हुई है। इस समय हम लोगों को भी कितनी सर्दी लग रही है।

रात को जब कड़ाके की ठंड हो जाती है, उस समय हमारे किसान भाई, माताएं व बच्चे, पिछले 32 दिनों से खुले आसमान के नीचे सड़क पर सोने को मजबूर हैं। आखिर क्यों? सोच-सोच कर भी दिल कांप उठता है। अभी तक यहां पर 40 से ज्यादा लोगों की शहादत हो चुकी है।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि इस मंच के जरिए इतने पवित्र स्थान से पवित्र मौके पर आज मैं हाथ जोड़कर केंद्र सरकार से अपील करता हूं ये अपने ही लोग, भाई, बहन और बुजुर्ग हैं। इनकी बातें सुनकर मांगे पूरी करते हुए तीनों काले कानून वापस ले लो।

अब इन लोगों के संघर्ष को यहीं खत्म करो। आप अब और कितनी शहादत लेना चाहते हो? पता नहीं किस-किस तरह की बातें की जा रही हैं। यह सभी सरकारों का एक तरह से हथियार होता है। मुझे को याद है कि जब अन्ना आंदोलन में हम लोग बैठा करते थे, तो हमें भी बदनाम किया जाता था।

आज किसानों को आतंकवादी, राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है। किसान आतंकवादी, राष्ट्रद्रोही हो गए, तो तुम्हार पेट कौन भरेगा? उसके बाद तुमको रोटी कौन देगा?

सीएम केजरीवाल ने कहा कि 70 साल से अपने देश के किसानों को सबने धोखा दिया है। सारे नेताओं ने धोखा दिया, सारी पार्टियों ने धोखा दिया। अभी तक किसानों ने केवल और केवल धोखा देखा है। सारी पार्टियां कहती थीं कि तुम्हारे लोन माफ करेंगे।

किसी ने लोन माफ नहीं किए। सारी पार्टियां चुनाव के पहले कहती थीं कि तुम्हारे बच्चों को नौकरी देंगे, लेकिन किसी ने नौकरी नहीं दी। अब ये तीनों कानून लेकर आए हैं। इन तीनों कानूनों के जरिए अब किसानों की खेती भी छीनना चाहते हैं। किसान के पास खेती के अलावा तो कुछ होता नहीं है। ये लोग उनकी खेती भी छीनना चाहते हैं।

उनकी खेती भी उठाकर अपने दो चार बड़े-बड़े पूंजीपति दोस्तों को देना चाहते हैं। अगर किसान की खेती भी चली गई, तो फिर वह कहां जाएगा? किसान खेती करता है। किसान की खेती भी चली गई, तो फिर वो कहां जाएगा? आप सोच कर देखो कि इतनी ठंड में किसान अपने घर के बुजुर्गों और बच्चों को लेकर बैठे हैं, वो अपनी आजीविका के लिए बैठे हैं।

क्योंकि अब यह लड़ाई आर-पार की लड़ाई बन गई है। जब खेती भी चली जाएगी और खेतों पर बड़ी-बड़ी कंपनियों का अधिकार हो जाएगा, तो किसान के पास कुछ भी नहीं बचेगा। अपनी खेती को बचाने के लिए किसान बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि अभी केंद्र सरकार ने अपने सारे बड़े-बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है। इनके सारे मंत्री और मुख्यमंत्री मैदान में आकर भाषण दे रहे हैं कि इस कानून से किसानों का फायदा है। मैंने इनके सारे भाषण सुने हैं।

अभी तक मुझे इनका एक भी नेता नहीं मिला जो यह बता सके कि इस कानून का किसानों को एक भी क्या फायदा होगा। गूगल और यूट्यूब पर जाकर आप भी सुन लेना। जितने ये बड़े-बड़े नेता आते हैं, वो सारे कहते हैं कि इससे किसानों की जमीन नहीं जाएगी। यह कोई फायदा हुआ? जमीन तो आज भी किसानों के पास ही है।

भाजपा नेता कहते हैं कि इससे आपकी एमएसपी नहीं जाएगी, तो क्या यह फायदा हुआ? इससे आपकी मंडी नहीं जाएगी, यह भी कोई फायदा हुआ? आखिर फिर कानून क्यों लाए हो? कानून फाड़कर फेंक दो। किसानों को कोई फायदा नहीं बता पा रहे। इनके बड़े नेता कह रहे हैं कि कानून से कोई नुकसान नहीं होगा। किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा, तो फायदा किसका होगा? फायदा उन पूंजीपतियों का होगा। यह साफ जाहिर है कि इन बिलों से किसानों का कोई फायदा नहीं है।

आखिर में यह एक फायदा बताते हैं। इनके नेता कहते हैं कि किसान अब मंडी के बाहर पूरे देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है? मैंने इनसे कहा कि अभी बिहार में मंडी नहीं है। वहां पर फसल 800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है। आप यह बता दो कि एमएसपी 1850 रुपए है। इससे ज्यादा कीमत पर फसल पूरे देश में कहां बिक रही है?

जहां हमारा बिहार व उत्तर प्रदेश का किसान जाकर बेच ले। मंडी के बाहर तो फसल का आधा दाम मिल रहा है। मंडी के बाहर तो फसल का 50 फीसदी दाम भी नहीं मिल रहा है। यह तो कोई फायदा नहीं हुआ। ये लोग किसानों को एक भी फायदा नहीं बता पा रहे हैं। फायदा केवल और केवल पूंजीपतियों को है।

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि आज पूरा देश दो भागों में बंटा हुआ है। एक वे कुछ लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों का नुकसान करके कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं और दूसरे वे लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों के साथ खड़े हैं।

अगर करोड़ों किसानों का फायदा हो रहा है तो चार-पांच पूंजीपतियों को नुकसान होने से क्या फर्क पड़ता है। पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है।

उन्होंने कहा कि एक ये लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है। मैं आज यहां से चुनौती देता हूं कि केंद्र सरकार अपने सबसे बड़े नेता, जिसको भी कानूनों के बारे में पता है, वो आ जाए और हमारे किसानों के नेता आ जाएं। दोनों जनता के बीच में बहस कर लें। दोनों में से किसको ज्यादा जानकारी है। सरकार कहती है कि किसानों को जानकारी नहीं है, तो डिबेट में किसान बता देंगे।

मैंनें किसान जत्थे बंदियों के जितने नेता हैं, इनके सारे वीडियो सुने हैं। इतने शानदार तरीके से आपको ये संविधान समझा देते हैं। इनको सारा संविधान पता है। इनको सारा कानून पता है। मुझे पूरा यकीन है कि जितना इनको पता है, उतना तो भाजपा के मंत्रियों को भी नहीं पता होगा। मैं आज चुनौती देता हूं कि एक बार दूध का दूध, पानी का पानी भी हो जाए। इनके जो भी सबसे बड़े मंत्री हैं, जिसको सबसे ज्यादा जानकारी है, वो आ जाएं। दूसरी तरफ से हमारे किसान नेता आ जाएं।

पूरे देश के सामने डिबेट हो जाए। पूरे देश को पता चल जाएगा कि यह कानून कितने खतरनाक हैं। यह कानून कितने गंदे हैं। मैं इस पवित्र स्थान से आज उम्मीद करता हूं कि केंद्र सरकार, किसानों की और शहादत नहीं करवाएगी। अभी तक 40 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं।

अब इनकी आर-पार की लड़ाई है। केंद्र सरकार जल्दी से जल्दी इन तीनों कानूनों को वापस ले। किसानों को एमएसपी की गारंटी दे, उसके लिए कानून लेकर आए। अब किसानों का संघर्ष खत्म करवाए।

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