नई दिल्ली : दिल्ली के शिक्षा मॉडल को संपूर्ण विश्व में बच्चों के सर्वांगीण विकास के दृष्टिकोण के कारण एक नई पहचान मिल रही है।

आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने ‘टीच फॉर इंडिया’ के सीईओ शाहीन मिस्त्री और ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ की CEO रुक्मिणी बनर्जी के साथ-साथ ‘हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन’ के असिस्टेंट प्रोफेसर एमरित डेविश के साथ प्रतिष्ठित हॉवर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस 2021 को संबोधित किया।

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आतिशी ने कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ‘भारत में शिक्षा की समानता आर्थिक दृष्टिकोण से पहले से ही काफी संवेदनशील रही है। लेकिन कोविड की अवधि के बाद यह संकट और भी गहरा गया है।’

उन्होंने कहा कि ‘कोविड से पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों में विभिन्न स्तर पर शिक्षा की बाधाओं को दूर किया था और ध्यान बच्चों के सीखने पर केंद्रित था।’ कोरोना काल से उभरते हुए समय में एक बार फिर से स्कूल खुलने को तैयार हैं।

ऐसे में आतिशी ने कहा कि ‘हमने पिछले 1 साल में बच्चों के साथ यह काम किया है कि जिन बच्चों के एक बड़े वर्ग को सामान्य शिक्षा भी उपलब्ध नहीं थी। उनके साथ कोरोना के समय ने बड़ी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न की है।’

उन्होंने आगे कहा कि ‘महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई लगभग अप्रभावित रही। लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पास न लैपटॉप होते हैं, न मोबाइल फोन और ना ही घर पर वाई-फाई की सुविधा। ऐसे में बच्चों ने अपना पूरा एक साल खो दिया है।’

अपने संबोधन के दौरान बच्चों में सीखने की परिस्थितियों और इसमें परिवार के साथ साथ समाज की भागीदारी से बच्चों के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभाव के महत्व को समझाते हुए आतिशी ने कहा कि ‘कोरोना के समय में बच्चों तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंचाने से ज्यादा अधिक महत्वपूर्ण समाज और परिवार की भागीदारी को बढ़ाना रहा। क्योंकि यही वह भूमिका है जिसके आधार पर भविष्य की परिभाषा तय की जा सकती है।’

पिछले साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने लगातार अभिभावकों के साथ संपर्क बनाए रखा। उन्हें आने वाले समय की चुनौतियों के लिए तैयार किया। और इस तरह से दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने जिस तरह घर और स्कूल के मध्य संबंध स्थापित किए वे अपने आप में प्रशंसनीय हैं।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पिछले पांच-छह सालों में लगातार इस बात पर ध्यान दिया गया है कि शिक्षक और अभिभावक के बीच नियमित मीटिंग हों। और जिसकी वजह से महामारी के इस दौर में यह विचार और भी अधिक मजबूत हुआ। जिसमें की अभिभावक शिक्षा और सिखाने की प्रक्रिया में स्वयं को अधिक भागीदार समझते हैं।

आतिशी के दिल्ली की सरकारी स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयासों की सराहना करते हुए शाहीन मिस्त्री ने कहा कि ‘आज दिल्ली में जो कुछ भी हो रहा है वह क्रांतिकारी हैं। ऊपर से नीचे तक की पूरी व्यवस्था इस क्रांति का हिस्सा है। हमें आज के समय में देश को बेहतर बनाने के लिए आवश्यकता है इस तरह की नेतृत्व करने वालों की जो की शिक्षा व्यवस्था को सरकारी तंत्र के जरिए बदलने का सामर्थ्य रखते हैं।

जब आतिशी से पूछा गया कि क्या बोर्ड परीक्षाओं को समय पर आयोजित कराना उचित होगा? या फिर इन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए? तो उन्होंने जवाब दिया कि ‘हमें बच्चों से इस साल यह पूछने की बजाए की परीक्षाएं टालनी हैं या नहीं? हमें यह पूछना चाहिए कि क्या हमारे बच्चों तक शिक्षा पहुंच रही है? और यह एक ऐसा प्रश्न है जो आज देश के सामने चुनौती बनकर खड़ा है।

आतिशी ने अपने संबोधन का समापन एक नई उम्मीद और भरोसे के साथ किया। जो कि शिक्षा एवं इस जगत से जुड़े हुई बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए हौसला बढ़ाने वाला है। उन्होंने कहा कि ‘जुलाई या अगस्त 2021 तक हम ऐसी स्थिति में होंगे जब स्कूल खुल सकेंगे, और तब हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि हम शिक्षा के क्षेत्र में हुई इस हानि को किस तरह मिटा पाते हैं।’

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