नई दिल्ली : पीडीपी अध्यक्ष महबूबा से जब पूछा गया कि क्या उन्हें वाकई उम्मीद है कि कोई सरकार संसद द्वारा पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किये जाने के फैसले को पलट देगी.

जिस फैसले का पूरे देश में व्यापक तौर पर स्वागत किया गया, तो महबूबा ने कहा, ‘‘कुछ भी पत्थर की लकीर नहीं होता.’’

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महबूबा ने कहा, ‘‘अगर संसद का फैसला ही अंतिम होता तो लाखों लोग सीएए या कृषि विधेयकों जैसे कानूनों के खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरे होते.’’

महबूबा ने कहा, ‘‘हमसे जो भी असंवैधानिक तरीके से छीना गया है उसे लौटाना होगा, लेकिन यह लंबी और कठिन राजनीतिक लड़ाई होगी.’

महबूबा ने कहा कि हाल ही में डीडीसी के चुनावों में 280 सीटों में से 112 पर गुपकर गठबंधन की जीत ने दिखा दिया है कि जनता ने अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने के फैसले को स्पष्ट रूप से नकार दिया है.

महबूबा ने कहा, ‘‘डीडीसी चुनाव अचानक से हमारे सामने चुनौती की तरह पेश किये गये और हमें समान अवसर नहीं प्रदान किये गये.

हमने सीधी टक्कर ली और एकजुट होकर चुनाव लड़ा ताकि भाजपा और उसके छद्म दलों को कोई लोकतांत्रिक स्थान नहीं मिले तथा हमारे लोगों को कमजोर करने से उन्हें रोका जा सके.’’

महबूबा ने कहा, ‘‘लेकिन भाजपा ने चुनाव में अनुच्छेद 370 के मुद्दे को उठाकर इसे एक जनमत संग्रह बना दिया.

इसलिए लोगों ने सामूहिक रूप से हमारे गठबंधन के लिए वोट दिया और स्पष्ट कर दिया कि वे पांच अगस्त, 2019 के गैरकानूनी फैसले को खारिज करते हैं.’

महबूबा ने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने तथा पूर्ववर्ती राज्य को विभाजित करने के फैसले से जनता पूरी तरह स्तब्ध और ठगा हुआ महसूस कर रही थी.

महबूबा ने कहा कि इस फैसले ने जम्मू कश्मीर के लोगों का देश से अलगाव और बढ़ा दिया तथा कश्मीर मुद्दे को और अधिक जटिल बना दिया.

महबूबा ने कहा, ‘‘आगे का रास्ता सभी पक्षों के साथ सुलह और संवाद का तथा देश की संप्रभुता से समझौता किये बिना समाधान के लिए अनेक विकल्पों पर विचार-विमर्श करने का और साथ ही उसी समय जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का भी है.

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