नई दिल्लीः आरएसएस मोहन प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधित बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने आपत्ति ज़ाहिर की है। उन्होंने मोहन भागवत को चेतावनी देते हुए कहा है कि संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है। बता दें कि आरएसएस प्रमुख कई बार आरक्षण विरोधी बयान दे चुके हैं। बीते रविवार को भी उन्होंने ऐसा ही एक बयान देते हुए कहा था कि आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती संघ प्रमुख को चेतावनी देते हुए कहा कि आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के सम्बंध में यह कहना कि इसपर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है। आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित व अन्याय है। संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है।

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बसपा सुप्रीमो ने कहा कि देश में खासकर एससी, एसटी, ओबीसी व अपरकास्ट समाज के करोड़ो गरीबों की आर्थिक हालत लगातार काफी ज्यादा खराब बनी हुई है। इस सम्बंध में केन्द्र व राज्य सरकारों से माँग है कि वे इन पीड़ित व उपेक्षित वर्गों पर विशेष ध्यान दे तथा गरीबी उन्मूलन आदि योजनाओं का सही लाभ उन्हें उपलब्ध कराए।

उन्होंने कहा कि  केन्द्र व सभी राज्य सरकरों से भी यह माँग है कि इन वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण कोटे के रिक्त पड़े लाखों पदों को विशेष अभियान चलाकर पूरा करे ताकि इनकी आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार आ सके। देशहित में भी ऐसे कदम उठाने बहुत जरूरी हैं।

मायावती ने यूपी की योगी सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यूपी की भाजपा सरकार में कानून का नहीं बल्कि यहाँ गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं आदि का जंगलराज चल रहा है, जिस कारण अब पूरे प्रदेश में हर प्रकार के अपराध चरम पर हैं तथा हत्याओं की तो बाढ़ सी आ गयी लगती है। हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा है, जो अति-दुःखद व अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।

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