नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उन्हें सलाह दी है कि वह वैसी ग़लती न करें जैसी सिन्धिया ने की है, मध्य प्रदेश में सिन्धिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए, दिग्विजय के कहने का मतलब यही था कि सचिन पायलट ऐसा न करें,

राजस्थान कांग्रेस में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच ऐसा लग रहा है कि सचिन पायलट को समझाने-बुझाने की कोशिशें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं, दिग्विजय सिंह ने उन्हें सलाह दी है कि वह वैसी ग़लती न करें जैसी ज्योतिरादित्य सिन्धिया ने की है, मध्य प्रदेश में सिन्धिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, दिग्विजय सिंह के कहने का मतलब यही था कि सचिन पायलट ऐसा न करें,

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बता दें कि सचिन पायलट और उनके विश्वसनीय 18 विधायकों ने अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी है, वे पालयट को मुख्यमंत्री बनाने की माँग कर रहे हैं, हालांकि पायलट ने बीजेपी में शामिल होने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है, पर समझा जाता है कि वह अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, एनडीटीवी इंडिया की एक ख़बर के अनुसार, दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘उम्र आपके पक्ष में है, अशोक गहलोत ने भले ही आपको ठेस पहुँचायी हो, सभी मुद्दों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सता है, सिन्धिया ने जो ग़लती की है, वह आप न करें,’

सिंह ने यह भी कहा कि ‘महात्वाकांक्षी होना अच्छा है, लेकिन महत्वाकांक्षा के साथ-साथ अपने संगठन, विचारधारा और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए,’ पूर्व मुख्यमंत्री ने पायलट को याद दिलाया कि ‘कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 26 साल की उम्र में सांसद, 32 की उम्र में केंद्रीय मंत्री, 34 की उम्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और 38 की उम्र में उप मुख्यमंत्री बनाया,’

सचिन पायलट की नाराज़गी का यह आलम है कि उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया, जिस पर पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया और विधानसभा स्पीकर से शिकायत कर दी, स्पीकर ने इस पर पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस दिया, पायलट खेमे ने इसे चुनौती देते हुए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी, समझा जाता है कि अशोक गहलोत विधानसभा सत्र बुलाने की माँग कर फ्लोर टेस्ट की पेशकश कर सकते हैं, हालांकि विपक्षी दल बीजेपी ने इसकी माँग नहीं की है, इस फ्लोर टेस्ट के लिए पार्टी व्हिप जारी कर सकती है और उसका उल्लंघन करने पर पायलट खेमे के विधायकों को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है, ऐसे में विधानसभा से उनकी सदस्यता भी जा सकती है

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