नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भारत को कद बढ़ने के साथ ज्यादा सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा.
नरवणे ने कहा हमारे दुश्मन जिस तरह रक्षा क्षेत्र में आधुनिक में तेजी ला रहे हैं, उस हिसाब से हम रफ्तार में थोड़ा पीछे छूट रहे हैं.
नरवणे ने कहा रणनीतिक दबदबा कायम रखने के लिए रक्षा निर्माण क्षमताओं में वृद्धि करनी होगी, क्योंकि दूसरे देशों पर हथियारों के लिए निर्भरता से संकट के समय में जोखिम बढ़ सकता है.
सेना-उद्योग भागीदारी पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि सुरक्षा बलों को 2020 में कोविड-19 महामारी और उत्तरी सीमाओं पर ‘अस्थिरता’ की दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आत्मनिर्भरता पर सरकार के ध्यान देने से देश के समग्र रणनीतिक लक्ष्यों को बढ़ावा मिलेगा.
नरवणे ने कहा कि ‘हमारे प्रतिद्वंद्वियों’ के साथ सीमाओं को लेकर अनसुलझे मुद्दे और पूर्व में हो चुके युद्ध के मद्देनजर हमें ‘छद्म युद्ध’ और ‘वामपंथी उग्रवाद’ जैसी चुनौतियों से भी निपटना पड़ सकता है.
नरवणे ने सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर द्वारा आयोजित सेमिनार में कहा भारत एशिया में, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में उभरता हुआ क्षेत्रीय वैश्विक ताकत है, जैसे-जैसे हमारा दर्जा और प्रभाव बढ़ता जाएगा, हमें ज्यादा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
जनरल नरवणे ने कहा खरीद प्रक्रिया में प्रक्रियात्मक कमी है, प्रथमदृष्टया यह इसलिए है ताकि कोई गलती ना हो, उन्होंने कहा कि समस्या ‘नियमों की हमारी अपनी व्याख्या से भी बढ़ी है.
नरवणे ने कहा हमारे सहयोगियों द्वारा किए गए रक्षा आधुनिकीकरण की गति के मुकाबले हम थोड़े पीछे हैं, विदेशी मूल के उपकरणों पर निरंतर और भारी निर्भरता का हल स्वदेशी क्षमता के जरिए निकालने की जरूरत है.
भारत की उत्तरी सीमाओं पर बढ़ रही सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इन सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए आधुनिकीकरण के जरिए सेना के क्षमता निर्माण में बढ़ोतरी करना जरूरी है, भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले आठ महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध चल रहा है.
नरवणे ने कहा स्वदेशी उपकरण और हथियार प्रणाली खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि सेना के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी और हथियारों के साथ मुकाबला करना और युद्ध जीतने से ज्यादा कुछ प्रेरणादायी नहीं होगा.