नई दिल्ली : सीएए और एनआरसी के विरोध में हुए शाहीन बाग प्रदर्शन में शाहीन बाग की दादी के नाम से मशहूर बिलकिस को अमेरिकी टाइम पत्रिका ने 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तियों में माना है, यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि सीएए के ख़िलाफ़ 100 दिन से ज़्यादा चला यह आन्दोलन न केवल पूरी तरह शांतिपूर्ण था, बल्कि स्वत: स्फूर्त भी था, इससे जुड़े लोगों को देशद्रोही कहा गया, आतंकवादी कह कर प्रचारित किया गया, इसे बदनाम करने के लिए कहा गया था कि इसके मंच से पाक जिन्दाबाद का नारा लगाया गया, पाक का झंडा फहराया गया.
दुनिया की सबसे मशहूर पत्रिका में इस आन्दोलन की एक एक्टिविस्ट का इतने सम्मान से नाम शामिल होना महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि इसके ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के लिए बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने ‘देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को’ का नारा दिया, इतना ही नहीं, उन्होंने पुलिस के उपायुक्त की मौजूदगी में खुले आम धमकी देते हुए पुलिस को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया, चेतावनी दी कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया गया तो वे ख़ुद अपने लोगों के साथ सड़कों पर उतरेंगे.
बात यही नहीं रुकी, सांसद परवेश साहेब सिंह वर्मा ने कहा कि ‘जो लोग शाहीन बाग में धरना दे रहे हैं, वे कल वहां से निकल कर लोगों के घरों में घुसेंगे और उनकी बहू-बेटियों से बलात्कार करेंगे,’ जिस आन्दोलन के ख़िलाफ़ ऐसा ज़हर भरा अभियान चलाया गया हो, बीजेपी के सामान्य साइबर सिपाही से लेकर प्रधानमंत्री तक को विषभरी बातें कहने को मजबूर होना पड़ा हो, उसकी एक 82 साल की महिला एक्टिविस्ट को दुनिया के सबसे प्रभावशाली 100 लोगों में एक माना जा रहा है और उन्हें ‘आइकॉन’ की सूची में डाला गया है, यह इस आन्दोलन की जीत नहीं तो क्या है ?
‘शाहीन बाग की दादी’ को ‘आइकॉन’ श्रेणी में रखा गया है, वैसे, इस दादी का असली नाम बिलकिस है, बिलिकिस तब चर्चा में आ गई थीं जब उन्होंने सीएए के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग में धरना दे रहे लोगों का प्रतिनिधित्व किया था, इस धरने में समाज के सभी वर्ग के लोगों की शिरकत थी, पर इसकी शुरुआत स्थानीय महिलाओं ने की थी, ‘शाहीन बाग की दादी’ उन स्थानीय महिलाओं में एक थीं, बिल्किस दादी ने कहा था, वे हमें देशद्रोही कहते हैं, जब हमने अंग्रेजों को इस देश से भगा दिया तो मोदी और शाह कौन हैं, अगर कोई हम पर गोली भी चला दे तो भी हम एक इंच पीछे नहीं हटेंगे, वे लोग नागरिकता क़ानून और एनआरसी को ख़त्म कर दें, हम तुरंत यहां से उठ जायेंगे.’
टाइम मैग़्जिन ने उनके बारे में लिखा है, एक हाथ में प्रार्थना की माला और दूसरे में राष्ट्रीय ध्वज थामे हुए बिलकिस भारत में किनारे पर धकेल दिए गए लोगों की आवाज़ बन गईं, वह सुबह 8 बजे से मध्य रात्रि तक धरने पर बैठी रहती थीं, मशहूर पत्रकार और लेखिका राणा अयूब ने लिखा, ‘उस विरोध प्रदर्शन को देखें जहां हम बैठे हुए हैं, ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुसलमान विरोध कर रहे हैं, आएं और देखें कि कितने लोग खाना बाँट रहे हैं,’ बिलकिस ने उस समय इंडियन एक्सप्रेस से कहा था.’हम बूढी हैं और हम अपने लिए यह सब नहीं कर रही हैं, यह हमारे बच्चों के लिए है, वर्ना हम अपने जीवन की सबसे ठंडी रात में इस तरह खुले में क्यों रहतीं?’
रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई