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दिल्ली के इतिहास में आज तक का यह सबसे बड़ा घोटाला है, कॉमनवेल्थ घोटाले से भी कई गुना बड़ा घोटाला है : आतिशी

नई दिल्ली : विधायक आतिशी ने कहा कि गृहमंत्री और एलजी के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने आज उनके आवास के बाहर धरना देने के लिए जा रहे ‘आप’ विधायकों और पार्षदों को हिरासत में ले लिया था,

एमसीडी में हुए घोटाले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री के आवास के बाहर एमसीडी के मेयर और भाजपा पार्षदों को बैठाया हुआ है, दिल्ली के इतिहास में आज तक का यह सबसे बड़ा घपला है.

यह घपला शीला दीक्षित सरकार के कॉमनवेल्थ घोटाले से भी कई गुना बड़ा घपला है, वहीं, चड्ढा ने कहा कि एलजी और अमित शाह ने मिलने से मना कर दिया, किसी भी किस्म की जांच करने से मना कर रहे हैं, इससे साफ है कि इस घपले में बहुत बड़े-बड़े लोग शामिल हैं और भाजपा उन्हें बचाना चाहती है.

एमसीडी में जबरदस्त भ्रष्टाचार है, पिछली बार भाजपा ने खुद माना था कि उनके सभी पार्षद भ्रष्ट हैं, अमित शाह ने कहा कि इसीलिए सबकी टिकट बदली, इस बार भी भाजपा कह रही है कि सबकी टिकट बदलेंगे.

2500 करोड़ का घपला करने के बाद अब ये सीएम हाउस पर बैठे हैं और कह रहे हैं कि हमें चोरी करने के लिए और पैसा दो, हम दिल्ली की जनता से पूछना चाहते हैं कि क्या भाजपा वालों को आपका पैसा चोरी करने के लिए देना चाहिए?

आतिशी ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 2500 करोड़ का घोटाला हुआ है, यह दिल्ली के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज तक शीला दीक्षित जी के समय में हुए कॉमनवेल्थ घोटाले को सबसे बड़ा घोटाला माना जाता था, परंतु जो घोटाला उत्तरी दिल्ली नगर निगम में हुआ है, वह कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटाले को भी पीछे छोड़ देता है.

आतिशी ने कहा कि यह जानना बेहद जरूरी है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में जो घोटाला हुआ है, वह कौन से पैसे का हुआ है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि यह नगर निगम में काम करने वाले उन डॉक्टरों के वेतन का पैसा है.

जो कोरोना महामारी के काल में अपनी जान की बाजी लगाकर दिन-रात लोगों की सेवा कर रहे हैं, यह नगर निगम के स्कूलों में कार्यरत उन अध्यापकों के वेतन का पैसा है जो इस महामारी के काल में भी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से हमारे बच्चों को पढ़ा रहे हैं, .

न केवल पढ़ा रहे हैं, बल्कि कोरोना महामारी के संबंध में लगातार डोर टू डोर सर्वे भी कर रहे हैं, यह नगर निगम में कार्यरत उन सफाई कर्मचारियों के वेतन का पैसा है, जो इस महामारी के समय में भी हमारे आसपास के मोहल्ले को साफ रखने का काम कर रहे हैं, यह दिल्ली की जनता का पैसा है.

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