नई दिल्ली : टीआरपी घोटाला गहराता जा रहा है और उसमें रिपब्लिक टीवी और उसके प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की दिक्क़तें भी बढ़ती जा रही हैं, टीआरपी का अध्यन करने वाली हंसा रिसर्च ने मुंबई की एक अदालत में रिपब्लिक टीवी, अर्णब गोस्वामी और एआरजी आउटलियर के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है, उपभोक्ताओं पर अध्ययन करने वाली इस कंपनी ने अपनी याचिका में अदालत से गुजारिश की है कि रिपब्लिक टीवी जिस काग़ज़ को ‘हंसा रिपोर्ट’ कह कर प्रचारित कर रही है, वह दरअसल उसका अंदरूनी मसौदा है, कोई रिपोर्ट नहीं है, लिहाज़ा उसे दिखाने या उसका हवाला देने पर रोक लगाई जाए.
याचिका में कहा गया है, ‘अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी द्वारा उस दस्तावेज़ को बार-बार हंसा रिपोर्ट कहने से मुद्दई की विश्वसनीयता को ठेस लगती है,’ हंसा ने कहा है कि, ‘यह रिपोर्ट नहीं है, हमारा अंदरूनी दस्तावेज़ है जो हमने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च कौंसिल यानी बार्क को सौंपा था, इस पर कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का दस्तख़त भी नहीं है,’ हंसा ने यह भी कहा है कि ‘यह ऐसा काग़ज़ है जो उसने बार्क के अलावा किसी को नहीं दिया था.’
मामला सिर्फ इतना ही नहीं है, रिपब्लिक टीवी और अर्णब पर दूसरी ओर से भी शिकंजा कसता जा रहा है, मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ चल रहे मामले में चार और दंडनीय धाराएं जोड़ दी हैं, इनमें कहा गया है कि रिपब्लिक टीवी के लोगों ने कुछ सबूत गायब कर दिए और कुछ दूसरे सबूत नष्ट कर दिए, टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, पुलिस ने रिपब्लिक टीवी से उस काग़ज़ के बारे में जानकारी मांगी थी जिसे उसने 10 अक्टूबर के एक कार्यक्रम में ‘हंसा रिपोर्ट’ बताया था, पर रिपब्लिक टीवी ने पुलिस को जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया.
पुलिस ने रिपब्लिक टीवी पर धारा 179 लगाया है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारी को जानकारी देने से इनकार करना ग़ैरक़ानूनी है,
इसके अलावा पुलिस ने उस पर धारा 174 लगाा है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारी के आदेश पर ध्यान नहीं देना भी अवैध है,
इसी तरह रिपब्लिक टीवी पर धारा 201 भी लगाई गई है, जिसके तहत सबूत गायब करना अपराध है,
मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा कि ये धाराएं इसलिए लगाई गई हैं क्योंकि रिपब्लिक टीवी सहयोग नहीं कर रही है.
याद दिला दें कि मुंबई पुलिस ने यह सनसनीखेज दावा कर सबको चौंका दिया था कि रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों ने टीआरपी से हेराफेरी की है और पैसे देकर मनमाफिक रेटिंग हासिल की है और इस आधार पर अधिक व ऊँची दरों पर विज्ञापन लिए हैं, इस टीआरपी घोटाले में इसके पहले मुंबई पुलिस की अपराध शाखा रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी से पूछताछ कर चुकी है, रिपब्लिक टीवी के सीईओ के अलावा सीएफ़ओ शिव सुब्रह्मण्यम सुंदरम सहित छह लोगों को समन भेजा गया था, सभी छह लोगों को पेश होने को कहा गया था.
टीआरपी घोटाला तब सामने आया जब बीते दिनों रिपब्लिक भारत टीवी अप्रत्याशित रूप से पिछले छह हफ़्तों से नंबर एक चैनल बन गया था, तब यह कहा गया कि सुशांत सिंह पर इकतरफ़ा कवरेज से उसे ज़्यादा दर्शकों ने देखा और उसकी लोकप्रियता बढ़ी, अब पुलिस रिपब्लिक टीवी समेत तीन टेलीविज़न चैनलों पर टीआरपी की हेराफेरी करने का आरोप लगाते हुए इस मामले की जाँच कर रही है.
ब्यूरो रिपोर्ट, दिल्ली