नई दिल्ली/लखनऊः यूपी में करीब 2 दर्जन स्कूलों में एक ही शिक्षिका के पढ़ाने के मामले में नया मोड़ आया है, साथ ही यह मामला लगातार उलझता जा रहा है, अनामिका शुक्ला, अनामिका सिंह और प्रिया जाटव के बाद अब सुप्रिया जाटव की कहानी ने सबको उलझा कर रख दिया है, कस्तूरबा स्कूल में अनामिका शुक्ला के कांड के खुलासे के बाद एक शिक्षिका गिरफ्तार की गई है, इस महिला की गिरफ़्तारी यूपी के कासगंज ज़िले से हुई, इसके बाद पकड़ी गई कथित शिक्षिका ने अपना नाम अनामिका सिंह बताया, थोड़ी कड़ाई के बाद उसने अपना नाम प्रिया जाटव बताया और अंत में पता चला कि वो न तो अनामिका शुक्ला है, न अनामिका सिंह और न प्रिया जाटव,
असल में पुलिस की गिरफ्त में आई महिला का नाम सुप्रिया जाटव है, 6 जून को कासगंज से गिरफ्तार हुई फर्जी शिक्षिका अनामिका शुक्ला का असली नाम सुप्रिया जाटव है, इस बात का खुलासा सुप्रिया के पिता महिपाल जाटव ने किया है, मूलरूप से यूपी के फर्रुखाबाद जनपद के कायमगंज की रहने वाली सुप्रिया जाटव ने कायमगंज के शकुंतला देवी कॉलेज से स्नातक किया और स्नातक के दौरान ही अनामिका शुक्ला और सुप्रिया की मुलाकात मैनपुरी के रहने वाले एक नीतू नामक युवक से हुई, इस युवक ने ही अनामिका शुक्ला और सुप्रिया को बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी दिला दी, सुप्रिया जाटव के पिता के मुताबिक सुप्रिया जाटव ने उन्हें 50000 अपनी तनख्वाह में से दिए हैं,
इस मामले को आसानी से समझना हो तो इस तरह समझिए कि अनामिका शुक्ला नाम की महिला के अंक बहुत अच्छे आये थे, चूंकि कस्तूरबा स्कूल में नियुक्ति मेरिट के आधार पर होती है, ऐसे में अनामिका शुक्ला के सर्टिफिकेट पर अलग अलग स्कूलों में आवेदन देकर अलग अलग लोगों ने दावेदारी की, असली अनामिका शुक्ला की जगह आवेदन करने वाले ने अपनी तस्वीर लगाई और नौकरी पा ली, उसी नौकरी के आधार पर अनामिका शुक्ला के नाम से अकांउट खुल गया, इस तरह अनामिका शुक्ला के नाम पर अलग-अलग कस्तूरबा स्कूल में अलग-अलग लोग नौकरी करने लगे, हाल ही में कस्तूरबा स्कूल प्रबंधन की तरफ से अपने शिक्षकों का एक डेटा बैंक तैयार किया जा रहा था, जब एक ही नाम से कई स्कूलों में शिक्षिका होने की बात पता चली तब शक के आधार पर कासगंज से पहली गिरफ़्तारी की गई, शुरुआत में पकड़ी गई महिला ने अपना नाम अनामिका शुक्ला बताया लेकिन मामला उलझता देख उसने अपना नाम अनामिका सिंह बताना शुरू कर दिया, फिर पुलिस ने सख़्ती दिखाई तो उसने अपना नाम प्रिया जाटव बता दिया, अंत में ख़ुलासा ये हुए कि पकड़ी गई महिला की सही पहचान सुप्रिया जाटव है, इसकी तस्दीक़ आरोपी के पिता द्वारा की गई,
आरोपी सुप्रिया ने मैनपुरी के किसी राज और अमरकांत नाम के युवकों के बारे में ज़िक्र किया है, उसके आरोप के मुताबिक़ इन दोनों ने नौकरी दिलवाने में उसकी मदद की थी, इस मामले में आगरा से एसटीएफ ने आकर सोरों थाना में मामले से जुड़े दस्तावेजो की पड़ताल की है, सुप्रिया को वर्तमान में कासगंज जेल की महिला बैरक में रखा गया है, इस मामले में जांच जारी है, पुलिस भी फ़िलहाल मामला ठीक से समझने की कोशिश में लगी है, अगर अलग अलग स्कूलों में अलग अलग लोगों के काम करने की थ्योरी अगर सही है तो ज़ाहिर है इस भर्ती प्रक्रिया में कोई बड़ा रैकेट काम कर रहा है जो पैसे लेकर दूसरों के सर्टिफिकेट पर नौकरी दिलाता है, साथ ही ऐसे फर्ज़ी लोगों की भी पहचान कर उन्हें गिरफ़्तार करना पुलिस का अगला टास्क होगा जो पैसे देकर दूसरों के सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं, ऐसे में कई ऐसे रहस्य हैं, जो फ़िलहाल इस मामले में खुलने बाक़ी है, पुलिस इन सभी अनसुलझे पहलुओं पर काम कर रही है
आभार: ABP