जितेंद्र चौधरी
अपनी बात को ‘उम्मीद फ़ाज़ली’ के शब्दों से शुरू करता हूँ।
आसमानों से फ़रिश्ते जो उतारे जाएँ,
वो भी इस दौर में सच बोलें तो मारे जाएँ।
जी हाँ! हालात शायद इससे भी ज्यादा खतरनाक हैं। सवाल पूछने पर भी मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। एक्टिविस्टों को जेल में डाला हुआ है। संविधान को शायद उठाकर ताक पर रख दिया है। बिना मास्क के घूमते हुए मंत्री समर्थकों को रोकने पर महिला पुलिसकर्मी को इस्तीफा देना पड़ता है। बलिया की युवा पीसीएस अधिकारी मणि मंजरी राय भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ जाती है। विकास दुबे के मामले में कहना चाहूंगा निःसन्देह अपराधी को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। त्वरित न्याय आज की मांग है। परंतु एनकाउंटर को वास्तविक सज़ा साबित नहीं किया जा सकता। यह देश की न्यायपालिका का अपमान है, देश के संविधान का अपमान है।
झूठ हमेशा अतीत की महानता की बात करता है। झूठ हमेशा असंभव सपने दिखाता है। झूठ का नशा इतना गहरा चढ़ता है कि तुम्हारी पीढ़ियां भी बर्बाद हो जाए परंतु तुम्हें पता नहीं चलता। इतना सब होने के बावजूद भी आपको झूठ ही पसंद आता है।
बढ़ती हुई महंगाई, महामारी, डीजल पेट्रोल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी, लाल होता टमाटर, इन सब से बचाने के लिए सरकार ने आपको 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया। परंतु इस राहत पैकेज में से किसी के हाथ कुछ आया हो तो मुझे जरूर अवगत कराना।
पिछले दिनों शिल्पा शेट्टी अपने एक ट्वीट के लिए ट्रोल हुई थी। 2013 में किए गए ट्वीट में उस समय की सरकार पर तंज कसते हुए शिल्पा शेट्टी ने लिखा था “मैंने एक मजेदार चीज पढ़ी है। डॉलर एस्केलेटर पर है, रुपया वेंटीलेटर पर, नेशन आईसीयू में कोमा में है, प्याज शोरूम में है, भगवान भारत की मदद करें।” हालात वर्तमान में भी ऐसे ही हैं परंतु आज किसी में हिम्मत नहीं है कि इस तरह का ट्वीट कोई फिल्मी सितारा कर सके। इसे क्या कहा जाए आप खुद ही सोचिए, क्योंकि आपको झूठ पसंद है।
आज भी देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में है, कोविड-19 के कारण कोमा में भी है। सरकार को जहां मजदूरों,किसानों और आम लोगों की आर्थिक मदद करनी चाहिए, वहाँ पर सरकार पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ा रही है। जनता पर महंगाई का डंडा चला रही है। परंतु सबसे मजेदार बात यह है कि आम जनता बिल्कुल गुस्से में नहीं है। यह केवल झूठ के कारण ही संभव है।
झूठ के बढ़ने का एक कारण यह भी है कि सच के सामने झुकना पड़ता हैं, और झूठ के सामने बिल्कुल भी झुकना नहीं पड़ता। और सब इतने ज्ञानी हैं कि कोई झुकना नहीं चाहता। झूठ तो तुम्हारे चरणों में लौटता है, तुम्हारे सामने झुकता है। झूठ तो सदा तुम्हारे सामने झुका हुआ खड़ा है। तुम्हारे पैरों में बैठा है। झूठ तो गुलाम है। झूठ के साथ दोस्ती आसान है, क्योंकि झूठ तुम्हें बदलना नहीं चाहता, ना ही तुम्हें बदलने की बात करता है, झूठ तो कहता है तुम जो हो और जो होना चाहिए वही हो उससे भी तुम श्रेष्ठ हो। झूठ तुम्हारी प्रशंसा के पुल बनाता है। झूठ तुम्हें बड़ी तसल्ली देता है। कितने-कितने झूठ हमने गढ़े हैं, इतने झूठ कि अगर तुम खोजने चलो तो घबरा जाओगे। सच एक ही है, झूठ अनंत है, झूठ अनेक हैं। इसीलिए आपको झूठ पसंद है। क्योंकि झूठ सिर्फ और सिर्फ सपने दिखाता है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला मीडिया झूठ के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चंद सिक्कों के लिए मीडिया ने सत्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
ताली, थाली, दिया मोमबत्ती का प्रचार प्रसार करने वाले बड़े बड़े स्टार भी कोरोना की जद में आ गए और झूठ का भांडा फूट गया। परंतु फिर भी आपको दिखाई नहीं पड़ता। क्योंकि आपको झूठ पसंद है। वैसे कोरोना विज्ञान से ही जाएगा टोटकों से नहीं।