बिहार: गंगा किनारे लगा लाशों का अंबार, गिद्धों और कुत्तों द्वारा शव नोचने के वीभत्स दृश्य देख कर सहमे लोग

बिहार
यूपी के बाद अब बिहार के बक्सर में गंगा नदी में दर्जनों लाशें दिखाई देने से हड़कंप मचा है। कोरोना से मौत के बाद इन्हें गंगा में बहाने की आशंका से लोग सहमे हुए हैं। यूपी सीमा पर स्थित होने से अधिकारी उधर से ही लाशों के बहकर आने की बात कह रहे हैं। इससे पहले हमीरपुर और कानपुर में यमुना में कई लाशें दिखाई दी थीं।
कोरोना संक्रमण के बीच जब लोग अपनों को खो रहे हैं, तब मुक्तिधाम में लोगों की तकलीफों के सौदागर शवदाह में अपना मुनाफा ढूंढ़ रहे हैं। लकड़ी बेचने वालों से लेकर कर्मकांड कराने वाले और मुक्तिधाम के ठेकेदार अंतिम संस्कार के नाम पर अपनी झोली भर रहे हैं। उनके मुंहमांगे खर्च का वहन करने में असमर्थ लोग मजबूरीवश स्वजनों के शवों को सीधे गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर चौसा के महादेवा घाट पर दर्जनों शवों को जल में प्रवाहित किया गया है। जल-प्रवाह करने के बाद शव गंगा के किनारे आकर लग गये हैं।
गिद्ध और कुत्ते शवों को नोच-नोच कर अपना आहार बना रहे हैं। इससे गंगा घाट किनारे का नजारा और भी वीभत्स हो गया है। स्थानीय अधिकारियों की तरफ से भी गंदगी को साफ करने को लेकर लंबे समय से कोई पहल नहीं की गई है।


गंगा में शवों के बहाए जाने से गंगा का पवित्र जल दूषित हो रहा है। अचरज की बात यह है कि प्रशासन को अब तक इसकी भनक नही लगी थी। रविवार को जल-प्रवाहित हुए करीब 30 शव गंगा के किनारे आकर लग गए, तब प्रशासन को इसकी जानकारी हुई। चौसा श्मशान घाट पर काफी संख्या में शवों के गंगा किनारे लगने की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। पहले स्थानीय सीओ ने श्मशान घाट का मुआयना किया और कार्रवाई की बात की। मामले को तूल पकड़ता देख आनन-फानन में मौके पर पहुंचे बक्सर एसडीएम केके उपाध्याय ने पूरी स्थिति को जाना और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शव गंगा नदी में कहीं और से आकर किनारे लग गए हैं जिसको डिस्पोजल करने की कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने मौके पर यूपी के एक अधिकारी से फोन पर बात कर यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि यूपी की तरफ से गंगा नदी के रास्ते लाशें बहकर बक्सर की तरफ ना आ पाएं। साथ ही गंगा में शवों को नहीं फेंका जाए इस बात को लेकर वहां के अधिकारी भी अमल करें।
चौसा प्रखंड के पवनी गांव के निवासी अनिल कुमार सिंह कुशवाहा बताते हैं कि चौसा, मिश्रवलिया, कटघरवा समेत दर्जनों गांव के लोग घाट पर शवदाह के लिए आते हैं। लेकिन, यहां की स्थिति देखकर अब वह दहशत से भर गए हैं। इतना ही नहीं, गंगा नदी के किनारे बसे कई अन्य गांवों के लोग जो गंगा के जल का इस्तेमाल करते हैं, वह भी इस स्थिति को देखकर बेहद भयाक्रांत हो गए हैं। निश्चित रूप से इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद अब दूसरे तरह की महामारी जन्म लेगी। स्थानीय अधिकारी से कहने पर भी उन्होंने सफाई को लेकर कोई विशेष पहल नहीं की है।
स्थानीयों की मानें तो इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की व्यवस्था हो जाने पर इस तरह की स्थिति सामने नहीं आएगी। बेहद मामूली खर्च में लोग शवों का अंतिम संस्कार कर सकेंगे।
इस बारे में प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि

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‘बहुत ही बड़ी आपदा है। लाशें गंगा के किनारे लगी हुई हैं। इसलिए एक अनुमान लगाया जा रहा है कि लाशें बह कर आ रही हैं। ग्रामीणों ने बताया है कि उत्तर प्रदेश के बीरपुर और बारे गांव के किनारे-किनारे 500 लाशें लगी हुई हैं। यह आंकड़ा 100-200 भी हो सकता है। यहां जो लाशें हैं, वह भी बह कर आ कर लगी हैं। चूंकि यहां के घाट की जो बनावट है, वह थोड़ी अलग है। महदेवा घाट से लेकर श्मशान घाट के पास कोई भी चीज यहां बह कर आती है, तो यहां आ कर लग जाती है. अभी तक 50 के आसपास की लाशें यहां दिखाई दे रही हैं।’

प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार

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