Header advertisement

GHMC चुनावः सबसे बेहतर रहा ओवैसी का स्ट्राइक रेट 51 सीटों पर लड़कर जीतीं 44 सीटें, बने किंगमेकर

नई दिल्ली: ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (जीएचएमसी) की कुल 150 सीटों पर एक दिसंबर को हुए पार्षदों के चुनाव में राज्य की सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) 56 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हालांकि उसे बहुमत हासिल नहीं हो सका है। लंबी छलांग लगाते हुए भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अपना पुराना प्रदर्शन ही दोहराया है, और बिना कोई सीट गंवाए 44 सीटें जीतने में कामयाब रही है। इस चुनाव में सबसे निराशजनक प्रदर्शन कांग्रेस का रहा, कांग्रेस को मात्र दो सीटें ही मिली हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े

जीएचएमसी चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो ओवैसी की पार्टी का स्ट्राइक रेट सबसे अच्छा रहा है। AIMIM ने 150 सदस्यों वाले नगर निगम में मात्र 51 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और जिनमें से 44 पर जीत दर्ज की है। यानी AIMIM का स्ट्राइक रेट 86 फीसदी से ज्यादा रहा है, जबकि टीआरएस को 33 सीटें गंवानी पड़ी हैं। राज्य के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की पार्टी को 2016 के चुनाव की तुलना में 40 फीसदी कम सीटें मिली हैं।

2016 के निगम चुनावों में सत्ताधारी टीआरएस ने 99 सीटें जीती थीं और मेयर पद पर कब्जा जमाया था। चार साल पहले भाजपा को सिर्फ चार और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 सीटें मिलीं थीं। भाजपा ने धुआंधार प्रचार और हिन्दू कार्ड खेलते हुए हैदराबाद में जबर्दस्त जीत दर्ज की है और अपनी ताकत 12 गुना बढ़ाई है। 2018 में 117 सीटों पर हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसके मात्र दो विधायक जीत सके थे लेकिन दो साल बाद ही पार्टी ने दक्षिणी राज्य में स्थानीय स्तर पर बड़ी पैठ जमाई है। स्पष्ट है कि 2023 के चुनावों में भाजपा टीआरएस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

पहले त्रिकोणात्मक रहे चुनाव के परिणाम अब त्रिशंकु हो गए हैं। ऐसे में सवाल है कि ग्रेटर हैदराबाद का मेयर अब किस पार्टी का होगा। चूंकि भाजपा ने टीआरएस को भारी नुकसान पहुंचाया है और 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उससे खतरा है, ऐसे में संभव है कि टीआरएस मेयर पद के चुनाव में भाजपा का साथ न ले। उधर ओवैसी ने चुनाव नतीजे आने के साथ ही इशारों में ही कह दिया है कि वो केसीआर की पार्टी टीआरएस साथ देने को तैयार हैं।

दरअसल, दोनों ही नेताओं और पार्टियों को भाजपा के बढ़ते कद से ख़तरा महसूस हो रहा है, इसलिए संभव है कि ये दोनों दल भाजपा के खिलाफ लामबंद हो जाएं। ऐसी स्थिति में ओवैसी टीआरएस के लिए किंगमेकर हो सकते हैं।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *