कॉंग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे
देश को आज़ादी दिलाने और आज़ाद महसूस कराने में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों ने अपना सर्वस्व दिया, 137 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस के योगदान को आजादी से पहले और आजादी के बाद भी सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। आज भले ही कांग्रेस केंद्र व अधिकांश राज्यों में सत्ता में ना हो लेकिन आम जन के मुद्दों को लेकर कांग्रेस पहले जैसा ही संघर्ष कर रही है, जिसकी अगुवाई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बखूबी कर रहे हैं।
भाजपा सत्ता पक्ष कांग्रेस से खौफ खाया हुआ है और लगातार भारत से इसकी मुक्ति की कामना करता है। क्या कांग्रेस से मुक्ति भारत को उसकी आज़ादी के लिए लड़े गए आंदोलन से भी मुक्त करने का आभास नहीं देती? ऐसी लड़ाई जिसके 75 साल के होने का उत्सव तो सरकार मना लेना चाहती है लेकिन 200 साल की औपनिवेशिक गुलामी के दौरान बहे खून और संघर्ष को सलामी देने से इंकार करती है।
आज देश में महंगाई, बेरोज़गरी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, बदहाल कानून व्यवस्था, नफरत, क्रोध चर्म पर है। सत्ता पक्ष एक मज़हब से घृणा को आधार बनाते हुए अपना रास्ता बनाता जाता है और फिर अंतत: विपक्ष से मुक्त करने के अभियान में लग जाता है। ये देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि जो पार्टी अंग्रेज खत्म नहीं कर सके वो काम भाजपा कभी नहीं कर पाएगी।
देश से नफरत खत्म करने और सभी को प्रेम के धागे से बांधने के उद्देश्य से कांग्रेस की राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा एक सुखद पहल है, जिससे सत्ता पक्ष सन्नाटे में है। यात्रा के पड़ाव में बारह राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश होंगे, सफर 3500 किलोमीटर लंबा होगा। भारत यूं तो कई पद यात्राओं का गवाह रहा है लेकिन मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाने में जिस यात्रा का सबसे बड़ा योगदान था, वह बापू की पदयात्रा थी। उस यात्रा ने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाई थी, शायद राहुल गांधी की ये यात्रा नफरत के साथ साथ भाजपा के कुशासन से भी निजात दिला पायेगी।
बापू कहते थे आज़ादी के हर अहिंसावादी सिपाही को चाहिए कि कागज़ या कपड़े के एक टुकड़े पर करो या मरो का नारा लिखकर उसे अपने पहनावे पर चिपका ले, ताकि अगर वह सत्याग्रह करते-करते मारा भी जाए तो उसे उस निशानी द्वारा दूसरों से अलग पहचाना जा सके, जो अहिंसा में विश्वास नहीं रखते। राहुल गांधी कह रहे हैं कि आज फिर नफरत और क्रोध के खिलाफ सत्याग्रह की आवश्यकता है और हर अहिंसावादी भारतीय को इसमें शामिल होना चाहिए ताकि देश का भाईचारा बरकरार रखा जा सके।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आज़ादी के आंदोलन से पूरी तरह मेल खाती है, हां जज़्बा भी बहुत अधिक है और इस जज़्बे का कारण शायद आज की मांग है, जिसे सिविल सोसाइटीज़ ने भी समझा है और वे राहुल गांधी को अपना समर्थन दे रही हैं। इस भारत जोड़ो यात्रा में संवैधानिक मूल्य, समानता, बहुलतावाद आदि के मूल्य शामिल हैं। इसलिए इस यात्रा के द्वारा गांधी जी की तरह ही भारत को राहुल गांधी जोड़ने का काम करेंगे और भारत में फैली आर्थिक असमानता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तनाव के ख़िलाफ़ भारत को जोड़ने का ऐतिहासिक काम करेगी।
भारत में आर्थिक असमानता महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार जीएसटी व सरकार की गलत नीति व नियत की वजह से हैं। सामाजिक ध्रुवीकरण जाति, धर्म, भाषा, खान पान के नाम पर हो रहा है। जाँच एजेंसियों के ग़लत इस्तेमाल से टकराव और बढ़ता जा रहा है। जनता की लड़ाई को अब जनता के बीच आकर निर्णायक तरीके से लड़ा जा रहा है।
ऐसा भी शायद इस सरकार में पहली बार हुआ है कि विपक्ष जनता के मुद्दों को भी उठाने के लिए तरसता रहा क्योंकि सत्ता पक्ष महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों पर बहस तक करने के लिए तैयार नहीं था। दूसरी ओर लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मिडिया भी सत्ता पक्ष का सहयोग करता हुआ दिखाई देता है और विपक्ष की सरकार के जाने के आठ साल बाद भी विपक्ष से तो सवाल पूछता है लेकिन सत्ता से नहीं। आलम ऐसा है कि प्रधानमंत्री आठ सालों में कभी पत्रकार वार्ता तक करने का साहस नहीं जुटा पाए। मौजूदा समय में सत्ता पक्ष लोकतंत्र व संविधान और संवैधानिक संस्थाओ के मूल स्वरूप के विपरीत कार्य करता प्रतीत होता है, ऐसे में ये अभियान संविधान की मूल भावना को उत्प्रेरित करने का काम भी करेगा।
कांग्रेस की यह भारत जोड़ो यात्रा ना केवल आमजन को बल्कि सरकार के साथ साथ मीडिया, संवैधानिक संस्थाओ को भी जगाने का काम करेगी।
भारत जोड़ो यात्रा के परिणाम सकारात्मक निकलेंगे और देश की दशा और दिशा सुधारने में मील का पत्थर साबित होगी।