वसीम अकरम त्यागी
‘गंदगी साफ करने के लिये उसमें उतरना पड़ता है’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह वह वाक्य है जिसने उन्हें अन्ना आंदोलन से दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा दिया। 16 अगस्त 1968 को दिल्ली से सटे हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी गांव में पैदा हुए अरविंद केजरीवाल आज 51 बरस के हो गए हैं। अपने माता पिता गोविंद और गीता केजरीवाल के तीन बच्चों में अरविंद सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे।
क्लास में खामोश रहने वाला छात्र
केजरीवाल अकसर क्लासरूम में खामोश बैठे रहते थे। उनके बाल हमेशा करीने से कढ़े होते थे। उन्हें बहुत अधिक घूमने-फिरने का भी शौक नहीं था, न ही क्रिकेट और फुटबॉल का शौक था बल्कि इसके बजाए उन्हें शतरंज और किताबों का शौक था। केजरीवाल को चित्रकारी का भी शौक था इसीलिये स्कूल टाईम में उनके हाथ में एक पेंसिल और स्केच बुक हमेशा रहती थी।
एक अफसर, एक आईआईटीयन जो बन गया ‘नेता’
अरविंद केजरीवाल ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (आईआईटी) खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। केजरीवाल नौकरी के साथ साथ सिविल सर्विस की भी तैयारी कर रहे थे इसी दौरान मदर टेरेसा से उनकी मुलाकात हुई। जिसके बाद वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़कर दो महीने तक काम किया, वे रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। नेहरू युवा केंद्र के साथ अरविंद केजरीवाल ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में समाज सेवा से जुड़े काम किए, इसी दौरान उनकी सिविल सर्विसेज की मेहनत रंग लगाई और साल 1995 में भारतीय राजस्व सेवा(IRS) में चुन लिए गए।
और छोड़ दी नौकरी
1995 में भारतीय राजस्व विभाग में अफसर बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने देखा कि जिस विभाग को बनाया ही इसलिये गया है ताकि वह भ्रष्टाचारियो और टैक्स चोरों को पकड़ सके उस विभाग के अंदर ही लूट मची हुई है। ‘ऊपरी दबाव’ के कारण अफसरों को गलत काम करने पड़ते हैं। ये सब चीज़ें उस शख्स की सोच से भी बाहर थीं जिसने आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद सिविल सर्विसेज को चुना था। भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के लिये उन्होंने परिवर्तन नाम की एक संस्था बनाई और नौकरी के साथ एक्टिविज़्म में भी सक्रिय रहने का फैसला किया।
आईआरएस रहते हुए उन्होंने 1999 में दिल्ली में एक राशन घोटाला पकड़ा, इसके बाद वे सुर्खियों में आ गए। साल 2006 में जब अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली में इनकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर थे तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फुल टाईम एक्टिविस्ट बन गए। वे गाज़ियाबाद के कौशांबी में रहते थे और वहीं से सोशल एक्टिविटी करते थे। उनकी पत्नि सुनीता भी एक आईआरएस अधिकारी रही हैं जिन्होंने 22 साल राजस्व विभाग में सेवाएं देने के बाद स्वेच्छा सेवानिवृत्ती ले ली।
अन्ना आंदोलन से मिली पहचान
2006 में सरकारी नौकरी छोड़कर एक्टिविस्ट बने अरविंद केजरीवाल उस वक्त राष्ट्रीय पहचान मिली जब वे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे के मंच पर पहुंचे। दरअस्ल जब 2010 में मनमोहन सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने की तरफ बढ़ रही थी, उसी दौरान दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए, जिसमें घोटाला सामने आ गए, उसके कुछ ही दिनों बाद 2 टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आ गया गया। आए दिन अख़बारों में छपती और न्यूज़ चैनल्स पर प्रसारित घोटालों की इन ख़बरों ने महाराष्ट्र के रालेगन सिद्धि गांव के गांधीवादी समाज सेवी अन्ना हजारे को भ्रष्टाटाचार के ख़िलाफ आंदोलन करने पर आमादा कर दिया। अन्ना भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिये जनलोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गए।
जब दिल्ली पुलिस ने जनलोकपाल बिल की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया तो संसद के सत्र में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि ‘केजरीवाल, केजरीवाल है कोई, जो अन्ना के कान में कभी इधर से खुसर फुसर करता है कभी उधर उधर से खुसर फुसर करता है’ लालू नहीं जानते थे कि जिस केजरीवाल को संसद में इंटरटेन कर रहे हैं वह कुछ दिन बाद ही दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनने जा रहा है।
ऐसे हुई राजनीति की शुरूआत
इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में लोगों का हुजूम तो उमड़ा लेकिन अन्ना की जनलोकपाल बिल बनाने की मांग पूरी न हो सकी, इसके बाद केजरीवाल ने जनता को राजनीतिक विकल्प देने की बात कही, लेकिन अन्ना राजनीति में आना नहीं चाहते, तब केजरीवाल ने कहा कि ‘गंदगी साफ करने के लिये उसमें उतरना पड़ता है’। ऐसा कहकर उन्होंने साफ संदेश दे दिया था कि वे अब पूरी तरह राजनीति में आएंगे, केजरीवाल के राजनीति में जाने के संकेत मिलते ही अन्ना ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दीं, कुछ लोगों ने अरविंद केजरीवाल पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन को हाईजैक कर लिया, हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि आंदोलन का चेहरा भले अन्ना हजारे थे, मगर इसके पीछे पूरी योजना अरविंद केजरीवाल की ही थी।
2 अक्तूबर, 2012 को अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत करते हुए उन्होंने गांधी टोपी पहनी जिस पर उन्होंने लिखवाया, “मैं आम आदमी हूं।” नवंबर 2012 में उन्होने अपने चंद साथियो के साथ आम आदमी पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया। कुछ महीने बाद ही यानी 2013 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे, अरविंद केजरीवाल चुनाव में उतरे उनकी पार्टी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई खुद केजरीवाल ने लगातार तीन बार से दिल्ली की मुख्यमंत्री बनतीं आ रहीं शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया। और दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस चुनाव में केजरीवाल की पार्टी को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला था लेकिन कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल मुख्यमंत्री बन चुके थे, कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे कांग्रेस पर अक्सर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाते रहे, उनका यह जुमला ‘सब मिले हुए हैं जी’ आज भी बहुत मशहूर है।
तब पीएम मोदी ने कहा AK 49
केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन 14 फरवरी 2014 को उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि ‘गठबंधन के कारण खुलकर फैसले नहीं लिये जा सकते’। 49 दिन दिल्ली के मुख्यमन्त्री के रूप में कार्य करते हुए अरविन्द लगातार सुर्खियों में बने रहे। एक चुनावी सभा में पीएम मोदी ने तंज करते हुए अरविंद केजरीवाल को ऐके 49 तक तो कह दिया, लेकिन लालू यादव की तरह नरेन्द्र मोदी भी नहीं जानते थे कि जिस केजरीवाल को वे AK 49 कहकर इंटरटेन कर रहे हैं वह इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रहा है, और उसकी पार्टी 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटें जीतकर कांग्रेस को ज़ीरो और भाजपा को सिर्फ तीन सीटों तक सीमित कर देगी।
साल 2015 में दोबारा दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए और इस बार अरविंद केजरीवाल ने इतिहास रच दिया। उनकी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं सिर्फ तीन सीटें उस भाजपा को मिली, जिसने मई 2014 में मोदी लहर के नाम पर चुनाव लड़ा था केन्द्र में पूर्णबहुमत बनाई थी। अरविंद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनका कार्यकाल फरवरी 2020 को पूरा होगा।