Header advertisement

यूसुफ मरफानीः देश की आज़ादी की लड़ाई के लिये सर्वाधिक दान देने वाला एक गुजराती मुसलमान

नज़ीर मलिक

युसूफ मरफानी का पूरा नाम अब्दुल हबीब यूसुफ मरफानी था। नेता जी सुभाष चंद बोस की आज़ाद हिंद फौज खड़ी करने में इनकी बड़ी भूमिका थी। जिन्हें भुला दिया गया। वर्ष 1944 का समय था। आज़ाद हिंद फौज का गठन की घोषणा हो चुकी थी, मगर फौज के गठन, व साजो सामान के लिए बड़े धन की ज़रूरत थी। नेता जी की अपील पर बर्मा के प्रवासी भारतीय हज़ार दो हज़ार करके सहायता दे रहे थे, मगर एक फौज के लिए यह दान काफी न था।

कैसे थे देश के हालात

उस समय मुस्लिम लीग भारतीय मुसलमानों को भड़काने में लगी थी, मगर लीगियों के बहकावे से दूर बर्मा के एक बड़े व्यापारी अब्दुल हबीब यूसुफ मरफानी कुछ और सोच रहे थे। वे अपनी पूरी जमा पूंजी जो उस समय एक करोड़ (आज के हिसाब से एक हज़ार करोड़) थी, लेकर नेता जी सुभाष के पास पहुंच गए।

इतनी बड़ी रकम देख नेता जी की आंखों में आंसू आ गए। मरफानी ने अपनी सारी जमापूंजी, घर के जेवर बेंच कर यह रकम जुटाई थी। आंसू भारी आंखों से नेता जी ने उन्हें “सेवक-ए-हिन्द” का खिताब दिया,जो उस समय का सबसे बड़ा खिताब था। अफसोस आज युसूफ मरफानी को लोग भूल चुके है।

नहीं मिलती ऐसी मिसाल

आज के दौर में इस कहानी की बड़ी प्रसांगिकता है। याद कीजिये कि जिन्ना और मुस्लिम लीग के तमाम प्रलोभनों के बाद भी जो वतन छोड़ कर पाकिस्तान नही गए, उनके वंशजों को ज़रा सी असहमति पर आज पाकिस्तानी कह कर शर्मशार किया जाता है, और कहने वाले भी उस विचारधारा के है, जिनके वैचारिक बाप दादाओं ने अंग्रेजों के जूते चाट चाट कर मुखबिरी की और माफीनामे लिखे।

ये सिर्फ मुसलमानों को ही नही सेकेयूलर हिंदुओं को भी गाली देते हैं, मिसाल के तौर पर आज़ाद हिंद फौज के कमांडरों कर्नल ढिल्लन, जनरल शहनवाज़ आदि का मुकदमा लड़ने वाले, जवाहरलाल नेहरू, तेज बहादुर सप्रु व कैलाश नाथ काटजू जैसे महामानव को भी गालियां देते हैं। फिहलाल आज़ाद हिंद फौज के सबसे बड़े दानवीर अब्दुल हबीब यूसुफ मरफानी को सलाम। जयहिंद।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *