शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में MEEM कर रही ऐतिहासिक कार्य: कुंवर दानिश अली
मुस्लिम छात्रों को सिविल सर्विस परीक्षाओं में ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए प्रतिभाग: सैयद ज़फ़र महमूद
नई दिल्ली। भारत की सामाजिक और गैर सरकारी संस्था मीम-MEEM (Movement for Education & Empowerment for Masses) का फाउंडेशन डे-2022 को दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर पर मनाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर ज़कात फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. सैयद ज़फ़र महमूद और अमरोहा से लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में मीम के अध्यक्ष सैयद फरमान अहमद ने संस्था के कार्यों और उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया।
मुख्य अतिथि कुंवर दानिश अली ने मौजूद हालात में शिक्षा और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा पर मीम की जमकर तारीफ की। उन्होंने मीम टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि हर दौर में शिक्षा का महत्व रहा खासतौर पर बेटियां को शिक्षित करने का बीड़ा उठाना स्वागत योग्य है। उन्होंने बताया कि वह समय-समय पर मुस्लिम समाज और उनके शिक्षा के संदर्भ में लोकसभा में आवाज उठाते रहते हैं। उन्होंने ऊर्दू भाषा के संदर्भ में कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा अर्जित करने का विशेष प्रावधान किया है, जिसके तहत लोगों को चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा अपनी मातृभाषा के तौर पर ऊर्दू का चयन करें, जिससे सरकार पर एक दबाव बने कि वह ऊर्दू के लिए और ज्यादा प्रमुखता के साथ काम करें।
सैयद ज़फ़र महमूद ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों को प्रतियोगी परीक्षाओं में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए, जिससे उनकी सरकारी नौकरियों में भागी बढ़े। उन्होंने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से विभिन्न सरकारी नौकरियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जकात फाउंडेशन मुस्लिम समाज के छात्रों के लिए प्रशासनिक सेवाओं (सिविल सर्विस), राज्यों की लोकसेवा परीक्षाएं, एसएससी और राज्यों की दूसरी नौकिरयों के लिए होने वाली परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि जितनी बड़ी संख्या मुस्लिम छात्रों को इन परिक्षाओं में बैठना चाहिए दुर्भाग्य है कि वह उतनी संख्या में भागीदारी नहीं ले रहे हैं। उन्होंने तमाम सामाजिक संस्थाओं और लोगों से अपील किया कि छात्रों का इन परीक्षाओं के लिए हौसला बढ़ाएं।
कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर उपस्थित आलमी सहारा के प्रधान संपादक अब्दुल माजिद निजामी ने कहा कि कुरान की पहली आयत इकरा में अल्लाह ने इंसानों को सबसे पहला हुक्म शिक्षा अर्जित करने के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी समाज बिना शिक्षा अर्जित किए आगे बढ़ नहीं सकता है और जो समाज शिक्षित नहीं होता है, वह इतिहास हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से पैगंबर मोहम्मद साहब खुद पर पत्थर फेंकने वाली महिला से नफरत नहीं बल्कि मोहब्बत करते थे, उसी तरह आम मुसलमानों का व्यवहार दूसरे लोगों के साथ होना चाहिए।
वहीं एपीसीआर के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान ने कहा कि हमारे चारों तरफ नकारात्मक माहौल है। मुस्लिम समाज के संदर्भ में हमेशा पीड़ित और वंचित के तौर पर खबरें दिखाई जाती हैं। जबकि देश में हर रोज मुस्लिम छात्र-छात्राओं और स्कॉलर्स के कामयाबी की सैकड़ों सकारात्मक खबरें आती हैं, लेकिन उनके बारे में ज्यादा प्रसारित और प्रकाशित नहीं किया जाता है। नदीम ने कहा कि हमें नकारात्मकता के माहौल से निकलकर सकारात्मकता के माहौल में जाना होगा, जिससे हमारी युवा पीढ़ी आत्मविश्वास के साथ शिक्षा अर्जित करे और दुनिया में सफलता हासिल करे।
कार्यक्रम में कमाल फारूकी, मोहम्मद अली, शोएब अकरम, अब्दुल रहीम पी विजयपुर, खुर्शीद अली, मुकीत अब्बासी, नदीम शाद, शमीम खान, वसीम अकरम त्यागी, मोहसिन अल्वी, अली जाकिर, इमरान खान, इस्माइल खान, जैद पठान, सैयद अकरम रहमान, सैयद फैजान जैदी, आतिफ जैदी, डॉ. समन अहमद, शाहिद चौधरी, अब्दुल हन्नान, जावेद, राशिद, अर्सलान, फोवाद बिन राशिद, शमशाद, तैमूर, आमिर, नाजिम अकबर खान, नदीम सिद्दकी, इर्शू ताज, अनवर मिर्जा, फिरोज, शकील, जब्बार, हाजी शाहिद सहित तमाम लोग मौजूद थे।