ग़ाज़ियाबाद। यशोदा हॉस्पिटल एवं रीसर्च सेंटर नेहरू नगर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मनीष गुप्ता डीएम गेस्टरो ने नैश (नॉन एल्कोहलिक स्टीटो हेपेटाइटिस) अवेयर मंथ के अवसर पर जनता को अपना संदेश देते हुए कहा कि नैश एक शांतिपूर्ण बीमारी है। इसका जल्दी पता नहीं चलता और व्यक्ति सामान्य रूप से अपना जीवन व्यतीत करता रहता है। कई प्रकार के यकृत रोगों के लिए नैश एक सर्वव्यापी शब्द है। इसका मुख्य लक्षण लीवर की कोशिकाओं में बहुत अधिक वसा का जमा होना है। रोग का एक गंभीर रूप, गैर-अल्कोहल स्टीटो हेपेटाइटिस, यकृत की सूजन का कारण बनता है जिससे निशान और उपचार की समस्याएं हो सकती हैं। यह नुकसान बहुत अधिक मात्रा में शराब पीने से होने वाले नुकसान के समान है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज के मुख्य लक्षण में लिवर का बड़ा होना शरीर सुस्ती वा पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में दर्द होना मुख्य है।
डॉ. मनीष गुप्ता डीएम गस्टरो ने कहा इसका मुख्य कारण शरीर में अधिक वजन या मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध शामिल है, जिसमें कोशिकाएं चीनी (हार्मोन इंसुलिन के जवाब में चीनी), उच्च रक्त शर्करा (हाइपरग्लेसेमिया) को संसाधित करने में असमर्थ हैं, जो प्रीडायबिटीज या सही टाइप 2 मधुमेह का संकेत देती हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें। स्वस्थ लीवर का मतलब है कि आप पूरी तरह स्वस्थ हैं। काफी सामान्य बात है। खासकर पश्चिमी देशों में, लेकिन अब एशियाई देशों में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। हर 4 में से 1 व्यक्ति के फैटी लीवर से पीड़ित होने का अनुमान है। डॉ. मनीष गुप्ता ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर रोग के मुख्य लक्षणों में लीवर का बढ़ना, शरीर में सुस्ती और पेट का ऊपरी दाहिना भाग शामिल है।
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