शफ़ीक़ उल हसन अनोखी पत्रकारिता के ज़रिये समाज में बेदारी की शमा जला रहे हैं
जिगर मुरादाबादी का ये शेरः
ये रोज़ ओ शब ये सुबह ओ शाम ये बस्ती ये वीराना,
*सभी बेदार हैं इंसाँ अगर बेदार हो जाए।
आईये, मिलते हैं दिल्ली के सरिता विहार में रहने वाली ऐसी शख्सियत से जिनका नाम शफ़ीक़ उल हसन है।जो स्काई एडवरटाइजिंग एवं पब्लिशिंग कंपनी के सीईओ भी हैं।इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली एक ऐसी घटना की ख़बर इनकी आंखों से गुज़री जिससे वह इतने बेचैन हुए कि उन्होंने आज के इस दौर में जहां फेक ख़बरों की फार्वडिंग अत्याधिक प्रचलित है, उस दौर में उन्होंने सच्ची और सही ख़बरों की 25 से 40 चुनिंदा ख़बरों की न्यूज़ क्लीपिंग बना कर ब्रॉडकास्ट करना शुरू किया। जो देश के हिंदी, अंग्रेजी एवं उर्दू के मुख्य अख़बारात की चुनिंदा ख़बरों का एक मिश्रण होती हैं। जो लोगों को बेदार करने में अहम भूमिका निभा रही है। यह काम वो बिना थके, बिना रुके लगातार पांच साल से प्रतिदिन करते आ रहे हैं।
आईये पहले जानते हैं वो ऐसी कौन-सी घटना थी, जिसने शफ़ीक़ साहब को प्रभावित किया तो वो घटना थी हाफ़िज़ जुनैद की दर्दनाक लिंचिंग की। 22 जून 2017 की यह घटना इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक ऐसी घटना थी जिसने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया था।15 वर्षीय हाफ़िज़ जुनैद, उसका भाई हाशिम और उसके दो दोस्त ईद की ख़रीदारी करने के बाद दिल्ली से ट्रेन से घर वापिस लौट रहे थे। रमज़ान का महीना सभी कुर्ता पायजामा और टोपी पहने अपनी अपनी सीटों पर बैठे थे। लेकिन उस डब्बे में धार्मिक कुंठा से ग्रस्त घृणित सोच के कुछ लोग भी सवार थे। पहले उन लोगों द्वारा उन पर धार्मिक छींटाकशी की जाती है उसके बाद उनपर हमला कर दिया जाता है। जुनैद को चाकू मारकर ट्रेन से फेंक दिया जाता है। जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है उसका भाई और दोस्त चाकुओं से बुरी तरह घायल कर दिये जाते हैं। यह एक ऐसी घटना थी जिसने सिर्फ शफ़ीक़ उल हसन ही नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। देश और दुनिया में इस घटना की कड़ी निंदा की गई। लेकिन शफ़ीक़ उल हसन ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने इस घटना के बाद एक मिसाल क़ायम कर दी। उन्होंने लोगों को बेदार करने के लिए ऐसे जर्नलिज्म को जन्म दिया, जो दुनिया में अपने आप में एक मिसाल है। आप खुद समझ सकते हैं कि एक कम्पनी का सीईओ कितना व्यस्त होता होगा। उन्होंने अपने काम के साथ साथ वक्त निकालकर समाज को बेदार करने की ठान ली। शफ़ीकुल हसन रोज़ सुबह पांच बजे उठ जाते हैं, लगातार तीन से चार घंटे देश के हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के प्रमुख अख़बार पढ़ते हैं, फिर उसमें से ख़ास ख़बरें, महत्वपूर्ण लेख, और युवा वर्ग के लिए अहम जानकारी की ख़बरों का का ज़ख़ीरा इकट्ठा कर उन्हें स्केन कर एक क्लीपिंग तैयार करते हैं। शुरूआत उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से की। धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ती गयी और आज हज़ारों लोगों को अपने व्हट्सएप ब्रोडकास्ट के जरिए डायरेक्ट और दर्जनों ग्रुप्स में अपनी खबरें भेजते हैं। फिर उन लोगों के द्वारा भी जिन्हें शफीक साहब क्लीपिंग सेंड करते हैं। वो क्लीपिंग अन्य हज़ारों-लाखों लोगों को सेंड होती होगी। तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस तरह सुबह- सुबह जिस समय चाय का कप हाथ में होता है, उसी समय शफीक साहब द्वारा भेजी जा रही न्यूज क्लीपिंग से लाखों लोग बेदार हो रहे होते हैं। शफीक साहब को अख़बारात पढ़ने और लिखने का शुरू से ही शौक था। 22 जून की जुनैद लिंचिंग की घटना के बाद उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा और उन्होंने तय किया कि समाज में फेक ख़बरों की फार्वडिंग की वजह से समाज में जो नफ़रत फैल रही है, यह लिंचिंग की घटनाएं उसी की देन हैं। इसी कारण उन्होंने सोचा कि कुछ अच्छी और विश्वसनीय ख़बरों को फारवर्ड करके समाज में बेदारी लायी जा सकती है।और जिससे फेक ख़बरों से बचा जा सके।
शफीक साहब 24 जून 2017 से लगातार प्रतिदिन इस मुहिम को अंजाम दे रहे हैं। वो किसी भी दिन छुट्टी नहीं करते। उन्होंने यह काम यूरोप और दुबई से भी अंजाम दिया है।
शफीक साहब मुझसे काफी समय से फेसबुक से जुड़े हुए हैं और फेसबुक पर भी अच्छी अच्छी खबरें पोस्ट करते रहते हैं। कुछ महीने पहले उनसे मेरी मेसेज के ज़रिए मुलाक़ात हुई उन्होंने अपने व्हट्सएप ब्रोडकास्ट से मुझे भी एड किया उस समय से प्रतिदिन सुबह होते ही उनकी न्यूज क्लीपिंग आती है। कोरोना के दौर में जहां लोग अख़बार को हाथ लगाते हुए भी डर रहे थे उन्होंने बताया कि उस समय भी मैंने हाथ में कवर पहनकर और मास्क लगाकर अख़बार पढ़कर क्लीपिंग तैयार कीं। उन्होंने बताया कि मैंने कभी ईद के दिन तक की छुट्टी नहीं की उस दिन भी मैंने क्लीपिंग तैयार करके ठीक सुबह 8.00 बजे ब्रॉडकास्ट की और बाद में नमाज़ पढ़ी।
24 जून को वो इस अनोखी न्यूज़ क्लिपिंग्स सर्विस के पांच साल पूरे कर रहे हैं। मेरी तरफ से भी शफ़ीक़ साहब को मुबारकबाद और आप भी उनके इस जज़्बे को मुबारकबाद दीजिए। उनके व्हट्सएप ब्रोडकास्ट से देश के कई बुद्धिजीवी, लेखक पत्रकार, समाज के आम से ख़ास लोग जुड़े हुए हैं और फ़ायदा उठा रहे हैं।उनकी क्लीपिंग का सभी को सुबहा होते ही बेसब्री से इंतेज़ार रहता है। क्योंकि इन क्लिप्पिंग्स के ज़रिये लोग बहुत से मुख्य अख़बारात की ख़बरों से एक साथ रूबरू हो जाते हैं। शफीक़ुल हसन की इस अनोखी पहल ने पत्रकारिता जगत को एक नया आयाम दिया है। उन्हें देश और दुनिया में कई अवार्ड से नवाज़ा जा चुका है। उन्होंने मुझे बताया कि शशि थरूर साहब ने मेरी क्लिपिंग के संबंध कहा कि जब मैं यात्रा में होता हूँ तो यह मेरे लिए बहुत उपयोगी होती है। मशहूर फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने उनके इस जज़्बे को कमाल कहा है। देश के सैकड़ों प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा उनकी इस क्लीपिंग की सराहना की जा रही है। यक़ीनन शफीकुल हसन साहब एक बेहतरीन शख्स हैं। वो बेहद खुश मिजाज़ और बेहतरीन स्वभाव के मालिक हैं। एक कंपनी का सीईओ अपने कारोबार के साथ साथ इतने घंटे महनत करके इतने सारे अखबार पढ़ने के बाद लोगों के लिए न्यूज़ क्लीपिंग तैयार करके उन्हें बेदार करने का काम कर रहा है।वाक़ई शफीकुल हसन साहब का यह काम क़माल है। इसे मैं लोगों को बेदार करने की सच्ची समाज सेवा का नाम दूंगा।