नीट परीक्षा में छात्राओं के साथ बेशर्मी की इंतेहा शर्मनाक
मो राशिद अल्वी (विधिक छात्र)
बेशर्मो ने अपनी बेटियों को ध्यान में रखा होता कि हमारी भी बेटियां हैं तो किसी की बेटी के साथ ऐसा नहीं करते। नीट परीक्षा के दौरान केरल के कोल्लम से जो सुनने में आ रहा है उसको सुनकर हर किसी को गुस्सा आना लाज़िम है। जब मैंने सुना कि एक परीक्षा केंद्र पर परीक्षा नियमों के मुताबिक छात्राओं के इनरवियर उतरवा दिए गए, यह सुनकर मैं हैरान हो गया और बहुत गुस्सा आया। शिक्षा के मंदिरों में यह सब होने लगा है अब।घटना इतनी शर्मनाक है कि मुझे लिखते पर अंदर ही अंदर मानसिक दुख की प्रताड़ना महसूस हो रही है तो उन छात्राओं पर बीती है उनका क्या हाल होता होगा? उन छात्राओं को कितनी मानसिक प्रताड़ना हुई होगी जब उनके इनरवियर उतरवाए गये होंगे? उनका परीक्षा से पहले ही माइंड डिस्टर्ब कर दिया गया हो तो उन्होंने परीक्षा कैसे सही से दी होगी? मैं एक न्यूज पोर्टल पर पढ़ रहा था एक न्यूज एजेंसी से एक छात्रा ने इस भयावह घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि 3 घंटे तक हम परीक्षा देते समय घबराए हुए थे। हमारी मानसिक हालत अस्थिर थी। हमारे इनरवियर उतरवा लिए गए थे। हमारे पास दुपट्टा नहीं था और हम लड़कों के साथ बैठकर परीक्षा दे रहे थे। हमें अपने बालों से खुद को ढंकना पड़ा। यह बहुत बुरा एक्सपीरियंस था। यह शब्द एक 17 वर्षीय छात्रा के थे। आप समझ सकते हैं कि कितना ख़ौफनाक मंज़र होगा। इस शर्मनाक घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हो रही परीक्षा और परीक्षा कक्ष में मौजूद एक कक्ष में तीन से चार शिक्षकों की निगरानी फिर भी नकल के लिए छात्राओं के इनरवियर से नकल का ख़तरा है तो यह उस परिक्षा के आयोजकों कि व्यावस्था पर लानत है और पूरे देश के लिए शर्म की बात है कि परिक्षा में नकल न हो उसके लिए लड़कियों के इनरवियर को नक़ल होने का ख़तरा समझकर उतरवा दिया जाये। परिक्षाएं तब भी होती थीं जब इतने संसाधन भी नहीं थे। एक कक्ष में दो या तीन शिक्षकों की निगरानी में ही बढ़ी से बढ़ी परिक्षा सफ़लतापूर्वक संपन्न हो जाती थीं। तब कभी ऐसी अपमानजनक घटनाएं सुनने को नहीं मिलती होंगी। पहले कभी नकल को रोकने के लिए ऐसे तुच्छ नियम कानून नहीं सुने, किंतु आज के दौर में सीसीटीवी कैमरों सहित कई संसाधन से नकल को रोकने की व्यावस्था की जाती है, फिर भी नकल नहीं रुक पाती है। आज इतने संसाधन होने के वावजूद भी चेकिंग के नाम पर कपड़े तक उतरवा दिये जाते हैं। यही सब तुच्छ हरकते करना है तो सीसीटीवी, इतने शिक्षकों की निगरानी, और अन्य उपकरणों का क्या काम जो नकल न रोक सकें। जिन परीक्षा आयोजकों ने ऐसे तुच्छ नियम बनाए, वो तो बेशर्म और पढ़े लिखे जाहिल हैं। लेकिन इन तुच्छ नियमों को फॉलो कर छात्राओं के इनरवियर उतरवाने वाले और वहां पर मौजूद वो शिक्षक भी जो ये सब देखते रहे जो विधार्थियों को सभ्यता का पाठ भी पढ़ाते होंगे वो सब भी इस शर्मनाक घटना के पात्र हैं। यदि उस जगह मैं होता तो ऐसे तुच्छ नियमों को ताक पर रख ससम्मान छात्राओं को परिक्षा करवाता चाहे भले मुझे नौकरी से निकाल दिया जाता।