आओ गणतंत्र के इस पर्व पर नफ़रतो को मिटाकर भारत को जोड़ने की बात करें।

वतन हमारा ऐसा कोई न छोड़ पाये
रिश्ता हमारा ऐसा कोई न तोड़ पाये
दिल एक है एक है जान हमारी
हिंदुस्तान हमारा है हम इसकी शान है।।
प्यारे देशवासियों हमारे इस खूबसूरत देश को गणतंत्र हुए 74 वर्ष हो चुके हैं।पूरी दुनिया के अंदर हमारा देश एकता और भाईचारे की मिसाल रहा है लेकिन कुछ वर्षो से लग रहा है हमारा देश बिखर रहा है।भाईचारे से जुड़ी हुई हमारे देश की शाखाएं टूट रही हैं।हम जातिवाद और धार्मिक कट्टरवाद में उलझकर एक दूसरे के विरोधी होते जा रहे हैं और हमारा देश बिखरता जा रहा है।जिस प्रकार से परिवार में एकता और भाईचारा खत्म हो जाने पर परिवार टूटकर कमज़ोर हो जाता है उसी प्रकार जब किसी देश की एकता और भाईचारा टूटता है तो वह देश आर्थिक, सामाजिक रूप से कमज़ोर हो जाता है।जिसका वर्तमान में जीता जागता उदाहरण श्रीलंका है।किसी भी देश की एकता और भाईचारा उस देश की तरक्की की रीढ़ होती है।वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता जिसमें फूट डालो और राजनीति करो की नीति चलती है।मेरे प्यारे देशवासियों हम धार्मिक कट्टरवाद और जातिवाद की आड़ लेकर राजनीति करने वाली फासीवादी ताकतों के बहकावे में आकर अपने दिलों में नफ़रत पैदा कर लेते हैं जिससे हमारे इस खूबसूरत देश भारत की एकता और भाईचारे को नुकसान पहुंचता है।सदियों से फासीवादी ताकतों ने अपने ग़लत मनसूबों को कामयाब करने के लिए हमारे इस सोने की चिड़िया जैसे खूबसूरत देश को तोड़ने की कौशिश की लेकिन हमारे देश की एकता और भाईचारे को नहीं तोड़ सके।
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।।

प्यारे देशवासियों हमारा देश अमृत का एक घड़ा है जिसकी मिठास की पूरी दुनिया कायल है।हमारे देश को यह आज़ादी इतनी आसानी से नहीं मिली इस देश को आज़ाद कराने के लिए हमारे स्वातंत्रता सेनानियों ने अपनी जानों को हंसते हंसते क़ुर्बान कर दिया।अंग्रेज़ी हुकूमत ने हमारे देश की एकता और भाईचारे को तोड़ने के लिए बहुत सारे हथकंडे अपनाए।अंग्रेजो ने धन-बल से हमारे देश के कुछ लोगों को एजेंट बना लिया और उनसे हिंदुस्तान की एकता और भाईचारे में फूट डलवाने की साज़िशे रची गईं। हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने के लिए हमारे स्वातंत्रता सैनानियों को गाय और सुअर की चर्बी के कारतूस दिये गये। अंग्रेजी हुकूमत का मक़सद हमारी एकता और भाईचारे को चकनाचूर कर हमेशा अपना गुलाम बनाये रखना था।आज़ादी तक वो गौरे फूटडालो-राजनीति करो की नीति को अंजाम देते रहे।लेकिन हम न डिगे,न बहके और न झुके। हम सब हर धर्म, हर वर्ग के लोग एक साथ मजबूती से खड़े रहे।यदि हम अंग्रेज़ो की साज़िशो का शिकार हो कर धर्म और जातिवाद में उलझ जाते तो आज हमें आज़ादी के यह दिन देखने को नहीं मिलते।सलाम है देश के उन स्वातंत्रता सेनानियों को जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ से देश के हर समुदाय को एक माला में पिरोये रखा।हमारे स्वातंत्रता सैनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत की लाख साज़िशो की हवा निकाल दी और डटकर सामना किया।फिर भी वो गौरे देश से जाते जाते फूटडालो और राजनीति करो के कुछ अंश फासीवादी ताकतों के रूप में छोड़ गये और अखंड भारत पूरी तरह से गणतंत्र होते-होते दो हिस्सों में बंट गया।यह हमारे देश की एकता पर बहुत बड़ा वार था।जब देश दो हिस्सों में बंट रहा था तब इस बंटवारे को रोकने के लिए हमारे स्वातंत्रता सैनानियों ने बहुत प्रयास किये पर बंटवारे को न रोक सके।आज भी भारत में उन गौरों के कुछ अंश फासीवादी ताकतों के रूप में मौजूद हैं जो देश की जनता को बहकाकर देश की एकता-अखंडता और भाईचारे को ख़त्म करने की साज़िशे रचते रहते हैं और अपने गलत मंसूबों को कामयाब करना चाहते हैं।प्यारे देशवासियों हम भारतवासी हैं और हमारे लहु मैं इंसानियत की धारा बहती है। हमें फासीवादी ताकतों के बहकावे में नहीं आना है। हमें इनके गलत मंसूबों को कभी कामयाब नही होने देना है।हमारा मुल्क इंसानियत का एक खूबसूरत गुलदस्ता है जिसमें सभी धर्मों के फूल खिलते हैं और उन फूलों से इंसानियत,एकता और भाईचारे की खुशबू आती है। मेरे प्यारे देशवासियों एकता, भाईचारा और इंसानियत की महकती हुई इस खुशबू को देश की फिज़ाओं में ऐसे ही महकने दो। अपने इस खूबसूरत देश में फासीवादी और कट्टरवादी सौंच को मत पनप ने दो। हमारे देश में एकता और भाईचारे के दुश्मनों ने जो नफ़रत की खायी का दलदल बनाया है। हमें गणतंत्र के इस महापर्व पर नफ़रत की उस ख़ायी को अपने दिलों से मिटाना है और भारत को एकता और भाईचारे की माला में पिरोए रखना है। और हम सब भारतवासी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हर धर्म, हर वर्ग के लोग इस लहलाते तिरंगे के साये में हाथ से हाथ पकड़ कर साथ खड़े हों और हमारी ज़ुबानो पर हो-
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा…
जय हिन्द

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मो राशिद अल्वी (विधिछात्र)
alvimohdrashid@gmail.com

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