यूपी : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की नफरत फैलाने और असहिष्णुता को बढ़ावा देने की रीतिनीति के बुरे नतीजे सामने आने लगे हैं, प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है, प्रदेश की जनता सकते में है, आखिर सरेआम हत्या, लूट और बलात्कार करने वाले इन अपराधी तत्वों के हौंसले किसके बलबूते पर फल-फूल रहे हैं?

जबसे भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ हुई है चैथे स्तम्भ पर लगातार हिंसक हमले होने लगे हैं, अपने मनमाफिक न लिखने वाले पत्रकारों पर खनन माफिया और भूमाफिया तो अपनी ताकत दिखाते ही रहे हैं अब स्थानीय  अपराधी भी बेखौफ हो रहे हैं, स्वयं पुलिस कर्मी भी उनके साथी बन जाते हैं, ऐसे में न्याय पाने के लिए जनता कहां जाए?

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गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी को बदमाशों ने इसलिए गोली मार दी क्योंकि उसने भांजी से छेड़छाड़ के मामले की शिकायत पुलिस से की थी, पुलिस ने कुछ किया नहीं उल्टे उन्हें शिकायत की जानकारी मिल गई, फिर तो बदमाशों की हिम्मत बढ़ गई, पुलिस ने अगर समय से कार्यवाही की होती तो पत्रकार की जान नहीं जाती.

लखनऊ में लोकभवन के सामने जिस महिला ने न्याय न मिलने पर आग लगाई थी उसकी मौत हो गई है, दबंगों पर कार्यवाही करने में पता नहीं क्यों पुलिस को पसीने आ जाते हैं, आरोपियों की गिरफ्तारी में लापरवाही क्यों होती है? इस सबका दुष्परिणाम दुखद होगा ही, समाजवादी पार्टी पत्रकार के आश्रित को 25 लाख रूपए भाजपा सरकार द्वारा दिए जाने की मांग करती हैं, इनके पीड़ित परिवारीजनों के प्रति सहानुभूति में समाजवादी पार्टी ने 2 लाख रूपए की मदद की है.

उन्नाव में शलभमणि त्रिपाठी पत्रकार की हत्या भी निर्ममता से की गई थी, कानपुर देहात के थाना भोगनीपुर में पत्रकार संतोष गुप्ता की पुत्री पौत्री की विगत 18 जुलाई 2020 को हत्या कर दी गई, शाहजहांपुर में उपजा संगठन के जिलाध्यक्ष जब दफ्तर से घर जा रहे थे वाहन चेकिंग के नाम पर महिला दारोगा ने अभद्रता की, उन्नाव में दो महिलाओं के शव झाड़ियों में मिले जबकि मेरठ में एक महिला और उसकी बेटी की हत्या कर दी गई.

मुख्यमंत्री जी के दावों का क्या जब भाजपा नेता ही अवैध खनन, अवैध शराब तस्करी, के धंधो में पैसा बनाने में लगे हों? कानपुर अकबरपुर  के भाजपा नेता ने मध्य प्रदेश के एक ज्योतिषी, उसके साथी का अपहरण किया, सत्ता संरक्षित ऐसे अपराधी न जेल जाते हैं न प्रदेश छोड़कर कहीं जाते है, वे मुख्यमंत्री जी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के साथ फोटो खिंचवाकर मन बढ़ हो जाते हैं.

जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उससे प्रदेश में पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो चली है, अपराधियों और पुलिस में साठगांठ के मामले सामने आ रहे हैं, लोग पुलिस के पास अपनी शिकायतों के निवारण के लिए जाते है लेकिन यह ‘मित्र पुलिस‘ अक्सर अपराधियों की ही संरक्षक बन जाती है, इसके दुष्परिणाम सामान्य जनता को भोगने पड़ रहे हैं, भाजपा सरकार हर मोर्चे पर फेल है, उससे जनता के जानमाल की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जाए?

ब्यूरो रिपोर्ट, लखनऊ,

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