ग़ाज़ियाबाद। निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होने में चंद दिन ही शेष हैं। ऐसे में सभी प्रत्याशी ज़ोर-शोर से प्रचार करके मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं। नगर निगम वार्ड-92 की बात करें तो यहाँ सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। ऐसा ही दावा वार्ड-92 से बसपा प्रत्याशी यास्मीन के पति हाजी खलील भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव जीतने के बाद वह वार्ड की स्थिति बदल देंगे।
हाजी खलील ने कहा कि मैं 1995 से 2006 तक पार्षद रहा हूँ। इसके अलावा मोहननगर ज़ोन का चेयरमैन भी रहा। इस दौरान मैंने वार्ड में सड़कों और नालियों के निर्माण के साथ-साथ सरकारी स्कूल भी बनवाये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चुनाव लड़ रहे अन्य प्रत्याशियों को निगम द्वारा काम कराने का कोई अनुभव नहीं है। एक प्रत्याशी अपने वार्ड का जलभराव आजतक खत्म नहीं करा सके और दूसरे वार्ड में आकर अपना गुणगान कर रहे हैं। एक अन्य प्रत्याशी को पार्षद पद का तो दस वर्षीय अनुभव है, लेकिन काम कराने का कोई अनुभव नहीं है। क्योंकि उन्होंने अपने दस वर्ष के कार्यकाल के दौरान कोई काम नहीं कराया।
हाजी खलील ने कहा कि कई सड़के तो ऐसी हैं जो मैंने अपने कार्यकाल में बनवाईं, तबसे वो सड़कें दोबारा नहीं बनी हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने बिरादर के नाते वोट देकर देख लिया कि बिरादर के नाम पर वोट देने से विकास नहीं हो सकता। इसलिए वार्ड-92 की जनता ने इस बार मन बना लिया है कि वोट बिरादर के आधार पर न देकर अनुभव और काम के आधार पर ही दिया जायेगा।
हाजी खलील के मैदान में उतरने से वार्ड-92 के निवासी उत्साहित
हाजी खलील के चुनावी मैदान में उतरने से वार्ड-92 के लोग बेहद उत्साहित हैं। उनके चुनावी प्रचार के दौरान उमड़ने वाली भीड़ इसकी गवाह है। पुराने लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि हाजी खलील ने जैसा काम करवाया था, ऐसा काम आज तक कोई पार्षद नहीं करवा सका है।
वार्ड-92 के निवासी अबरार अली ने कहा कि चुनाव लड़ रहे सभी लोग अपने ही भाई हैं। जीतने के बाद सभी वार्ड में काम कराना चाहते हैं। लेकिन हमें ऐसे प्रत्याशी को चुनना होगा, जिसे काम करने का अनुभव हो। हाजी खलील द्वारा वार्ड में कराये गए कामों की आज भी चर्चा होती है। पिछले कुछ वर्षों से वार्ड बदहाली से गुज़र रहा है। सड़क से लेकर नाली तक की स्थिति बदतर है। ऐसे में हाजी खलील जैसे योग्य प्रत्याशी वार्ड की ज़रूरत बन गए हैं। जिससे वार्ड एक बार फिर पहले की तरह चमक सके।
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