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हापुड़ : फ़िरोज़ आ़लम ने किया क्षेत्र का नाम रोशन, ग्राम दहपा को मिला पहला मुस्लिम आईएएस अफ़सर, मिली 645 वीं रैंक

गुड्डू त्यागी

हार के आगे जीत है… यह बात फ़िरोज़ आलम ने साबित कर दिखाई। पांच बार विफल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने निर्धारित लक्ष्य पर मजबूती के साथ खड़े रहे और छठीं बार में उन्होंने कामयाबी हासिल कर ली। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित परीक्षा में पिलखुवा निवासी फिरोज आलम ने 645 वीं रैंक हासिल की है। स्वजन के साथ उन्होंने हापुड़ जनपद का नाम रोशन किया है। स्वजन में खुशी का माहौल है। फिरोज आलम वर्तमान में दिल्ली पुलिस में सिपाही हैं।

मूलरूप से पिलखुवा कोतवाली अंतर्गत ग्राम दहपा निवासी फ़िरोज़ आलम ने इंटरमीडिएट मारवाड़ इंटर कॉलेज और स्नातक राणा डिग्री कॉलेज पिलखुवा से की। इसके बाद कोचिंग कर वर्ष 2010 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए।

फ़िरोज़ बताते हैं कि, उनका बचपन से सपना था कि वह आइएएस या आइपीएस बनकर देश की सेवा करें। इसलिए दिल्ली पुलिस में रहते हुए उन्होंने अपना सपना टूटने नहीं दिया। जितना समय मिलता वह उस समय में तैयारी करते। हालांकि, समय के अभाव के कारण उन्हें पांच बार नाकामी हासिल हुई, लेकिन लक्ष्य की ओर बढ़ते उनके कदमों ने आखिरकार मंजिल पा ही ली।

वर्तमान में फ़िरोज़ आलम का परिवार नगर के शिवाजी नगर कॉलोनी में रहता है। बुधवार को जैसे ही स्वजन को परीक्षाफल आने की सूचना मिली तो उनकी बेचैनी बढ़ गई। लेकिन, जब पता चला कि फिरोज ने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है तो परिवार की खुशी का ठिकाना ना रहा। पिता शहादत हुसैन, माता मुन्नी सहित स्वजन के चेहरे खुशी से खिल उठे। दिल्ली में तैनात फ़िरोज़ को स्वजन द्वारा फोन पर कामयाबी के लिए बधाई दी गई। फिरोज के भाई सलमान आलम ने बताया कि फिरोज में 645 रैंक आई है और देर रात तक ड्यूटी समाप्त कर पिलखुवा में लौटेंगे। फिरोज के बड़े भाई जावेद आलम बीएसएफ में इंसपेक्टर हैं।

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