लखनऊ (यूपी) : उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी श्री यमुना प्रसाद बोस, महात्मा गाँधी स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा, बुजुर्ग समाजवादी योद्धा सगीर अहमद, द्विजेन्द्र कुमार मिश्र, विजय बहादुर राय, अजय शम्सा, लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति के संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, लोकबन्धु राजनारायण के लोग ट्रस्ट के अध्यक्ष शाहनवाज अहमद कादरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी,  लोकबन्धु राजनारायण स्मृति ट्रस्ट के महासचिव विजय कुमार देवव्रत और नशा मुक्ति आंदोलन के संयोजक व स्वराज इंडिया गाज़ीपुर के जिलाध्यक्ष रमेश यादव ने कहा है कि सुरक्षा के नाम पर राजघाट ( दिल्ली ) में बापू की समाधि स्थल तक बापू के अनुयाई समाजवादियों को नहीं जाने देने की घटना बेहद शर्मनाक है, खासतौर से नौ अगस्त को प्रशासन का इस तरह का व्यवहार किसी भी कीमत पर क्षम्य नहीं है, भारत सरकार को इसे संज्ञान में लेना चाहिए, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ीं करवाई करनी चाहिए ताकि आगे कोई इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सके.

समाजवादी जमात के यमुना प्रसाद बोस, राजनाथ शर्मा, सगीर अहमद, द्विजेन्द्र कुमार मिश्र, विजय बहादुर राय, अजय शम्सा, धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, शाहनवाज अहमद कादरी, अनिल त्रिपाठी, विजय कुमार देवव्रत और रमेश यादव ने इसे लेकर जारी एक संयुक्त बयान में कहा है कि बापू इस देश के राष्ट्रपिता हैं, बापू का शरीर आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन आज भी उनके विचार हम लोगों के हृदय में या किसी देशभक्त भारतीय समाज के हृदय में सर्वोच्च स्थान रखते हैं, सुरक्षा के नाम पर उनकी समाधि की परिक्रमा, दर्शन या प्रणाम रोकना एक गम्भीर अपराध है, अपने संयुक्त बयान में समाजवादी जमात के नेताओं ने कहा है कि पिछले दो दशक से समाजवादी आंदोलन के वरिष्ठतम नेताओं में से एक प्रोफेसर राजकुमार जैन के नेतृत्व में समाजवादी और बापू के अनुयाई संगठनों के लोग जनक्रांति दिवस 9 अगस्त के अवसर पर राजघाट से आचार्य नरेंद्रदेव गुलाब बाटिका तक पैदल मार्च करते हैं.

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यह मार्च राजघाट में बापू की समाधि की परिक्रमा और दर्शन से प्रारम्भ होता है, गुलाब बाटिका में स्थित आचार्य नरेंद्रदेव की मूर्ति के पास स्वराज और लोकतन्त्र को अक्षुण रखने तथा समाजवाद के पथ पर लगातार चलते रहने के संकल्प के साथ इसका समापन होता है, इसी परंपरा के तहत 9 अगस्त की सुबह दस बजे प्रोफेसर राजकुमार जैन के नेतृत्व में पूर्व विधायक हरीश खन्ना, सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता एस एस नेहरा आदि साथी राजघाट पहुँचे तो पुलिस ने इन लोगों को बापू के समाधि स्थल पर नहीं जाने दिया, इसके विरोध में प्रोफेसर जैन धरने पर बैठ गए तो पुलिस के बड़े अफसर आए और कहा कि ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया है, 15 अगस्त को यहाँ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आने वाले हैं, आपलोग इसमें सहयोग करिए, साथियों के आग्रह पर प्रोफेसर जैन मान जरूर गए लेकिन इसे लेकर वह काफी दुखी हैं, इसे लेकर उन्होंने कहा है कि आज़ाद भारत के लिए यह बेहद शर्मनाक घटना है.

समाजवादी जमात के यमुना प्रसाद बोस, राजनाथ शर्मा, सगीर अहमद, द्विजेन्द्र कुमार मिश्र, विजय बहादुर राय, अजय शम्सा, धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, शाहनवाज अहमद कादरी, अनिल त्रिपाठी, विजय कुमार देवव्रत और रमेश यादव ने कहा है कि आजाद हिन्दुस्तान में बापू की समाधि को तालों में बन्द रखना, खासतौर से उस 9 अगस्त के दिन ताले में बन्द रखना जिस दिन बापू के आह्वान पर 1942 में आज़ादी हासिल करने के लिए पूरा देश अंग्रेज़ी हुक़ूमत के खिलाफ सड़क पर उतर पड़ा था, बेहद निन्दनीय है, भारत सरकार इसकी जांच कराए और जो लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करे, अगर यह निंदनीय कार्य भारत सरकार के संज्ञान में हुआ है तो इसके लिए खेद प्रकाश करे.

समाजवादी जमात के इन नेताओं ने कहा है कि पुलिस के इस व्यवहार से दुखी बापू के अनुयाई समाजवादियों ने 9 अगस्त को बाहर से ही बापू को प्रणाम किया और आचार्य नरेंद्र देव गुलाब बाटिका तक मार्च किया, इस अवसर पर अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देने वाले युसूफ मेहर अली, मुम्बई के ग्वालिया मैदान में अंग्रेजी चक्रव्यूह को तोड़कर 9 अगस्त को तिरंगा फहराने वालीं क्रांतिकारी अरुणा आसफ अली को विशेष रूप से याद किया गया और संकल्प लिया कि हम लोग महात्मा गांधी, आचार्य नरेंद्रदेव, जयप्रकाश नारायण तथा डाक्टर राममनोहर लोहिया के दिखाए रास्ते पर चलते हुए 9 अगस्त के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए समाजवादी पथ पर लगातार चलते रहेंगे.

समाजवादी जमात के इन नेताओं ने मांग किया है कि 9 अगस्त 1942 को बापू के आह्वान पर पूरा देश आज़ादी की जंग में उतर पड़ा था, यह तारीख आज़ादी के इतिहास की सर्वाधिक महान तारीख है, इसलिए भारत सरकार 9 अगस्त को 15 अगस्त तथा 26 जनवरी की तरह राष्ट्रीय पर्व घोषित करे.

ब्यूरों रिपोर्ट, लखनऊ

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